रविवार, 6 मार्च 2016
मंगलवार, 1 मार्च 2016
रामदरश मिश्र
रामदरश मिश्र
रामदरश मिश्र हिन्दी के श्रेष्ठ उपन्यासकार, कवि और आलोचक हैं। उनकी रचनाओं का कथा साहित्य में विशिष्ट स्यान है। हिन्दी उपन्यास साहित्थ के संवर्ध्दन में डाँ.रामदरश मिश्र का महात्वपर्ण योगदान है। बहुमुखी प्रतिभा के घनी मिश्र ने उपन्यास, कविता, कहानी, आलोचना, निबन्ध तथा आत्मकथा जैसी विधाओं में महत्वपूर्ण लेखन किया है। इनमें सर्वाधिक ख्याति उनके उपन्यासों को मिली है।
मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016
मीरा के श्रृंगारपरक पद (Teaching Aids)
मीरा के श्रृंगारपरक पद (Teaching Aids)
मीराबाई - कवि
परिचय
हिन्दी
साहित्य के भक्तिकाल की कवियत्रियों में मीराबाई प्रथम कवियत्री है। मीराबाई
राजस्थान के मेडता वीर शासक एवं रात्नसिंह की इकलौती पुत्री थी। उनका जन्म
मेडता के चौकडी नामक गाँव में हुआ। उनका विवाह मेवाड के राणा सांगा के ज्येष्ठ
पुत्र कुँवर भोजराज के साथ मीरा का विवाह कर दिया। परन्तु उनका वैवाहिक जीवन बहुत
ही संक्षिप्त रहा और विवाह के कुछ समय बाद ही कुँवर भोजराज की मृत्यु हो गयी। अतः
बीस वर्ष की उम्र में ही मीरा विधवा हो गयी। शोक में डूबी मीरा को कृष्ण के प्रेम
का सहारा मिला। राजगृह की मर्यादा की रक्षा के लिए मीरा को मारने का प्रयत्न किया,
पर वे मीरा को मार न सके। इस घटना के बाद मीरा ने गृह-त्याग करके पवित्र स्थानों
की यात्रा की। मीराबाई के प्रेम का मूलाधार श्रीकृष्ण ही है। उनके पदों में
सर्वत्र ही उनकी व्यक्तिगत अनुभूतियों का प्रतिबिंब झलक उठता है।
दरस बिन दूखण लागे नैन।
जबसे तुम बिछुड़े प्रभु मोरे, कबहुं न पायो चैन।
सबद सुणत मेरी छतियां, कांपै मीठे लागै बैन।
बिरह व्यथा कांसू कहूं सजनी, बह गई करवत ऐन।
कल न परत पल हरि मग जोवत, भई छमासी रैन।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, दुख मेटण सुख देन।
मीरा के भक्तिपरक पद (Teaching Aids)
मीरा के भक्तिपरक पद (Teaching Aids)
मीराबाई - कवि
परिचय
हिन्दी
साहित्य के भक्तिकाल की कवियत्रियों में मीराबाई प्रथम कवियत्री है। मीराबाई
राजस्थान के मेडता वीर शासक एवं रात्नसिंह की इकलौती पुत्री थी। उनका जन्म
मेडता के चौकडी नामक गाँव में हुआ। उनका विवाह मेवाड के राणा सांगा के ज्येष्ठ
पुत्र कुँवर भोजराज के साथ मीरा का विवाह कर दिया। परन्तु उनका वैवाहिक जीवन बहुत
ही संक्षिप्त रहा और विवाह के कुछ समय बाद ही कुँवर भोजराज की मृत्यु हो गयी। अतः
बीस वर्ष की उम्र में ही मीरा विधवा हो गयी। शोक में डूबी मीरा को कृष्ण के प्रेम
का सहारा मिला। राजगृह की मर्यादा की रक्षा के लिए मीरा को मारने का प्रयत्न किया,
पर वे मीरा को मार न सके। इस घटना के बाद मीरा ने गृह-त्याग करके पवित्र स्थानों
की यात्रा की। मीराबाई के प्रेम का मूलाधार श्रीकृष्ण ही है। उनके पदों में
सर्वत्र ही उनकी व्यक्तिगत अनुभूतियों का प्रतिबिंब झलक उठता है।
श्री गिरधर आगे नाचुंगी ।।
नाची नाची पिव रसिक रिझाऊं प्रेम जन कूं जांचूंगी।
प्रेम प्रीत की बांधि घुंघरू सूरत की कछनी काछूंगी ।।
श्री गिरधर आगे नाचुंगी ।।
लोक लाज कुल की मर्यादा, या मैं एक ना राखुंगी।।
पिव के पलंगा जा पौढुंगी, मीरा हरि रंग राचुंगी।।
श्री गिरधर आगे नाचुंगीमीरा के पद
सोमवार, 22 फ़रवरी 2016
भारतीय काव्य शास्त्र एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र
भारतीय काव्य शास्त्र एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र
1. रमणीयार्थ
प्रतिपादक शब्द काव्याम् किस आचर्य का कथन है
(क)
मम्मट (ख) विश्वनाथ (ग) पंडितराज
जगन्नाथ (घ) भामह
2. प्रसाद
गुण का सम्बन्ध किस रीति से है
(क)
वैदर्भी (ख) गौडीं (ग) पांचाली
(घ) इनमें से कोई नहीं
3. निम्नलिखित
में से किसे व्यभिचारी भाव कहा जाता है
(क)
स्थायी भाव (ख) विभाव (ग) संचारी
भाव (घ) अनुभाव
4. काव्याचार्यों
का सही विरीयता क्रम बताइए—
(क) भट्ट लोल्लट, शंकुक, भट्टनायक, अभिनव गुप्त
(ख) शंकुक, भट्ट लोल्लट, अभिनव गुप्त, भट्टनायक
(ग) अभिनव गुप्त, भट्टनायक, शंकुक, भट्ट लोल्लट
(घ) भट्टनायक, भट्ट लोल्लट, अभिनव गुप्त, भट्टनायक
5. रस को ब्रह्मानन्द सहोदर मानने वाले हैं
---
(क) भरतमुनि (ख)
भामह (ग) अभिनव गुप्त (घ) दण्डी
6. उदात्तवाद का सम्बन्ध किससे है –
(क) लोंजाइनस (ख) क्रोचे (ग)
टी. एस. इलियट (घ) ज्याँ पाल सात्र
7. काव्यादर्श के रचनाकार हैं –
(क) भामह (ख) विश्वनाथ (ग) आनन्दवर्धन (घ)
दण्डी
8. जहाँ कारण होते हुए भी कार्य सम्पन्न न हो,
वहाँ कौनसा अलंकार होता है –
(क) दृष्टान्त (ख) विशेषोक्ति (ग) असंगति (घ) विभावना
9. कुन्तक ने रीति के कौनसे तीन भेद माने हैं
(क) गौड़ी, वैदर्भी, पांचाली (ख)
गोड़ी, पांचाली, लाटी
(ग) गौड़ी, वैदर्भी, लाटी (घ)
सुकुमार, विचित्र, मध्यम
10. निम्नलिखित में
किसकी प्रतिभा को भावयित्री प्रतिभा कहा गया है—
(क) आचार्य (ख) कवि (ग) अभिनेता (घ) सह्रदय
11. कालरिज ने
कल्पना के कौनसे दो भेद बताए हैं—
(क) शुद्ध कल्पना – मिश्रित कल्पना (ख) प्राथमिक कल्पना – विशिष्ट कल्पना
(ग)
कल्पानिक कल्पना – यथार्थ कल्पना (घ) भाव कल्पना – वस्तु कल्पना
12. आचर्य मम्मट ने
काव्य के कितने गुण माने हैं –
(क) दस (ख) तीन (ग) पन्द्रह (घ) आठ
13. काव्यशोभाकारन्
धर्मानूलंकरान प्रच्क्षते किस की उक्ति है –
(क) भामह (ख) विश्वनाथ (ग) वामन (घ) दण्डी
14. वाच्यार्थ का
सम्बन्ध किस शब्द-शक्ति से होता है –
(क) अभिधा (ख) लक्षणा (ग) व्यंजना (घ) इनमें से कोई नहीं
15. काव्य चिन्तकों
का सही विरीयता क्रम बताइए –
(क) अरस्तू (ख) आई. ए. रिचर्डस् (ग) टी.एस. इलियट (घ) सिगमण्ड फ्रॉयड
कूट ( A) 1,2,3,4 (B)
1,3,4,2 (C) 1,3,2,4 (D) 1,4,3,2
16. निम्नलिखित में
से किसे आरोपवाद के नाम से जाना जाता है –
(क)
भुक्तिवाद (ख) अभिव्यक्तिवाद (ग)
उत्पत्तिवाद (घ) अनुमितिवाद
17. प्रेयानू रस की चर्चा सर्वप्रथम किस आचार्य ने की
–
(क) आनन्दवर्धन (ख) उद्भट (ग) भरतमुनि (घ) रुद्रट
18. त्रिसदी का
सर्वप्रथम विवेचन करने वाले हैं –
(क) प्लेटो (ख) अरस्तू (ग) रामचन्द्र शुक्ल (घ) डॉ. नगेन्द्र
19 आचार्य शंकुक का
अनुमितिवाद किस दर्शन पर आधारित है ---
(क)
न्याय
दर्शन (ख) मीमांसा दर्शन (ग) सांख्य दर्शन (घ) शैव दर्शन
20. निम्नलिखित में
कौनसा विषम संयोजन है –
(क) ज्याँ पाल सात्र – अस्तित्व वाद (ख) टी. एस. इलियट – निर्वेयक्तिकतावाद
(ग)
लोजाइनस – विखण्डनवाद (घ) क्रोचे –
अभिव्यंजनावाद
21. वक्रोक्ति
जीवितम् किसकी रचना है –
(क) मम्मट (ख) कुन्तक (ग) जगन्नाथ (घ) अभिनव गुप्त
22. औचित्यं
रससिद्धस्य स्थिरं काव्यस्य जीवितम् किसकी उक्ति है –
(क) कुन्तक (ख) वामन (ग) दण्डी
(घ) क्षेमेन्द्र
23. निम्नलिखित
स्थायी भावों को उनके रस के साथ सुमेलित कीजिए –
सूची – 1 (स्थायी भाव)
(क)
उत्साह (ख) शोक (ग) जुगुप्सा (घ) निर्वेद
सूची – 2 (रस)
1.
करूण 2. शान्त
3. वीर 4. रौद्र 5. विभत्स
कूट –
A
B C D
(A)
3
1 5 2
(B)
1
3 4 5
(C)
4
2 1 3
(D)
3
5 1 4
24. चन्द्रालोक किस आचार्य की रचना है –
(क) आचार्य जयदेव (ख) पंडितराज जगन्नथ (ग) अप्पय दीक्षित (घ)
चिन्तामणि
25. विभावना अलंकार
कहाँ होता है –
(क) जहाँ कारण कहीं हो और कार्य कहीं और हो
(ख) जहाँ कारण होते हुए भी कार्य न हो
(ग) जहाँ
बिवा कारण के कार्य हो (घ) जहाँ कराण के
विपरीत कार्य हो
26. भरतमुनि के
रससूत्र में संयोग और निष्पत्ति को अनुमान और अनुमिति किसने कहा है.
(क) अभिनव गुप्त (ख) भट्टनायक (ग) भट्टलोल्लट (घ) शंकुक
27. अनुकरण को
प्रतिकृति न मानकर तुनर्सृजन किसने माना है ---
(क) अरस्तू (ख) प्लेटो (ग) लोंजाइनस (घ) इनमें सो किसी ने नहीं
28. रस सम्प्रदाय के
प्रवर्तक आचार्य का नाम क्या है –
(क) भरत मुनि (ख) मम्मट (ग) अभिनवगुप्त (घ) भट्टनायक
29. भरतमुनि के
ग्रन्थ का नाम बताइए –
(क) काव्यप्रकाश (ख) ध्वन्यालोक (ग) नाट्यशास्त्र (घ) रूपक रहस्य
30. भरत मुनि ने
कितने रस माने हैं ---
(क) नौ (ख) आठ (ग)
दस (घ) ग्यारह
31. इनमें से कौन-सा
आचार्य रस सूत्र का व्याख्याता नहीं है
(क) आनन्द वर्धन (ख) अभिनवगुप्त (ग) भट्टनायक
(घ) भट्टलोल्लट
32. साधारणीकरण
सिद्धान्त के आविष्कर्ता आचार्य कौन है –
(क) भट्टनायक (ख) आचार्य अभिनवगुप्त (ग) भट्टलोल्लट (घ)
आचार्य शंकुक
33. लल्लट के मत से
विभावादि एवं स्थायी भाव के संयोग का क्या अर्थ है—
(क) अनुमाप्य-अनुमापक सम्बन्ध (ख) उत्पाद्य – उत्पादक सम्बन्ध
(ग)
भोज्य – भोजक सम्बन्ध (घ) कोई नहीं
34. शंकुक ने रस
सूत्र में संयोग का अर्थ क्या माना है –
(क) उत्पत्ति (ख) भुक्ति (ग) अभिव्यक्ति (घ) अनुमिति
35. भुक्तिवाद किस
आचार्य के रस निष्पत्ति सम्बनधी मत का नाम है
(क) आचार्य मम्मट (ख) आचार्य विश्वनाथ (ग) आचार्य
अभिनवगुप्त (घ) भट्टनायक
36. रस सूत्र में
संयोग का अर्थ भोज्य-भोजक सम्बन्ध किस आचार्य ने माना है –
(क) आचार्य शंकुक (ख) भट्टनायक (ग) अभिनवगुप्त (घ) विश्वनाथ
37. भट्टनायक ने रस
का स्थान कहां माना है –
(क) रंगमंच (ख) काव्य विबद्ध (ग) सह्रदय सामाजिक का चित्त (घ) मूल पात्र
38. अभिनवगुप्त के
रस निष्पत्ति सम्बन्धी मत को किस नाम से जाना जाता है—
(क) भुक्तिवाद (ख) अभिव्यक्तिवाद (ग) आरोपवाद (घ) उत्पत्तिवाद
39. स्थायी भावों की
संख्या कितनी मानी गई है –
(क) आठ (ख) नौ (ग) दस (घ) ग्यारह
40. किस रस को रसराज
की संज्ञा दी गई है –
(क) करूण (ख) वात्सल्य (ग) श्रृंगार (घ) रौद्र
41. संचारी भावों की
संख्या कितनी होती है –
(क) दस (ख) नौ (ग) तौंतीस (घ) पच्चीस
42. जब सिंह तलवार
लेकर उतरा तो गीदड़ भाग गए। इस वाक्य में कौन-सी शब्द शक्ति है
(क) अभिधा (ख) लक्षणा (ग) व्यंजना (घ) कोई नहीं
43. घर गंगा में है
इस वाक्य में कौन-सी शब्द शक्ति है
(क) लक्षणा (ख) व्यंजन (ग) अभिधा (घ) तात्पर्या
44. भूषन बिनु न
बिराजई कविता बनिता मित्त यह कथन किसका है
(क) बिहारी
(ख) मतिराम (ग) केशव (घ) रहीम
45. यथार्थवाद और
अतियथार्थवाद का जन्म कहां हुआ
(क) रूस (ख) इंग्लैण्ड (ग) जर्मनी (घ) फ्रांस
46. इनमें से किस
आचार्य ने वाक्यं रसात्मकं काव्यं कहा है
(क) मम्मट (ख) विश्वनाथ (ग) पण्डितराज जगन्नाथ (घ) अभिनवगुप्त
47. स्वच्छन्दतावाद
का जन्मदाता कौन है-
(क) हीगल (ख) रूसो (ग) मौक्स वेबर (घ) विकटर ह्रूगो
48. भूषण बिनु न
विराजई कविता बनिता मित्र में अलंकार बताइए –
(क) श्लेष (ख) यमक (ग) उत्पेक्षा (घ) भ्रान्तिमान
49. संचारी भाव एवं
स्थायी भाव के बीच पोषक-पोषक सम्बन्ध होता है यह मत किस आचार्य का है ---
(क) भट्टनायक (ख) आचार्य शंकुक (ग) आचार्य अभिनव गुप्त (घ) भट्ट लोल्लट
50. भावकत्वं
साधारणीकरण यह परिभाषा किसने दी है
(क) भट्टनायक (ख) भट्टलोल्लट (ग) आचार्य शंकुक (घ) डॉ. नगेन्द्र
शनिवार, 20 फ़रवरी 2016
गुरु का महत्व - संत कबीरदास (LESSON PLAN)
गुरु का महत्व-संत कबीरदास (LESSON PLAN)
गुरु का महत्व
(संत कबीरदास)
कवि परिचय:- (जन्म 1399- मृत्य
1495)
कबीर एक संत एवं समाज सुधारक थे। महात्मा “कबीरदास”
भक्तिकाल की निर्गुणभक्ति धारा के “ज्ञानाश्रयी शाखा” के कवियों मे सबसे अधिक
महत्वपूर्ण है। आप हिन्दी के सर्वप्रथम “रहस्यवादी” कवि भी है। आपका जीवन चरित्र
अत्यंत विवादास्पद है। फिर भी यह मानी हुई बात है कि आपका जन्म हिंदु विधवा ब्राह्मणी
के गर्भ से हुआ था। और आपका पालन-पोषण मुसलमान जुलाहा दंपति ने किया। फिर भी
इन्होंने “हिंदु-मुसलिम-ऐक्यविधायक” बने। इन्होंने दोनों धर्मों के बाह्याडंबरों
और दुराचारों का खण्डन किया था। वे अनपढ थे। उन्होंने खूब देशाटन किया था। वे
स्वयं आत्मज्ञानी थे। इनके गुरु का नाम “रामानंद” माना गया था। “धर्मदास” इनके
प्रधान शिष्य थे।
कबीर की ग्रंथ “बीजक” है। आप करघे पर काम करते
हुए बोलते जाते थे। आपके शिष्यों ने आपके वचनों को संगृहित करके एक ग्रंथ लिखा था।
उस ग्रंथ का नाम बीजक है। इसमें “साखी, सबद, रमैनी” तीन भाग हैं। उनकी भाषा “सधुक्कडी”
या “खिचडी” कही जाती हैं। कबीरदास के अनेक रुप हैं। वे भक्त, प्रेम, ज्ञानी और
समाज सुधारक।
गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढ गढ काढै
खोट।
अंतर
हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।
तुलसी सुधा (LESSON PLAN)
तुलसी सुधा (LESSON PLAN)
तुलसी सुधा
कवि परिचय:-
गोस्वामी “तुलसीदास”
भक्तिकाल की सगुणभक्ति धारा के “रामभक्ति शाखा” के प्रवर्तक एवं प्रतिनिधी कवि है।
उनका जन्म सन् 1532 में और मृत्यू सन् 1623 में हुआ था। इनके पिता का नाम “आत्मारामदूबे”
और माता का नाम “हुलसी” था। मूला नक्षत्र के अशुभा मुहुर्त में पैदा होने के कारण
इनके माता पिता इन्हें छोड दिया था। “बाबानरहरिदास” ने इनका पालन-पोषण किया था।
बाद में “रत्नावली” नामक एक स्त्री से आपका विवाह हुआ था। तुलसी राम के अनन्य भक्त
थे। वे मध्ययुग के सबसे बडे लोकनायक माना गया था। क्योंकि वे समाज के प्रत्येक
वर्ग के लोगों को मार्गदर्शन किया था। इनके गुरु का नाम “बाबानरहरिदास” माना गया था।
तुलसी की निम्नलिखित बारह रचनाएँ हैं –
“रामचरितमानस, विनयपत्रिका, वैराग्य संदीपिनी, रामलला नहछू दोहावली, रामाज्ञा प्रश्न,
बरवै रामायण, कृष्णगीतावली, कवितावली, गीतावली, दोहावली, जानकी मंगल, पार्वती मंगल”
आदि प्रसिद्द ग्रंथ हैं। “रामचरितमानस” तुलसी की अमर रचना है। इन्होंने अवधि और
व्रज दोनों ही भाषाओं में रचनाएँ किये थे। भाषा और शैली दोनों ही दृष्टी से वे
अपने समय के बेजोड थे।
तुलसी संत सुअंब तरु, फूलिं फलहिं परहेत।
इतते ये पाहन हनत, उतते वे फल देत।।
इतते ये पाहन हनत, उतते वे फल देत।।
तुलसी सुधा (Teaching Aids)
तुलसी सुधा (Teaching Aids)
तुलसी सुधा
कवि परिचय:-
गोस्वामी “तुलसीदास”
भक्तिकाल की सगुणभक्ति धारा के “रामभक्ति शाखा” के प्रवर्तक एवं प्रतिनिधी कवि है।
उनका जन्म सन् 1532 में और मृत्यू सन् 1623 में हुआ था। इनके पिता का नाम “आत्मारामदूबे”
और माता का नाम “हुलसी” था। मूला नक्षत्र के अशुभा मुहुर्त में पैदा होने के कारण
इनके माता पिता इन्हें छोड दिया था। “बाबानरहरिदास” ने इनका पालन-पोषण किया था।
बाद में “रत्नावली” नामक एक स्त्री से आपका विवाह हुआ था। तुलसी राम के अनन्य भक्त
थे। वे मध्ययुग के सबसे बडे लोकनायक माना गया था। क्योंकि वे समाज के प्रत्येक
वर्ग के लोगों को मार्गदर्शन किया था। इनके गुरु का नाम “बाबानरहरिदास” माना गया था।
तुलसी की निम्नलिखित बारह रचनाएँ हैं–
“रामचरितमानस, विनयपत्रिका, वैराग्य संदीपिनी, रामलला नहछू दोहावली, रामाज्ञा प्रश्न,
बरवै रामायण, कृष्णगीतावली, कवितावली, गीतावली, दोहावली, जानकी मंगल, पार्वती मंगल”
आदि प्रसिद्द ग्रंथ हैं। “रामचरितमानस” तुलसी की अमर रचना है। इन्होंने अवधि और
व्रज दोनों ही भाषाओं में रचनाएँ किये थे। भाषा और शैली दोनों ही दृष्टी से वे
अपने समय के बेजोड थे।
तुलसी संत सुअंब तरु, फूलिं फलहिं परहेत।
इतते
ये पाहन हनत, उतते वे फल देत।।
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