मंगलवार, 19 जनवरी 2021

भारतीय काव्यशास्त्र – काव्य गुण (KAVYA GUN)

भारतीय काव्यशास्त्र – काव्य गुण 

1. काव्य शोभाया कर्तासे धर्मा गुणाः परिभाषा किसकी है
वामन
कुन्तक
क्षेमेंद्र
दण्डी

2. काव्य गुण के सन्दर्भ में कौन असत्य है
ये काव्य शोभा वृद्धि के विधायक है।
वामन ने इन्हें काव्य का नित्य धर्म माना है।
ये रसोत्कर्ष में सहायक हैं।
इनमें से कोई नही। 

3. आचार्य और गुण सम्बन्धी उनकी विशिष्टता के साथ संयोजन में कौन विषम है
मम्मट – रस गुण का अंग है
भरत मनि – दोषों का विपर्यय गुण है
वामन – गुण काव्य के नित्य धर्म है
आनंदवर्धन – गुण रस का आश्रित है

4. शब्द और अर्थ में किसकी स्थिति से माधुर्य गुण होता है
रस
अलंकार
रीती
ध्वनि

5. किसने गुण के दस भेद माने है
भरत मनि
दण्डी 
उपर्युक्त दोनों 
इनमें से कोई नहीं

6. किसने श्रृतिमधुरता को माधुर्य गुण माना है
भरत मनि
दण्डी
वामन
कुन्तक

7. ओज गुण की कौनसी विशेषता नहीं है
पांचाली रीति
समासबहुल पदावली
वीर, रौद्र रस की निष्पति
पुरूषावृत्ति

8. स्थापना (A) – काव्य की आत्मा रस है और गुण रस के धर्म है।
तर्क (R) - क्योंकि गुण रस के उपकारक है।

(A) और (R) दोनों सही
(A) सही (R) गलत
(A) और (R) दोनों गलत
(A) गलत (R) सही

9. ‘तददोषौ शब्दार्थो सगुणावनंलsकृती पु नः क्वापि।’ – किसका कथन है।
मम्मट
दण्डी
वामन
कुन्तक

10. पदों की श्लिष्टता, अर्थ की सुसंबद्धता, जिसे किसने ‘घटना’ कहते है।
वामन
मम्मट
दण्डी
कुन्तक


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