शनिवार, 6 फ़रवरी 2016
शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016
जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज) - लेखक-पी.साईनाथ (Teaching Aids)
जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज) - लेखक-पी.साईनाथ
प्रस्तुतीकरण - नागमणि
जहाँ पहिया है(रिपोर्ताज)
इकाई पाठ योजना
लेखक पी.साईनाथ
पुडुकोट्टई (तमिलनाडु): साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन हैं। कुछ
अजीब-सी बात है-है न! लेकिन चौंकने की
बात नहीं है। पुडुकोट्टई जिले की हजारों
नवसाक्षर ग्रामीण महिलाओं के लिए यह अब आम बात है। अपने पिछडेपन पर लात मारने,
अपना विरोध व्यक्त करने और उन जंजीरों को तोडने का जिनमें वे जकडे हुए हैं,
कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं। कभी-कभी ये तरीके अजीबो-गरीब होते हैं।
भारत के सर्वाधिक गरीब जिलों में से एक है
पुडुकोट्टई। पिछले दिनों यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता आजादी और
गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रुप में साइकिल को चुना है। उनमें से
अधिकांश नवसाक्षर थीँ। अगर हम दस वर्ष से कम उम्र की लडकियों को अलग कर दें तो
इसका अर्थ यह होगा कि यहाँ ग्रामीण महिलाओं के एक-चौथाई हिस्से ने साइकिल चलाना सीख
लिया हैं और इन महिलाओं में से सत्तर हजार से भी अधिक महिलाओं ने प्रदर्शन एवं
प्रतियोगिता जैसे सार्वजानिक कार्यक्रमों में बडे गर्व के साथ अपने नए कौशल का प्रदर्शन
किया और अभी भी उनमें साइकिल चलाने की उच्छा जारी है। वहाँ इसके लिए कई प्रशिक्षण
शिविर चल रहे हैं।
जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज)(Teaching Aids)
गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016
सोमवार, 1 फ़रवरी 2016
मुक्तिबोध
मुक्तिबोध
मुक्तिबोध की कविताओं में लोक जीवन क यथार्थ रूप
दृष्टव्य होता है। वे अपने शब्दों की दूरदर्शी निगाहों से लोक जीवन के यथार्थ को
अंकित करते हैं। अपनी जीवन-यात्रा में वे जनपद के अनुभवों को आत्मसात करके संवेदित
करते हैं। उनकी कविता जीवन संघर्ष की पंक्तियाँ हैं-
उन किसानों के संघर्ष जीवन की
उसके भई पार पुनः जीवन के समतल में
नये-नये प्रश्नों के
लक्ष्यों की/नील-लहर यमुना है
श्रमिकों की, कृषकों की बाँहों से बन जाता दो आबा
अथों की हिम-गिरिजा गंगा में
प्राणों की सरयू यह मिलती है
तुलसी स्वर गन्धिता।
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