मंगलवार, 19 जनवरी 2021
भक्तिकालीन साहित्य चिंतन और तुलसीदास (BHAKTIKALEEN SAHITYA CHINTAN AUR TULSIDAS)
भक्तिकालीन साहित्य चिंतन और तुलसीदास (BHAKTIKALEEN SAHITYA CHINTAN AUR TULSIDAS)
भक्तिकालीन साहित्य चिंतन और तुलसीदास (BHAKTIKALEEN SAHITYA CHINTAN AUR TULSIDAS)
प्राचीन भारतीय काव्य-रूप (PRACHIN BHARTIYA KAVYA ROOP)
प्राचीन भारतीय काव्य-रूप (PRACHIN BHARTIYA KAVYA ROOP)
प्राचीन भारतीय काव्य-रूप (PRACHIN BHARTIYA KAVYA ROOP)
तमिल काव्यशास्त्र और तोलकाप्पियम (TAMIL SAHITYA CHINTAN AUR TOLKAAPPIYAM)
तमिल काव्यशास्त्र और तोलकाप्पियम (TAMIL SAHITYA CHINTAN AUR TOLKAAPPIYAM)
तमिल काव्यशास्त्र और तोलकाप्पियम (TAMIL SAHITYA CHINTAN AUR TOLKAAPPIYAM)
विभिन्न प्रस्थानों का अंतःसम्बंध (VIBHINNA PRASTHANON KA ANTASSAMBANDH)
विभिन्न प्रस्थानों का अंतःसम्बंध (VIBHINNA PRASTHANON KA ANTASSAMBANDH)
विभिन्न प्रस्थानों का अंतःसम्बंध (VIBHINNA PRASTHANON KA ANTASSAMBANDH)
भारतीय काव्यशास्त्र – काव्यात्मा (KAVYATMA)
भारतीय काव्यशास्त्र – काव्यात्मा (KAVYATMA)
भारतीय काव्यशास्त्र – काव्यात्मा (KAVYATMA)
भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत (AUCHITYA MAT)
भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत
1. औचित्य विचार चर्चा ग्रंथ किस आचार्य का हैक्षेमेंद्र का
भामह
उद्भट
भोजराज
2. क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद हैं
22
37
16
27
3. क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है
औचित्य
रीति
अलंकार
रस
4. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
( a ) क्षेमेन्द्र ( i ) काव्यालंकारसार संग्रह
( b ) भोजराज ( ii ) सरस्वतीकंठाभरण
( c ) भामह ( iii ) कविकंठाभरण
( d ) उद्भट ( iv ) काव्यालंकार
( v ) काव्य प्रकाश
इनमें से सही विकल्प बताइए –
( a ) ( b ) ( c ) (d )
(A) (iv) (iii) (ii) (i)
(B) (i) (ii) (iii) (iv)
(C) (iii) (ii) (iv) (i)
(D) (v) (iv) (iii) (ii)
5. औचित्यं रससिद्धस्य स्थिरं काव्यस्य जीवितम् किसकी उक्ति है –
कुन्तक
वामन
क्षेमेन्द्र
दण्डी
6. कविकण्ठाभरण के रचनाकार है –
(क) कुन्तक (ख) वामन (ग) दण्डी (घ) क्षेमेन्द्र
7. किसका यह कथन प्रसिद्ध है– नानौचित्यादृते किंचिद् रसभंगस्य कारणम्।
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
आनंदवर्धन
वामन
8. रसौचित्य आदि नौ प्रकार के औचित्य की प्रत्यक्ष मीमांसा और प्रितपादन किसने ‘ध्वन्यालोक’ में किया है।
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
वामन
9. ‘वक्रता’ को औचित्य का नाम किसने दी
कुन्तक
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
वामन
10. कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। - तुलसीदास की यह पंक्ति में कौनसा औचित्य है
गुणौचित्य
वाक्यौचित्य
प्रबन्धौचित्य
पदौचित्य
वामन
8. रसौचित्य आदि नौ प्रकार के औचित्य की प्रत्यक्ष मीमांसा और प्रितपादन किसने ‘ध्वन्यालोक’ में किया है।
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
वामन
9. ‘वक्रता’ को औचित्य का नाम किसने दी
कुन्तक
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
वामन
10. कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। - तुलसीदास की यह पंक्ति में कौनसा औचित्य है
गुणौचित्य
वाक्यौचित्य
प्रबन्धौचित्य
पदौचित्य
भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत (AUCHITYA MAT)
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का भेद (VAKROKTI KE BHED)
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का भेद
1. वक्रोक्ति जीवितम् किसकी रचना हैकुंतक
वामन
क्षेमेंद्र
मम्मट
2. वक्ता द्वारा व्यकत अर्थ से भिन्न अर्थ की कल्पना को क्या कहते है
वक्रोक्ति
पुनरूक्तवदाभास
अनुप्रास
वृत्तानुप्रास
3. आचार्य रूद्रट ने वक्रोक्ति के कितने भेद माने है
दो
तीन
चार
पाँच
4. आचार्य कुंतक ने वक्रोक्ति के कितने भेद माने है
छः
चार
सात
दस
5. आचार्य रूद्रट वक्रोक्ति को शब्दालंकार मानते है, अर्थालंकार किसने माना है
दण्डी
क्षेमेंद्र
वामन
आनंदवर्धन
6. कवः कर्म काव्यम्, (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन किसका है
कुन्तक
दण्डी
क्षेमेंद्र
वामन
7. हिंदी वक्रोक्ति जीवित की भूमिका किसने लिखी
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
नामवरसिंह
महावीरप्रसाद द्विवेदी
8. आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना है
रस को
वक्रोक्ति को
अलंकार को
रीति को
9. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
कुन्तक - वक्रोक्ति जीवितम्
क्षेमेन्द्र - औचित्यविचारचर्चा
मम्मट - काव्यप्रकाश
रुय्यक - अलंकारसर्वस्वम्
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
धनञ्जय --दशरूपकम्
भोज-- सरस्वतीकण्ठाभरणम्
महिमभट्ट --व्यक्तिविवेक
कुन्तक - वक्रोक्ति जीवितम्
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का भेद (VAKROKTI KE BHED)
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का स्वरूप (VAKROKTI KA SWAROOP)
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का स्वरूप
1. वक्रोक्ति जीवितम् किसकी रचना हैकुंतक
वामन
क्षेमेंद्र
मम्मट
2. वक्ता द्वारा व्यकत अर्थ से भिन्न अर्थ की कल्पना को क्या कहते है
वक्रोक्ति
पुनरूक्तवदाभास
अनुप्रास
वृत्तानुप्रास
3. आचार्य रूद्रट ने वक्रोक्ति के कितने भेद माने है
दो
तीन
चार
पाँच
4. आचार्य कुंतक ने वक्रोक्ति के कितने भेद माने है
छः
चार
सात
दस
5. आचार्य रूद्रट वक्रोक्ति को शब्दालंकार मानते है, अर्थालंकार किसने माना है
दण्डी
क्षेमेंद्र
वामन
आनंदवर्धन
6. कवः कर्म काव्यम्, (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन किसका है
कुन्तक
दण्डी
क्षेमेंद्र
वामन
7. हिंदी वक्रोक्ति जीवित की भूमिका किसने लिखी
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
नामवरसिंह
महावीरप्रसाद द्विवेदी
8. आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना है
रस को
वक्रोक्ति को
अलंकार को
रीति को
9. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
कुन्तक - वक्रोक्ति जीवितम्
क्षेमेन्द्र - औचित्यविचारचर्चा
मम्मट - काव्यप्रकाश
रुय्यक - अलंकारसर्वस्वम्
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
धनञ्जय --दशरूपकम्
भोज-- सरस्वतीकण्ठाभरणम्
महिमभट्ट --व्यक्तिविवेक
कुन्तक - वक्रोक्ति जीवितम्
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का स्वरूप (VAKROKTI KA SWAROOP)
भारतीय काव्यशास्त्र – रीति और उसके भेद (REETI AUR USKE BHED)
भारतीय काव्यशास्त्र – रीति और उसके भेद
1. प्रसाद गुण का सम्बन्ध किस रीति से है(क) वैदर्भी
(ख) गौडीं
(ग) पांचाली
(घ) इनमें से कोई नहीं
2. कुन्तक ने रीति के कौनसे तीन भेद माने हैं
(क) गौड़ी, वैदर्भी, पांचाली
(ख) गोड़ी, पांचाली, लाटी
(ग) गौड़ी, वैदर्भी, लाटी
(घ) इनमें से कोई नहीं
2. कुन्तक ने रीति के कौनसे तीन भेद माने हैं
(क) गौड़ी, वैदर्भी, पांचाली
(ख) गोड़ी, पांचाली, लाटी
(ग) गौड़ी, वैदर्भी, लाटी
(घ) सुकुमार, विचित्र, मध्यम
3. आचार्य मम्मट ने रीति को वृत्ति कहकर कितने भेद माने हैं
तीन
चार
पाँच
दो
4. आचार्य वामन के रीति के निम्न तीन भेद माने हैं
(क) गौड़ी, वैदर्भी, पांचाली
(घ) सुकुमार, विचित्र, मध्यम
(ख) गोड़ी, पांचाली, लाटी
(ग) गौड़ी, वैदर्भी, लाटी
5. किस आचार्य ने रीती को काव्य की आत्मा मान कर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है वामन
कुंतक
आनंदवर्द्धन
मम्मट
वामन
3. आचार्य मम्मट ने रीति को वृत्ति कहकर कितने भेद माने हैं
तीन
चार
पाँच
दो
4. आचार्य वामन के रीति के निम्न तीन भेद माने हैं
(क) गौड़ी, वैदर्भी, पांचाली
(घ) सुकुमार, विचित्र, मध्यम
(ख) गोड़ी, पांचाली, लाटी
(ग) गौड़ी, वैदर्भी, लाटी
5. किस आचार्य ने रीती को काव्य की आत्मा मान कर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है वामन
कुंतक
आनंदवर्द्धन
मम्मट
वामन
6. विशिष्टपदरचना रीतिः किसका कथन है
वामन
कुंतक
आनंदवर्द्धन
मम्मट
7. आचार्य रूद्रट के रीति के निम्न भेद माने हैं
(क) गौड़ी, वैदर्भी, पांचाली, लाटी
(घ) सुकुमार, विचित्र, मध्यम
(ख) गोड़ी, पांचाली, लाटी
(ग) गौड़ी, वैदर्भी, लाटी
8. किसने रीति का सम्बंध गुण और कवि स्वभाव से माना है
कुंतक
वामन
आनंदवर्द्धन
मम्मट
9. गौड़ी रीति की विशेषता है
ओजपूर्ण शैली
उग्र पदावली
दीर्घ समास की बहुलता
उपर्युक्त सभी
10. भरतमुनि ने रीति केलिए किस शब्द का प्रयोग किया है
मार्ग
वृति
संघटना
प्रवृत्ति
10. भरतमुनि ने रीति केलिए किस शब्द का प्रयोग किया है
मार्ग
वृति
संघटना
प्रवृत्ति
भारतीय काव्यशास्त्र – रीति और उसके भेद (REETI AUR USKE BHED)
भारतीय काव्यशास्त्र – अलंकार का वर्गीकरण (ALANKARON KA VARGIKARAN)
भारतीय काव्यशास्त्र – अलंकार का वर्गीकरण
1. जहाँ कारण होते हुए भी कार्य सम्पन्न न हो, वहाँ कौनसा अलंकार होता है –(क) दृष्टान्त (ख) विशेषोक्ति (ग) असंगति (घ) विभावना
2. विभावना अलंकार कहाँ होता है –
(क) जहाँ कारण कहीं हो और कार्य कहीं और हो
(ख) जहाँ कारण होते हुए भी कार्य न हो
(ग) जहाँ बिना कारण के कार्य हो
(घ) जहाँ कराण के विपरीत कार्य हो
3. कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाए बौराय जग, या पाए बौराय।। ..... कौनसा अलंकार है
अन्योक्ति
यमक अलंकार
दृष्टान्त
4. 'नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नही विकास इहि काल।
अली कली ही सौं बिध्यों, आगे कौन हवाल।। प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?
अन्योक्ति
रूपक
विशेषोक्ति
अतिशयोक्ति
5. किस पंक्ति में 'अपह्नुति' अलंकार है ?
यह चंद्र नहीं मुख है।
इसका मुख चंद्रमा के समान है।
चंद्र इसके मुंह के समान है।
इसका मुख ही चंद्र है।
6. जहाँ उपमेय का निषेध कर के उपमान का आरोप किया जाय, वहां होता है :
अपह्नुति अलंकार
रूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार
उपमा अलंकार
7. उपमेय पर उपमान का अपभेद आरोप होने पर होता है :
रूपकलंकार
उपमालंकार
श्लेषलंकार
उत्प्रेक्षालंकार
8. जहां उपमेय में उपमान की समानता व्यक्त की जाती है, वहाँ अलंकार होता है :
उत्प्रेक्षा
उपमा
रूपक
सन्देह
9. रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानूस चून।
श्लेष
उत्प्रेक्षा
रूपक
अनुप्रास
10. हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग।
अतिशयोक्ति
श्लेष
रूपक
विरोधाभास
दृष्टान्त
विशेषोक्ति
4. 'नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नही विकास इहि काल।
अली कली ही सौं बिध्यों, आगे कौन हवाल।। प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?
अन्योक्ति
रूपक
विशेषोक्ति
अतिशयोक्ति
5. किस पंक्ति में 'अपह्नुति' अलंकार है ?
यह चंद्र नहीं मुख है।
इसका मुख चंद्रमा के समान है।
चंद्र इसके मुंह के समान है।
इसका मुख ही चंद्र है।
6. जहाँ उपमेय का निषेध कर के उपमान का आरोप किया जाय, वहां होता है :
अपह्नुति अलंकार
रूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार
उपमा अलंकार
7. उपमेय पर उपमान का अपभेद आरोप होने पर होता है :
रूपकलंकार
उपमालंकार
श्लेषलंकार
उत्प्रेक्षालंकार
8. जहां उपमेय में उपमान की समानता व्यक्त की जाती है, वहाँ अलंकार होता है :
उत्प्रेक्षा
उपमा
रूपक
सन्देह
9. रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानूस चून।
श्लेष
उत्प्रेक्षा
रूपक
अनुप्रास
10. हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग।
अतिशयोक्ति
श्लेष
रूपक
विरोधाभास
भारतीय काव्यशास्त्र – अलंकार का वर्गीकरण (ALANKARON KA VARGIKARAN)
भारतीय काव्यशास्त्र – अलंकार स्वरूप एवं विकास (ALANKAR SWAROOP VIKAS)
भारतीय काव्यशास्त्र – अलंकार स्वरूप एवं विकास
1. जहाँ कारण होते हुए भी कार्य सम्पन्न न हो, वहाँ कौनसा अलंकार होता है –
(क) दृष्टान्त (ख) विशेषोक्ति (ग) असंगति (घ) विभावना
2. विभावना अलंकार कहाँ होता है –
(क) जहाँ कारण कहीं हो और कार्य कहीं और हो
(ख) जहाँ कारण होते हुए भी कार्य न हो
(ग) जहाँ बिना कारण के कार्य हो
(घ) जहाँ कराण के विपरीत कार्य हो
3. कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाए बौराय जग, या पाए बौराय।। कौनसा अलंकार है?
विशेषोक्ति
यमक अलंकार
रूपक
यमक अलंकार
रूपक
अतिशयोक्ति
4. 'नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नही विकास इहि काल।
अली कली ही सौं बिध्यों, आगे कौन हवाल।। प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?
अन्योक्ति
रूपक
विशेषोक्ति
अतिशयोक्ति
5. किस पंक्ति में 'अपह्नुति' अलंकार है ?
यह चंद्र नहीं मुख है।
इसका मुख चंद्रमा के समान है।
चंद्र इसके मुंह के समान है।
इसका मुख ही चंद्र है।
6. जहाँ उपमेय का निषेध कर के उपमान का आरोप किया जाय, वहां होता है :
अपह्नुति अलंकार
रूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार
उपमा अलंकार
7. उपमेय पर उपमान का अपभेद आरोप होने पर होता है :
रूपकलंकार
उपमालंकार
श्लेषलंकार
उत्प्रेक्षालंकार
8. जहां उपमेय में उपमान की समानता व्यक्त की जाती है, वहाँ अलंकार होता है :
उत्प्रेक्षा
उपमा
रूपक
सन्देह
9. रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानूस चून।
श्लेष
उत्प्रेक्षा
रूपक
अनुप्रास
10. हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग।
अतिशयोक्ति
श्लेष
रूपक
विरोधाभास
भारतीय काव्यशास्त्र – अलंकार स्वरूप एवं विकास (ALANKAR SWAROOP VIKAS)
भारतीय काव्यशास्त्र - ध्वनि के प्रमुख भेद (DHWANI KE PRAMUKH BHED)
भारतीय काव्यशास्त्र - ध्वनि के प्रमुख भेद
1. ध्वन्यालोक की टीका 'ध्वन्यालोकलोचन' किसने लिखीअभिनवगुप्त ने
उद्भट
वामन
दण्डी
2. आनन्दवर्धन का समय है
दसवीं शती
बारहवीं शती
चौदहवीं शती
नवीं शती
3. आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है
1 (ध्वनि)
2 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग)
3 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र)
4 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र, वस्तु)
4. आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है
3
4
7
9
5. अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं
35
10
44
33
6. मम्मट ने ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है
51
41
31
21
7. ध्वन्यालोक के रचनाकार है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी
8.शब्द के प्रतीयमान (व्यंग्यार्थ) को ध्वनि माननेवाले आचार्य है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी
9. भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख काव्यशास्त्रियों का सही क्रम क्या है ?
क) आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ, विश्वनाथ
ख) भरत मुनि, आनन्दवर्धन, विश्वनाथ, जगन्नाथ
ग) जगन्नाथ, विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि
घ) विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
शोभाकर मित्र -- अलंकार रत्नाकर
अभिनवगुप्त--- ध्वन्यालोकलोचन
3. आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है
1 (ध्वनि)
2 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग)
3 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र)
4 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र, वस्तु)
4. आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है
3
4
7
9
5. अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं
35
10
44
33
6. मम्मट ने ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है
51
41
31
21
7. ध्वन्यालोक के रचनाकार है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी
8.शब्द के प्रतीयमान (व्यंग्यार्थ) को ध्वनि माननेवाले आचार्य है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी
9. भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख काव्यशास्त्रियों का सही क्रम क्या है ?
क) आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ, विश्वनाथ
ख) भरत मुनि, आनन्दवर्धन, विश्वनाथ, जगन्नाथ
ग) जगन्नाथ, विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि
घ) विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
शोभाकर मित्र -- अलंकार रत्नाकर
अभिनवगुप्त--- ध्वन्यालोकलोचन
भारतीय काव्यशास्त्र - ध्वनि के प्रमुख भेद (DHWANI KE PRAMUKH BHED)
भारतीय काव्यशास्त्र – ध्वनि का स्वरूप (DHWANI KA SWAROOP)
भारतीय काव्यशास्त्र – ध्वनि का स्वरूप
1. ध्वन्यालोक की टीका 'ध्वन्यालोकलोचन' किसने लिखी
अभिनवगुप्त ने
उद्भट
वामन
दण्डी
2. आनन्दवर्धन का समय है
दसवीं शती
बारहवीं शती
नवीं शती
चौदहवीं शती
3. आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है
1 (ध्वनि)
2 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग)
3 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र)
4 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र, वस्तु)
4. आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है
3
4
7
9
5. अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं
10
44
33
35
6. मम्मट ने ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है
41
51
31
21
7. ध्वन्यालोक के रचनाकार है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी
8.शब्द के प्रतीयमान (व्यंग्यार्थ) को ध्वनि माननेवाले आचार्य है
उद्भट
वामन
दण्डी
31
21
7. ध्वन्यालोक के रचनाकार है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी
8.शब्द के प्रतीयमान (व्यंग्यार्थ) को ध्वनि माननेवाले आचार्य है
उद्भट
वामन
दण्डी
आनन्दवर्धन
9. भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख काव्यशास्त्रियों का सही क्रम क्या है ?
क) आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ, विश्वनाथ
ख) भरत मुनि, आनन्दवर्धन, विश्वनाथ, जगन्नाथ
ग) जगन्नाथ, विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि
घ) विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
शोभाकर मित्र -- अलंकार रत्नाकर
अभिनवगुप्त--- ध्वन्यालोकलोचन
9. भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख काव्यशास्त्रियों का सही क्रम क्या है ?
क) आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ, विश्वनाथ
ख) भरत मुनि, आनन्दवर्धन, विश्वनाथ, जगन्नाथ
ग) जगन्नाथ, विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि
घ) विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
शोभाकर मित्र -- अलंकार रत्नाकर
अभिनवगुप्त--- ध्वन्यालोकलोचन
भारतीय काव्यशास्त्र – ध्वनि का स्वरूप (DHWANI KA SWAROOP)
सह्रदय की अवधारणा (SAHRIDAYA KI AVADHARNA)
सह्रदय की अवधारणा (SAHRIDAYA KI AVADHARNA)
सह्रदय की अवधारणा (SAHRIDAYA KI AVADHARNA)
भारतीय काव्यशास्त्र – साधारणीकरण (SADHARNIKARAN)
भारतीय काव्यशास्त्र – साधारणीकरण
1. भावकत्वं साधारणीकरण यह परिभाषा किसने दी है(क) भट्टनायक (ख) भट्टलोल्लट (ग) आचार्य शंकुक (घ) डॉ. नगेन्द्र
2. रस सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य का नाम क्या है –
(क) भरत मुनि (ख) मम्मट (ग) अभिनवगुप्त (घ) भट्टनायक
3. इनमें से कौन-सा आचार्य रस सूत्र का व्याख्याता नहीं है
(क) आनन्द वर्धन (ख) अभिनवगुप्त (ग) भट्टनायक (घ) भट्टलोल्लट
4. साधारणीकरण सिद्धान्त के आविष्कर्ता आचार्य कौन है –
(क) भट्टनायक (ख) आचार्य अभिनवगुप्त (ग) भट्टलोल्लट (घ) आचार्य शंकुक
5. साधारणीकरण का अर्थ है –
किसी रचना को पढ़कर पात्रों के साथ पाठक का सामान्य भाव भूमि में आ जाना
सामान्य पाठक द्वारा साधारण रचना का रसास्वादन
किसी कृति को पढ़ते समय पाठक द्वारा स्वयं को साधारण समझना
इनमें से कोई नही
6. साधारणीकरण आलम्बन धर्म का होता है – किसकी उक्ति है
रामचंद्रशुक्ल
नगेंद्र
गुलाबराय
द्विवेदी
7. रस सिद्धांत के पहले पहल साधारणीकरण का प्रयोग करनेवाले विद्वान थे।
(क) भट्टनायक (ख) भट्टलोल्लट (ग) आचार्य रामचंद्रशुक्ल (घ) डॉ. नगेन्द्र
8. कवि भावना का साधारणीकरण मानने वाले व्याख्याकार
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
गुलाबराय
द्विवेदी
9. सहृदय की चेतना का साधारणीकरण मानने वाले व्याख्याकार
केशवप्रसाद मिश्र
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
गुलाबराय
10. इनमें से किस आचार्य ने वाक्यं रसात्मकं काव्यं कहा है
(क) मम्मट (ख) विश्वनाथ (ग) पण्डितराज जगन्नाथ (घ) अभिनवगुप्त
सामान्य पाठक द्वारा साधारण रचना का रसास्वादन
किसी कृति को पढ़ते समय पाठक द्वारा स्वयं को साधारण समझना
इनमें से कोई नही
6. साधारणीकरण आलम्बन धर्म का होता है – किसकी उक्ति है
रामचंद्रशुक्ल
नगेंद्र
गुलाबराय
द्विवेदी
7. रस सिद्धांत के पहले पहल साधारणीकरण का प्रयोग करनेवाले विद्वान थे।
(क) भट्टनायक (ख) भट्टलोल्लट (ग) आचार्य रामचंद्रशुक्ल (घ) डॉ. नगेन्द्र
8. कवि भावना का साधारणीकरण मानने वाले व्याख्याकार
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
गुलाबराय
द्विवेदी
9. सहृदय की चेतना का साधारणीकरण मानने वाले व्याख्याकार
केशवप्रसाद मिश्र
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
गुलाबराय
10. इनमें से किस आचार्य ने वाक्यं रसात्मकं काव्यं कहा है
(क) मम्मट (ख) विश्वनाथ (ग) पण्डितराज जगन्नाथ (घ) अभिनवगुप्त
भारतीय काव्यशास्त्र – साधारणीकरण (SADHARNIKARAN)
रस प्रक्रिया (भट्टनायक और अभिनवगुप्त) (RAS PRAKRIYA II BHATTNAYAK AUR ABHINAVGUPTA)
रस प्रक्रिया (भट्टनायक और अभिनवगुप्त) (RAS PRAKRIYA II BHATTNAYAK AUR ABHINAVGUPTA)
रस प्रक्रिया (भट्टनायक और अभिनवगुप्त) (RAS PRAKRIYA II BHATTNAYAK AUR ABHINAVGUPTA)
रस प्रक्रिया (भट्टलोलट और शंकुक) RAS PRAKRIYA (BHATTLOLLAT AUR SHANKUK)
रस प्रक्रिया (भट्टलोलट और शंकुक) RAS PRAKRIYA (BHATTLOLLAT AUR SHANKUK)
रस प्रक्रिया (भट्टलोलट और शंकुक) RAS PRAKRIYA (BHATTLOLLAT AUR SHANKUK)
भरतपूर्व एवं भरत का रस विचार (BHRAT PURVA EVAM BHARAT KA RAS VICHAR)
भरतपूर्व एवं भरत का रस विचार (BHRAT PURVA EVAM BHARAT KA RAS VICHAR)
भरतपूर्व एवं भरत का रस विचार (BHRAT PURVA EVAM BHARAT KA RAS VICHAR)
भारतीय काव्यशास्त्र - रसों का परिचय (RASON KA PARICHAY)
भारतीय काव्यशास्त्र - रसों का परिचय
1. रस संप्रदाय का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ है।(A) नाट्यशास्त्र
(B) ध्वन्यालोक
(C) अलंकारमंजरी
(D) रसमंजरी
2. निम्नलिखित में से किसे व्यभिचारी भाव कहा जाता है
(क) स्थायी भाव (ख) विभाव (ग) संचारी भाव (घ) अनुभाव
3. निम्नलिखित स्थायी भावों को उनके रस के साथ सुमेलित कीजिए –
सूची – 1 (स्थायी भाव) (क) उत्साह (ख) शोक (ग) जुगुप्सा (घ) निर्वेद
सूची – 2 (रस) 1. करूण 2. शान्त 3. वीर 4. रौद्र 5. बीभत्स
कूट –
A B C D
(A) 3 1 5 2
(B) 1 3 4 5
(C) 4 2 1 3
(D) 3 5 1 4
4. 'रस मीमांसा' के विषय में कहा जाता है –
I. 'रस मीमांसा' के लेखक अभिनव गुप्त हैं।
॥. रस मीमांसा' के लेखक रामचंद्र शुक्ल हैं।
III. रस मीमांसा' के संपादक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।
IV. रस मीमांसा' के लेखक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।
सही विकल्प बताइए –
(A) । और II सही
(B) II और III सही
(C) I सही और III गलत
(D) ॥ सही और III गलत
5. "विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः" रससूत्र है -
I. उक्त सूत्र के उद्भावक मम्मट हैं।
॥. उक्त सूत्र में संचारी भाव का उल्लेख है ।
III. उक्त सूत्र में स्थायीभाव का स्पष्ट उल्लेख है ।
IV. उक्त तीनों कथन सही हैं।
सही विकल्प बताइए –
(A) I और II दोनों सही
(B) I, ।I और ।।। तीनों सही
(C) । और III दोनों सही
(D) I, III, IV तीनों गलत
6. प्रेयानू रस की चर्चा सर्वप्रथम किस आचार्य ने की –
(क) आनन्दवर्धन (ख) उद्भट (ग) भरतमुनि (घ) रुद्रट
7. भरत मुनि ने कितने रस माने हैं ---
(क) नौ (ख) आठ (ग) दस (घ) ग्यारह
8. स्थायी भावों की संख्या कितनी मानी गई है –
(क) आठ (ख) नौ (ग) दस (घ) ग्यारह
9. किस रस को रसराज की संज्ञा दी गई है –
(क) करूण (ख) वात्सल्य (ग) श्रृंगार (घ) रौद्र
10. संचारी भावों की संख्या कितनी होती है –
(क) दस (ख) नौ (ग) तौंतीस (घ) पच्चीस
भारतीय काव्यशास्त्र - रसों का परिचय (RASON KA PARICHAY)
भारतीय काव्यशास्त्र – रस अवयव-स्वरूप (RAS AVAYAV AUR SWAROOP)
भारतीय काव्यशास्त्र – रस अवयव-स्वरूप
1. रस संप्रदाय का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ है।
(A) नाट्यशास्त्र
(B) ध्वन्यालोक
(C) अलंकारमंजरी
(D) रसमंजरी
2. निम्नलिखित में से किसे व्यभिचारी भाव कहा जाता है
(क) स्थायी भाव (ख) विभाव (ग) संचारी भाव (घ) अनुभाव
(A) नाट्यशास्त्र
(B) ध्वन्यालोक
(C) अलंकारमंजरी
(D) रसमंजरी
2. निम्नलिखित में से किसे व्यभिचारी भाव कहा जाता है
(क) स्थायी भाव (ख) विभाव (ग) संचारी भाव (घ) अनुभाव
3. निम्नलिखित स्थायी भावों को उनके रस के साथ सुमेलित कीजिए –
सूची – 1 (स्थायी भाव) (क) उत्साह (ख) शोक (ग) जुगुप्सा (घ) निर्वेद
सूची – 2 (रस) 1. करूण 2. शान्त 3. वीर 4. रौद्र 5. बीभत्स
कूट –
A B C D
(A) 3 1 5 2
(B) 1 3 4 5
(C) 4 2 1 3
(D) 3 5 1 4
4. 'रस मीमांसा' के विषय में कहा जाता है –
I. 'रस मीमांसा' के लेखक अभिनव गुप्त हैं।
॥. रस मीमांसा' के लेखक रामचंद्र शुक्ल हैं।
III. रस मीमांसा' के संपादक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।
IV. रस मीमांसा' के लेखक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।
सही विकल्प बताइए –
(A) । और II सही
(B) II और III सही
(C) I सही और III गलत
(D) ॥ सही और III गलत
5. "विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः" रससूत्र है -
I. उक्त सूत्र के उद्भावक मम्मट हैं।
॥. उक्त सूत्र में संचारी भाव का उल्लेख है ।
III. उक्त सूत्र में स्थायीभाव का स्पष्ट उल्लेख है ।
IV. उक्त तीनों कथन सही हैं।
सही विकल्प बताइए –
(A) I और II दोनों सही
(B) I, ।I और ।।। तीनों सही
(C) । और III दोनों सही
(D) I, III, IV तीनों गलत
(C) I सही और III गलत
(D) ॥ सही और III गलत
5. "विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः" रससूत्र है -
I. उक्त सूत्र के उद्भावक मम्मट हैं।
॥. उक्त सूत्र में संचारी भाव का उल्लेख है ।
III. उक्त सूत्र में स्थायीभाव का स्पष्ट उल्लेख है ।
IV. उक्त तीनों कथन सही हैं।
सही विकल्प बताइए –
(A) I और II दोनों सही
(B) I, ।I और ।।। तीनों सही
(C) । और III दोनों सही
(D) I, III, IV तीनों गलत
6. प्रेयानू रस की चर्चा सर्वप्रथम किस आचार्य ने की –
(क) आनन्दवर्धन (ख) उद्भट (ग) भरतमुनि (घ) रुद्रट
7. भरत मुनि ने कितने रस माने हैं ---
(क) नौ (ख) आठ (ग) दस (घ) ग्यारह
8. स्थायी भावों की संख्या कितनी मानी गई है –
(क) आठ (ख) नौ (ग) दस (घ) ग्यारह
9. किस रस को रसराज की संज्ञा दी गई है –
(क) करूण (ख) वात्सल्य (ग) श्रृंगार (घ) रौद्र
10. संचारी भावों की संख्या कितनी होती है –
(क) दस (ख) नौ (ग) तौंतीस (घ) पच्चीस
11. मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
शान्त
श्रृंगार
करुण
हास्य
भारतीय काव्यशास्त्र – रस अवयव-स्वरूप (RAS AVAYAV AUR SWAROOP)
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