मंगलवार, 19 जनवरी 2021

भारतीय काव्यशास्त्र - ध्वनि के प्रमुख भेद (DHWANI KE PRAMUKH BHED)

भारतीय काव्यशास्त्र - ध्वनि के प्रमुख भेद

1. ध्वन्यालोक की टीका 'ध्वन्यालोकलोचन' किसने लिखी
अभिनवगुप्त ने
उद्भट
वामन
दण्डी

2. आनन्दवर्धन का समय है
दसवीं शती
बारहवीं शती
चौदहवीं शती 
नवीं शती 

3. आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है
1 (ध्वनि) 
2 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग)
3 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र) 
4 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र, वस्तु) 

4. आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है
3
4
7
9

5. अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं
35
10
44
33

6. मम्मट ने ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है
51
41
31
21

7. ध्वन्यालोक के रचनाकार है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी

8.शब्द के प्रतीयमान (व्यंग्यार्थ) को ध्वनि माननेवाले आचार्य है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी

9. भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख काव्यशास्त्रियों का सही क्रम क्या है ?
क) आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ, विश्वनाथ
ख) भरत मुनि, आनन्दवर्धन, विश्वनाथ, जगन्नाथ 
ग) जगन्नाथ, विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि
घ) विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ

10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
शोभाकर मित्र -- अलंकार रत्नाकर
अभिनवगुप्त--- ध्वन्यालोकलोचन


  भारतीय काव्यशास्त्र - ध्वनि के प्रमुख भेद (DHWANI KE PRAMUKH BHED)

भारतीय काव्यशास्त्र – ध्वनि का स्वरूप (DHWANI KA SWAROOP)

भारतीय काव्यशास्त्र – ध्वनि का स्वरूप

1. ध्वन्यालोक की टीका 'ध्वन्यालोकलोचन' किसने लिखी
अभिनवगुप्त ने
उद्भट
वामन
दण्डी

2. आनन्दवर्धन का समय है
दसवीं शती
बारहवीं शती
नवीं शती 
चौदहवीं शती

3. आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है
1 (ध्वनि) 
2 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग)
3 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र) 
4 (ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र, वस्तु) 

4. आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है
3
4
7
9

5. अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं
10
44
33
35 

6. मम्मट ने ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है
41
51
31
21

7. ध्वन्यालोक के रचनाकार है
आनन्दवर्धन
उद्भट
वामन
दण्डी

8.शब्द के प्रतीयमान (व्यंग्यार्थ) को ध्वनि माननेवाले आचार्य है
उद्भट
वामन
दण्डी 
आनन्दवर्धन 

9. भारतीय काव्यशास्त्र के प्रमुख काव्यशास्त्रियों का सही क्रम क्या है ?
क) आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ, विश्वनाथ
ख) भरत मुनि, आनन्दवर्धन, विश्वनाथ, जगन्नाथ 
ग) जगन्नाथ, विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि
घ) विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, भरत मुनि, जगन्नाथ

10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
आनन्दवर्धन --ध्वन्यालोक
राजशेखर-- काव्यमीमांसा
शोभाकर मित्र -- अलंकार रत्नाकर
अभिनवगुप्त--- ध्वन्यालोकलोचन


 
  भारतीय काव्यशास्त्र – ध्वनि का स्वरूप (DHWANI KA SWAROOP)

सह्रदय की अवधारणा (SAHRIDAYA KI AVADHARNA)

सह्रदय की अवधारणा (SAHRIDAYA KI AVADHARNA) सह्रदय की अवधारणा (SAHRIDAYA KI AVADHARNA)

भारतीय काव्यशास्त्र – साधारणीकरण (SADHARNIKARAN)

भारतीय काव्यशास्त्र – साधारणीकरण

1. भावकत्वं साधारणीकरण यह परिभाषा किसने दी है
(क) भट्टनायक (ख) भट्टलोल्लट (ग) आचार्य शंकुक (घ) डॉ. नगेन्द्र

2. रस सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य का नाम क्या है –
(क) भरत मुनि (ख) मम्मट (ग) अभिनवगुप्त (घ) भट्टनायक

3. इनमें से कौन-सा आचार्य रस सूत्र का व्याख्याता नहीं है
(क) आनन्द वर्धन (ख) अभिनवगुप्त (ग) भट्टनायक (घ) भट्टलोल्लट

4. साधारणीकरण सिद्धान्त के आविष्कर्ता आचार्य कौन है –
(क) भट्टनायक (ख) आचार्य अभिनवगुप्त (ग) भट्टलोल्लट (घ) आचार्य शंकुक

5. साधारणीकरण का अर्थ है – 
किसी रचना को पढ़कर पात्रों के साथ पाठक का सामान्य भाव भूमि में आ जाना
सामान्य पाठक द्वारा साधारण रचना का रसास्वादन
किसी कृति को पढ़ते समय पाठक द्वारा स्वयं को साधारण समझना
इनमें से कोई नही

6. साधारणीकरण आलम्बन धर्म का होता है – किसकी उक्ति है
रामचंद्रशुक्ल
नगेंद्र
गुलाबराय
द्विवेदी

7. रस सिद्धांत के पहले पहल साधारणीकरण का प्रयोग करनेवाले विद्वान थे।
(क) भट्टनायक (ख) भट्टलोल्लट (ग) आचार्य रामचंद्रशुक्ल (घ) डॉ. नगेन्द्र

8. कवि भावना का साधारणीकरण मानने वाले व्याख्याकार
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
गुलाबराय
द्विवेदी

9. सहृदय की चेतना का साधारणीकरण मानने वाले व्याख्याकार
केशवप्रसाद मिश्र
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
गुलाबराय

10. इनमें से किस आचार्य ने वाक्यं रसात्मकं काव्यं कहा है
(क) मम्मट 
(ख) विश्वनाथ  (ग) पण्डितराज जगन्नाथ (घ) अभिनवगुप्त


  भारतीय काव्यशास्त्र – साधारणीकरण (SADHARNIKARAN)

रस प्रक्रिया (भट्टनायक और अभिनवगुप्त) (RAS PRAKRIYA II BHATTNAYAK AUR ABHINAVGUPTA)

रस प्रक्रिया (भट्टनायक और अभिनवगुप्त) (RAS PRAKRIYA II BHATTNAYAK AUR ABHINAVGUPTA) रस प्रक्रिया (भट्टनायक और अभिनवगुप्त) (RAS PRAKRIYA II BHATTNAYAK AUR ABHINAVGUPTA)

रस प्रक्रिया (भट्टलोलट और शंकुक) RAS PRAKRIYA (BHATTLOLLAT AUR SHANKUK)

रस प्रक्रिया (भट्टलोलट और शंकुक) RAS PRAKRIYA (BHATTLOLLAT AUR SHANKUK) रस प्रक्रिया (भट्टलोलट और शंकुक) RAS PRAKRIYA (BHATTLOLLAT AUR SHANKUK)

भरतपूर्व एवं भरत का रस विचार (BHRAT PURVA EVAM BHARAT KA RAS VICHAR)

भरतपूर्व एवं भरत का रस विचार (BHRAT PURVA EVAM BHARAT KA RAS VICHAR) भरतपूर्व एवं भरत का रस विचार (BHRAT PURVA EVAM BHARAT KA RAS VICHAR)

भारतीय काव्यशास्त्र - रसों का परिचय (RASON KA PARICHAY)

भारतीय काव्यशास्त्र - रसों का परिचय 

1. रस संप्रदाय का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ है।
(A) नाट्यशास्त्र
(B) ध्वन्यालोक
(C) अलंकारमंजरी
(D) रसमंजरी

2. निम्नलिखित में से किसे व्यभिचारी भाव कहा जाता है
(क) स्थायी भाव (ख) विभाव (ग) संचारी भाव (घ) अनुभाव

3. निम्नलिखित स्थायी भावों को उनके रस के साथ सुमेलित कीजिए –
सूची – 1 (स्थायी भाव) (क) उत्साह (ख) शोक (ग) जुगुप्सा (घ) निर्वेद
सूची – 2 (रस) 1. करूण 2. शान्त 3. वीर 4. रौद्र 5. बीभत्स
कूट –
A B C D
(A) 3 1 5 2
(B) 1 3 4 5
(C) 4 2 1 3
(D) 3 5 1 4

4. 'रस मीमांसा' के विषय में कहा जाता है –
I. 'रस मीमांसा' के लेखक अभिनव गुप्त हैं।
॥. रस मीमांसा' के लेखक रामचंद्र शुक्ल हैं।
III. रस मीमांसा' के संपादक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।
IV. रस मीमांसा' के लेखक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।

सही विकल्प बताइए –
(A) । और II सही
(B) II और III सही
(C) I सही और III गलत
(D) ॥ सही और III गलत

5. "विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः" रससूत्र है -
I. उक्त सूत्र के उद्भावक मम्मट हैं।
॥. उक्त सूत्र में संचारी भाव का उल्लेख है ।
III. उक्त सूत्र में स्थायीभाव का स्पष्ट उल्लेख है ।
IV. उक्त तीनों कथन सही हैं।
सही विकल्प बताइए –
(A) I और II दोनों सही
(B) I, ।I और ।।। तीनों सही
(C) । और III दोनों सही
(D) I, III, IV तीनों गलत

6. प्रेयानू रस की चर्चा सर्वप्रथम किस आचार्य ने की –
(क) आनन्दवर्धन (ख) उद्भट (ग) भरतमुनि (घ) रुद्रट

7. भरत मुनि ने कितने रस माने हैं ---
(क) नौ (ख) आठ (ग) दस (घ) ग्यारह

8. स्थायी भावों की संख्या कितनी मानी गई है –
(क) आठ (ख) नौ (ग) दस (घ) ग्यारह

9. किस रस को रसराज की संज्ञा दी गई है –
(क) करूण (ख) वात्सल्य (ग) श्रृंगार (घ) रौद्र

10. संचारी भावों की संख्या कितनी होती है –
(क) दस (ख) नौ (ग) तौंतीस (घ) पच्चीस


  भारतीय काव्यशास्त्र - रसों का परिचय (RASON KA PARICHAY)

भारतीय काव्यशास्त्र – रस अवयव-स्वरूप (RAS AVAYAV AUR SWAROOP)

भारतीय काव्यशास्त्र – रस अवयव-स्वरूप

1. रस संप्रदाय का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ है।
(A) नाट्यशास्त्र
(B) ध्वन्यालोक
(C) अलंकारमंजरी
(D) रसमंजरी

2. निम्नलिखित में से किसे व्यभिचारी भाव कहा जाता है
(क) स्थायी भाव (ख) विभाव 
(ग) संचारी भाव (घ) अनुभाव 

3. निम्नलिखित स्थायी भावों को उनके रस के साथ सुमेलित कीजिए –
सूची – 1 (स्थायी भाव)   (क) उत्साह (ख) शोक (ग) जुगुप्सा (घ) निर्वेद
सूची – 2 (रस)                  1. करूण 2. शान्त 3. वीर 4. रौद्र 5. बीभत्स
कूट –
     A B C D
(A) 3 1 5 2
(B) 1 3 4 5
(C) 4 2 1 3
(D) 3 5 1 4

4. 'रस मीमांसा' के विषय में कहा जाता है –
I. 'रस मीमांसा' के लेखक अभिनव गुप्त हैं।
॥. रस मीमांसा' के लेखक रामचंद्र शुक्ल हैं।
III. रस मीमांसा' के संपादक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।
IV. रस मीमांसा' के लेखक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।

सही विकल्प बताइए –
(A) । और II सही 
(B) II और III सही 
(C) I सही और III गलत
(D) ॥ सही और III गलत

5. "विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः" रससूत्र है -
I. उक्त सूत्र के उद्भावक मम्मट हैं।
॥. उक्त सूत्र में संचारी भाव का उल्लेख है ।
III. उक्त सूत्र में स्थायीभाव का स्पष्ट उल्लेख है ।
IV. उक्त तीनों कथन सही हैं।
सही विकल्प बताइए –
(A) I और II दोनों सही
(B) I, ।I और ।।। तीनों सही
(C) । और III दोनों सही
(D) I, III, IV तीनों गलत 

6. प्रेयानू रस की चर्चा सर्वप्रथम किस आचार्य ने की –
(क) आनन्दवर्धन (ख) उद्भट (ग) भरतमुनि 
(घ) रुद्रट 

7. भरत मुनि ने कितने रस माने हैं ---
(क) नौ 
(ख) आठ (ग) दस (घ) ग्यारह 

8. स्थायी भावों की संख्या कितनी मानी गई है –
(क) आठ (ख) नौ (ग) दस (घ) ग्यारह

9. किस रस को रसराज की संज्ञा दी गई है –
(क) करूण (ख) वात्सल्य 
(ग) श्रृंगार  (घ) रौद्र 

10. संचारी भावों की संख्या कितनी होती है –
(क) दस (ख) नौ 
(ग) तौंतीस (घ) पच्चीस 

11. मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
शान्त
श्रृंगार
करुण
हास्य

  भारतीय काव्यशास्त्र – रस अवयव-स्वरूप (RAS AVAYAV AUR SWAROOP)

भारतीय काव्यशास्त्र – शब्द शक्ति (SHABD SHAKTI)

भारतीय काव्यशास्त्र – शब्द शक्ति

1. रूढ़ा और प्रयोजनवत्ती किस शब्दशक्ति के प्रमुख भेद है
लक्षण
अभिधा
व्यंजन
तात्पर्यवृत्ति

2, अभिधा और लक्षण द्वारा अपना-अपना अर्थ बताकर शांत हो जाने पर किसी अन्य ही अर्थ का बोधन होता है, वहाँ कौन-सी शब्दशक्ति होती है।
व्यंजन
लक्षण
अभिधा
तात्पर्यवृत्ति

3. शब्दशक्ति को व्यापार किसने कहा है
मम्मट
वामन
भामह
विश्वनाथ

4. वाच्यार्थ का सम्बन्ध किस शब्द-शक्ति से होता है –
अभिधा
लक्षण
व्यंजन
इनमें से कोई नहीं

5. जब सिंह तलवार लेकर उतरा तो गीदड़ भाग गए। इस वाक्य में कौन-सी शब्द शक्ति है
लक्षण
अभिधा
व्यंजन
इनमें से कोई नहीं

6. घर गंगा में है इस वाक्य में कौन-सी शब्द शक्ति है
व्यंजन
लक्षण
अभिधा
तात्पर्या

7. ''अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणा हीन।
अधम व्यजना रस विरत उलटी कहत प्रवीन॥''
देव
चिंतामणि
मम्मट
भिखारीदास

8. गौडी और शुद्धा किसके उपभेद हैं
लक्षण
अभिधा
व्यंजन
तात्पर्यवृत्ति

9. सारोपा क्या है
शब्द शक्ति का एक भेद
अलंकार
ध्वनि का एक भेद
रीति का एक भेद

10. अविवक्षित वाच्य ध्वनि किस पर आधारित है
लक्षण पर
अभिधा पर
व्यंजन पर
इनमें से कोई नहीं


  भारतीय काव्यशास्त्र – शब्द शक्ति (SHABD SHAKTI)