UGC-NET&SET-MODEL PAPER-5
31. इनमें से कौन-सा आचार्य रस सूत्र का व्याख्याता नहीं है
(क) आनन्द वर्धन
(ख) अभिनवगुप्त
(ग) भट्टनायक
(घ) भट्टलोल्लट
32. साधारणीकरण सिद्धान्त के आविष्कर्ता आचार्य कौन है –
(क) भट्टनायक
32. साधारणीकरण सिद्धान्त के आविष्कर्ता आचार्य कौन है –
(क) भट्टनायक
(ख) आचार्य अभिनवगुप्त
(ग) भट्टलोल्लट
(घ) आचार्य शंकुक
33. लल्लट के मत से विभावादि एवं स्थायी भाव के संयोग का क्या अर्थ है—
(क) अनुमाप्य-अनुमापक सम्बन्ध
33. लल्लट के मत से विभावादि एवं स्थायी भाव के संयोग का क्या अर्थ है—
(क) अनुमाप्य-अनुमापक सम्बन्ध
(ख) उत्पाद्य – उत्पादक सम्बन्ध
(ग) भोज्य – भोजक सम्बन्ध
(ग) भोज्य – भोजक सम्बन्ध
(घ) कोई नहीं
34. शंकुक ने रस सूत्र में संयोग का अर्थ क्या माना है –
(क) उत्पत्ति
34. शंकुक ने रस सूत्र में संयोग का अर्थ क्या माना है –
(क) उत्पत्ति
(ख) भुक्ति
(ग) अभिव्यक्ति
(घ) अनुमिति
35. भुक्तिवाद किस आचार्य के रस निष्पत्ति सम्बन्धी मत का नाम है
(क) आचार्य मम्मट
35. भुक्तिवाद किस आचार्य के रस निष्पत्ति सम्बन्धी मत का नाम है
(क) आचार्य मम्मट
(ख) आचार्य विश्वनाथ
(ग) आचार्य अभिनवगुप्त
(घ) भट्टनायक
36. रस सूत्र में संयोग का अर्थ भोज्य-भोजक सम्बन्ध किस आचार्य ने माना है –
(क) आचार्य शंकुक
36. रस सूत्र में संयोग का अर्थ भोज्य-भोजक सम्बन्ध किस आचार्य ने माना है –
(क) आचार्य शंकुक
(ख) भट्टनायक
(ग) अभिनवगुप्त
(घ) विश्वनाथ
37. भट्टनायक ने रस का स्थान कहाँ माना है –
(क) रंगमंच
37. भट्टनायक ने रस का स्थान कहाँ माना है –
(क) रंगमंच
(ख) काव्य विबद्ध
(ग) सह्रदय सामाजिक का चित्त
(घ) मूल पात्र
38. अभिनवगुप्त के रस निष्पत्ति सम्बन्धी मत को किस नाम से जाना जाता है—
(क) भुक्तिवाद
38. अभिनवगुप्त के रस निष्पत्ति सम्बन्धी मत को किस नाम से जाना जाता है—
(क) भुक्तिवाद
(ख) अभिव्यक्तिवाद
(ग) आरोपवाद
(घ) उत्पत्तिवाद
39. स्थायी भावों की संख्या कितनी मानी गई है –
(क) आठ
39. स्थायी भावों की संख्या कितनी मानी गई है –
(क) आठ
(ख) नौ
(ग) दस
(घ) ग्यारह
40. किस रस को रसराज की संज्ञा दी गई है –
(क) करूण
40. किस रस को रसराज की संज्ञा दी गई है –
(क) करूण
(ख) वात्सल्य
(ग) श्रृंगार
(घ) रौद्र