रविवार, 29 जनवरी 2017

देशभाषा काव्य और बीसलदेव रासो

देशभाषा काव्य और बीसलदेव रासो

इस वीडियो के माध्यम से बीसलदेव रासो का कथानक और उसके रचनाकार के बारे में जान सकेंगे। बीसलदेव रासो में आए बारहमास से परिचित करवाकर, उनके महत्व के बारे में समझ सकते है।

*** देशभाषा काव्यों में बीसलदेव रासो महत्वपूर्ण स्थान है। इस ग्रंथ की रचना नरपति नाल्ह ने की है।

*** आचार्य रामचंद्रशुक्ल जी ने वीरगाथाकाल की रचनाओं को देशभाषा कहा है।

*** बीसलदेव रासो लगभग सवा सौ छंदों की छोटी सी रचना है, जिसे आदिकाल के लोक-प्रचलित काव्य में रखा।

*** बीसलदेव का उड़ीसा जाना तथा रानी राजमती का विरह वियोग में डूब जाना, इस ग्रन्थ की मूल कथावस्तु है।

*** कवि ने बारह वर्षों के इस काल को राजारानी की मानसिक स्थिति को बडी कुशलता के साथ चित्रित किया है।





आदिकालीन हिन्दी कविता की उपलब्धियाँ

आदिकालीन हिन्दी कविता की उपलब्धियाँ

आदिकाल की पृष्ठभूमि और परिस्थितियाँ

आदिकाल की पृष्ठभूमि और परिस्थितियाँ

आदिकाल की पृष्ठभूमि और परिस्थितियाँ 

इस वीडियो में आदिकाल की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं से परिचित करवाया और आदिकाल के सामाजिक – सांस्कृतिक परिस्थितियों को समझाने की कोशिश की। 

*** आचार्य रामचंद्रशुक्ल ने आदिकाल का समय संवत् 1050 से संवत् 1375 निर्धारित किया। 

*** आदिकाल में राजनीतिक उथल-पृथल था और लगातार युद्धों के कारण जनता को पीडा भुगतना पडा था। 

*** मुख्यतः राजा एक दूसरे से क्षेत्र विस्तात और सुंदर स्त्री को पाने केलिए युद्ध में संलग्न है।
 

रीतिमुक्त काव्य की मुख्य प्रवृत्तियाँ