सोमवार, 12 नवंबर 2018

NTA-UGC-NET EXAM MODEL PAPER-1 (HINDI) MAHARASHTRA STATE ELIGIBILITY TEST-1st DECEMBER, 2013

NTA-UGC-NET EXAM MODEL PAPER-1 (HINDI)
MAHARASHTRA STATE ELIGIBILITY TEST-1st DECEMBER, 2013

1. 'संदेशरासक' किसकी रचना हैं? 
(A) अद्दहमाण
(B) पुष्यदंत
(C) मुल्ला दाऊद
(D) स्वयंभू

2. इनमें से कौन अवधी का कवि नहीं है?
(A) त्रिलोचन शास्त्री ।
(B) केदारनाथ अग्रवाल
(C) नरेश मेहता

(D) डॉ.द्वारिकाप्रसाद मिश्र

3. ‘हाडौती' किस प्रदेश में बोली जाती है?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) गुजरात
(C) हरियाणा
(D) राजस्थान

4. देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से हुआ? 
(A) ब्राह्मी
(B) खरोष्ठी
(C) शारदा
(D) कैथी ।

5. राजभाषा के संदर्भ में कौनसा क्षेत्र 'क' भाषा-क्षेत्र में नहीं आता?
(A) गुजरात
(B) अरुणाचल प्रदेश

(C) उत्तराखंड
(D) अंडमान - निकोबार

6. 'साहित्य का इतिहास दर्शन' किसकी रचना है?
(A) नलिन विलोचन शर्मा
(B) सुमन राजे
(C) रांगेय राघव
(D) बच्चन सिंह

7. आदिकाल को ‘सिद्ध सामंत काल' का नाम किसने दिया?
(A) रामचन्द्र शुक्ल
(B) राहुल सांकृत्यायन
(C) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(D) मिश्रबंधु

8. 'छायावाद' का नामकरण किसने किया?
(A) नामवर सिंह
(B) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
(C) मुकुटधर पांडेय
(D) नंददुलारे वाजपेयी

9. इनमें से एक रचना वीरगाथापरक रासो काव्य नहीं हैं :
(A) बीसलदेव रासो
(B) खुमाण रासो
(C) हमौर रासो
(D) पृथ्वीराज रासो

10. 'योगप्रवाह' किसकी रचना है?
(A) मत्स्येंद्रनाथ
(B) गोरखनाथ
(C) द्विजेंद्रनाथ
(D) यतीन्द्रनाय ।

11. अमीर खुसरो ने किस विधा में रचना नहीं की ?
(A) ग़ज़ल
(B) मुकरी
(C) दो सुखने
(D) रमैनी

12. हिंदी का प्रथम गद्य-ग्रंथ है :
(A) उक्ति-व्यक्ति प्रकरण
(B) भाषा योगवाशिष्ठ
(C) चंद छंद बरनन की महिमा
(D) चौरासी वैष्णवन की वार्ता

13. 'दाद सम्प्रदाय' किस प्रकार का संप्रदाय है?
(A) सगुणोपासक
(B) निर्गुणोपासक
(C) उभयात्मक
(D) नास्तिक

14. 'महानुभाव संप्रदाय' के प्रमुख आराध्य हैं।
(A) राम
(B) कृष्ण
(C) शिव
(D) शक्ति

15. 'मसलानामा' के रचनाकार हैं :
(A) कुतुबन
(B) मंझन
(C) जायसी
(D) नूर मुहम्मद

16. पुष्टिमार्ग सिद्धांत के मूल प्रवर्तक कौन हैं?
(A) वल्लभाचार्य
(B) विट्ठलनाथ
(C) कुंभनदास
(D) जगजीवनदास

17. तुलसीदास की कौनसी रचना ज्योतिष पर आधारित है?
(A) गीतावली
(B) रामलला नहछू 
(C) रामाज्ञा प्रश्न
(D) जानकीमंगल

18. इनमें रीतिकालीन कवियों की कौनसी मुख्य प्रवृत्ति नहीं रही हैं?
(A) लक्षण ग्रंथ–परंपरा
(B) नायक-नायिका भेद
(C) नखशिख वर्णन
(D) योग-दर्शन

19. 'स्वत्व निज भारत गहै’ - यह किसका कथन है?
(A) द्विजदेव
(B) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
(C) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
(D) देवेंद्रनाथ

20. 'शिवशंभु के चिट्ठे' किस पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुए थे?
(A) विशाल भारत
(B) माधुरी
(C) सरस्वती
(D) भारत मित्र

21. मैथिलीशरण गुप्त का एक उपनाम था :
(A) मधुप
(B) राष्ट्रकवि
(C) भारत भारती
(D) मुंशी अजमेरी

22. सन् 2013 किस कवि का जन्मशती-वर्ष है?
(A) शमशेर बहादुर सिंह
(B) भवानीप्रसाद मित्र
(C) केदारनाथ अग्रवाल
(D) नरेंद्र शर्मा

23. प्रयोगवादी काव्यधारा में कौन कवि नहीं है?
(A) कुँवरनारायण ।
(B) भारत भूषण अग्रवाल
(C) शमशेर बहादुर सिंह
(D) नागार्जुन
24. मुक्तिबोध की कौनसी रचना ‘फँटेसी' से प्रभावित नहीं है?
(A) चाँद का मुँह टेवा है ।
(B) ब्रह्मराक्षस
(C) भूल - गलती
(D) अंधेरे में

25. 'सूरा' प्रेमचंद के किस उपन्यास का पात्र है?
(A) कर्मभूमि
(B) कायाकल्प
(C) रंगभूमि
(D) वरदान

30. लक्ष्मीनारायणलाल के नाटक हैं :
(1) अंधा कुजी
(2) मादा कैक्टस
(3) जय-पराजय
(4) सूर्यमुखी
इनमें से कौनसा सही विकल्प है ?
(A) 1, 2 और 3
(B) 2, 3 और 4
(C) 1, 3 और 4
(D) 1, 2 और 4

31. 'रामचरितमानस' के इन कांडों का सही क्रम है :
(A) किष्किघाकांड - अरण्यकांड – सुंदरकांड - लंकाकांड
(B) अरण्यकांड - किष्किघाकांड – सुंदरकांड - लंकाकांड
(C) सुंदरकांड - लंकाकांड - किष्किंघाकांड - अरण्यकांड
(D) लंकाकांड - सुंदरकांड – किष्किंधाकांड - अरण्यकांड

32. निम्नलिखित आचार्यों का सही कालक्रम है :
(A) सुकरात - प्लेटो - अरस्तू - होरेस
(B) प्लेटो - सुकरात - होरेस – अरस्तु
(C) अरस्तू - सुकरात - प्लेटो - होरेस
(D) होरेस - अरस्तू - सुकरात – प्लेटो

33. कालक्रमानुसार आचार्यों का सही अनुक्रम है :
(A) रिचर्डस - मैथ्यू आर्नड - कोरे - इलियट
(B) मैथ्यू आर्नल्ड - रिचड्स - क्रो - इलिस्ट
(C) क्रोचे - इलियट - मैथ्यू आनंद - रिवईस
(D) इलियट - क्रोचे – मैथ्यू नंद - बिड्स

34. कालक्रमनुसार इन कहानियों का सही वर्ग बताइए।
(A) उसने कहा था - दुलाईवालो - टोकरी भर मिट्टी - रानी केतकी की कहानी
(B) दुलाईवली - उसने कहा था - रानी केतकी की कहानी – टोकरी भर मिट्टी
(C) रानी केतकी की कहानी - टेकरी भर मिट्टी - दुलईवाली - उसने का था
(D) टोकरी भर मिट्टी - रानी केतकी की कहानी - दुलाईवाली - उसने कहा था 


35. प्रकाशन के आधार पर प्रेमचंद के उपन्यासों का सही क्रम है -
(A) सेवासदन – प्रेमाश्रम - गबन – गोदान
(B) प्रेमाश्रम - सेवासदन – गोदान – गबन
(C) गबन - गोदान – सेवासदन - प्रेमाश्रम
(D) सेवासदन - प्रेमाश्रम - गोदान - गबन

36. कालक्रम के अनुसार निराला की रचनाओं का सही क्रम है ।
(A) गीतिका – परिमल - कुकुरमुत्ता - गीतगुंज
(B) गीतगंज – कुकुरमुत्ता - गीतिका – परिमल
(C) परिमल - गीतिका - कुकुरमुत्ता - गीतगंज
(D) कुकुरमुत्ता - गीतगंज – परिमल - गीतिका

37. प्रकाशन के क्रमानुसार ' प्रसाद ' जी के कहानी संग्रह का सही क्रम है :
(A) प्रतिध्वनि - छाया - आकाशदीप - इंद्रजाल
(B) छाया – प्रतिध्वनि - आकाशदीप - इंद्रजाल ।
(C) इंद्रजाल - छाया – प्रतिध्वनि - आकाशदीप
(D) आकाशदीप - प्रतिध्वनि - छाया - इंद्रजाल

38. कालक्रमानुसार समीक्षा से संबंधित कृतियों का सही वर्ग है -
(A) कालिदास की लालित्य योजना – कालिदास की निरंकुशता - कालिदास का भारत - कविकुल गुरु
(B) कविकुल गुरु – कालिदान का भारत- कालिदास की निरंकुशता – कालिदास की लालित्य योजना
(C) कालिदास की निरंकुशता – कालिदास का भारत - कविकुल गुरु – कालिदास की लालित्य योजना । (D) कालिदास का भारत – कविकुल गुरु - कालिदास की लालित्य योजना - कालिदास की निरंकुशता ।

39. कालक्रमानुसार भारत-पाक विभाजन से संबंधित उपन्यास का सही वर्ग है :
(A) तमस - झूठ सच - आधा गाँव - काला जल
(B) काला जल – तमस – झूठ सच - आधा गाँव
(C) झूठा सच – तमस – आधा गाँव - काला जल
(D) आधा गाँव - काला जल - तमस – झूठ सच

40. हिंदीतर प्रदेशों के इन रचनाकारों का काल - क्रमानुसार सही वर्ग है :
(A) सेनापति - भूषण - पद्माकर - रांगेय राघव
(B) रांगेय राघव - भूषण - सेनापति – पद्माकर
(C) पद्माकर - रांगेय राघव - भूषण - सेनापति
(D) सेनापति - पद्माकर - रांगेय राघव - भूषण

41 निम्नलिखित रचनाकारों को उनके सर्वाधिक प्रिय 'वाद' से सुमेलन कीजिए :
(a) अरविंद दर्शन     (1) सोहनलाल द्विवेदी
(b) गाँधीवाद           (2) दिनकर
(c) मार्क्सवाद          (3) भैरवप्रसाद गुप्त
(d) आंबेडकर-दर्शन (4) मोहनदास नैमिषराय
                               (5) सुदर्शन
इनमें से कौनसा विकल्प सही है?
      ( a ) ( b ) ( c ) ( d )
(A) ( 5 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 )
(B) ( 2 ) ( 1 ) ( 3 ) ( 4 )
(C) ( 3 ) ( 4 ) ( 1 ) ( 2 )
(D) ( 2 ) ( 1 ) ( 3 ) ( 5 ) 


42. निम्नलिखित पत्रिकाओं को उनके सम्बद्ध देशों से सुमेलित कीजिए।
(a) पुरूवाई    (1) ब्रिटेन
(b) विश्व       (2) फिजी
(e) जागृति     (3) अमेरिका
(d) आर्यमित्र   (4) सूरीनाम
                       (5) रूस
इनमें से कौनसा विकल्प सही है ?
      ( a ) ( b ) ( c ) ( d )
(A) ( 5 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 )
(B) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 1 )
(C) ( 1 ) ( 3 ) ( 2 ) ( 4 )
(D) ( 4 ) ( 5 ) ( 1 ) ( 2 )

43. हिन्दी के निम्नलिखित बोली-वगों को उनकी बोलियों के साथ सुमेलित कीजिए।
(a) पश्चिमी हिंदी   (1) मगही
(b) पूर्व हिंदी          (2) मालवी
(c) राजस्थानी       (3) बघेली
(d) बिहारी हिन्दी   (4) कन्नौजी
                             (5) कुमांयुनी
इनमें से कौनसा विकल्प सही है ?
       ( a ) ( b ) ( c ) ( d )
(A) ( 5 ) ( 1 ) ( 2 ) ( 3 )
(B) ( 4 ) ( 1 ) ( 2 ) ( 3 )
(C) ( 4 ) ( 3 ) ( 2 ) ( 1 )
(D) ( 2 ) ( 1 ) ( 3 ) ( 5 )

44. निम्नलिखित समीक्षा प्रणालियों और समीक्षकों से सुमेलित कीजिए।
(a) शैली वैज्ञानिक समीक्षा   (1) लाला भगवानदीन
(b) टीका-समीक्षा                 (2) रवींद्रनाथ श्रीवास्तव
(c) व्यावहारिक समीक्षा        (3) शिवदान सिंह चौहान
(d) मार्क्सवादी समीक्षा         (4) रामचन्द्र शुक्ल
                                            (5) भगीरथ मिश्र
इनमें से कौनसा विकल्प सही है ?
       ( a ) ( b ) ( c ) ( d )
(A) ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 )
(B) ( 4 ) ( 5 ) ( 1 ) ( 2 )
(C) ( 2 ) ( 1 ) ( 4 ) ( 3 )
(D) ( 3 ) ( 1 ) ( 2 ) ( 4 )

45. निम्नलिखित काव्य-पंक्तिर्यों को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए।
(a) उठ उठ री लघु लोल लहर          (1) महादेवी वर्मा
(b) यह तो सब कुछ की तथता थी    (2) प्रसाद
(e) देश प्रेम की जन्मभूमि है             (3) अज्ञेय
(d) पिस गया दो कठिन पाटों बीच     (4) दिनकर
                                                        (5) मुक्तिबोध
इनमें से कौनसा विकल्प सही है ?
      ( a ) ( b ) ( c ) ( d )
(A) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 ) ( 5 )
(B) ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 4 )
(C) ( 6 ) ( 2 ) ( 3 ) ( 1 )
(D) ( 4 ) ( 3 ) ( 2 ) ( 1 )

46. स्थापना : काव्यकला की दृष्टि से रीतिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्णकाल है।
तर्क : इस काल में हिंदी जगत का अपूर्व भौतिक विकास हुआ है।
(A) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों सही हैं।
(B) उपर्युक्त स्थापना सही और तर्क गलत है।
(C) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों गलत हैं।
(D) उपर्युक्त स्थापना गलत और तर्क सही है।

47. स्थापना : महादेवी वर्मा का स्त्रीपरक लेखन स्त्री-विमर्श का आदर्श है।
      तर्क        : क्योंकि वे घोषित रुप से 'स्त्रीवादी' लेखिका थी ।
(A) उपर्युक्त स्थापना सही और तर्क गलत है।
(B) उपर्युक्त स्थापना गलत और तर्क सही है।
(C) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों सही है।
(D) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों गलत हैं।

48. स्थापना : प्रगतिवादी कवि पूंजीवाद और उपनिवेशवाद के विरोधी हैं।
      तर्क        : क्योंकि ये दोनों वाद शोषणपरक हैं।
(A) उपर्युक्त स्थापना सही और तर्क गलत है।
(B) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों सही है।
(C) उपर्युक्त स्थापना गलत और तर्क सही है।
(D) उपर्युक्त रथापना और तर्क दोनों गलत है।

49. स्थापना : हिन्दी साहित्य में आलोचना पहले-पहल दोष-दर्शन के रुप में प्रकट हुई।
      तर्क       : क्योंकि तब तक हिंदी समीक्षा के मानदंडों का निर्धारण नहीं हो पाया था।
(A) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों गलत हैं।
(B) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों सही हैं।
(C) उपर्युक्त स्थापना सही और तर्क गलत है।
(D) उपर्युक्त स्थापना गलत और तर्क सही है।

50. स्थापना : हिंदी को अब 'शास्त्रीय भाषा' की मान्यता मिलनी चाहिए।
      तर्क       : उसका इतिहास लगभग 1500 वर्ष पुराना है।
(A) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों गलत है।
(B) उपर्युक्त स्थापना सही और तर्फ गलत है।
(C) उपर्युक्त स्थापना और तर्क दोनों सही है।
(D) उपर्युक्त स्थापना गला और तर्क सही हैं।

शनिवार, 10 नवंबर 2018

तेलुगु पत्रकारिता में अनमोल रत्न 'पंदिरि मल्लिकार्जुनराव' - डॉ. ए.सी.वि.ऱामकुमार (अनुवादक)

तेलुगु पत्रकारिता में अनमोल रत्न 'पंदिरि मल्लिकार्जुनराव' 

मीडिया विमर्श,
जनसंचार के सरोकारों पर केन्द्रित त्रैमासिक पत्रिका,
ISSN 2249-0590,
वर्ष-12, अंक-48, जुलाई-सितम्बर 2018.
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मैलापुर आर्ट्स अकदमी से आयोजित तेलुगु वादविवाद प्रतियोगिता के न्याय निर्णायक वाद-विवाद के बारे में और उसमें शामिलि विद्यार्थियों के बारे में बात करते आ रहे हैं। बात कर रहे उन दोनों में सफेद कुरता-पैजामा पहननेवाले व्यक्ति वहाँ की नजर पुरानी किताबों की दुकान पर पडी। तुरंत बातचीत को रोककर, साथ चलने व्यक्ति से उन्होंने कहा, मेरा साथ आइए, यहाँ पुरानी किताबें देखेंगे। किताबें छाँटे और जो पसंद हैं बिना पूछे पैसे देकर वापस आये। यही व्यक्ति है किन्नेरेश (किन्नेरा पत्रिका के सम्पादक) पंदिरि मल्लिकार्जुनराव और दूसरा व्यक्ति प्रमुख पारिवारिक पत्रिका ‘विजडम’ (आंग्रेजी-तेलुगु) के सम्पादक डॉ के.वि. गोविंदराव है। विविध पत्रिकाओं में प्रकाशित प्रचलित विषयों को फिर से ‘किन्नेरा’ पत्रिका में छापने केलिए पंदिरि मल्लिकार्जुनराव ने डॉ के.वि. गोविंदराव जी को दिखाया। इसमें कुछ विषय उसी समय पर चयन करके छापने की तैयारी की।



सबसे भिन्न, निर्माणात्मक रूप से काम करने की आदत बचपन से ही पंदिरि मल्लिकार्जुनराव की रही है। इसलिए राजमंर्डी में लकड़ी का व्यापार छोडकर चैन्नई आकर किन्नेरा पत्रिका चलायी। अप्पय दीक्षित के वचनों के अनुरूप आंध्रपन को भरपूर अपनाकर पिता वीरन्ना जी की अनुमति लेकर अलहाबाद गये। वहाँ आनंदभवन में मोतिलाल नेहुरू जी के आत्मीय बनकर अपना आशय पूरा किया। प्रिन्स ऑफ वेल्स आगमन को विरोध करके जेल भी गये। श्रीमति के. रामलक्ष्मी जी के शब्दों में कहना है कि उत्तर भारत में ऐसे सत्याग्रह में शामिल हो जेल की सझा भोगनेवाला पहला आंध्रावासी पंदिरि मल्लिकार्जुनराव ही है। (पंदिरि मल्लिकार्जुनराव पृ. 19) उनका स्वागत करने केलिए राजमंड्री रेलवे स्टेशन पहुँचनेवालों में श्री टंगुटूरि प्रकाशं जी भी एक है, यह इस बात का सबूत है कि पंदिरि मल्लिकार्जुनराव ने उत्तर भारत में तेलुगु की आभा कैसी फैलायी थी, कैसी महानता हासिल की थी। 



राजनीति में पहला कांग्रेस के साथ बाद में कम्यूनिस्ट कार्यकर्ता के रूप में काम करते ही हिन्दी प्रचार-प्रसार में काम किया। उसी समय में दुर्गाबाई देशमुख जैसे लोगों को हिन्दी सिखायी, सामाजिक कार्यक्रमों सक्रिय रहते हुए भी अपनी साहित्यानुभूति को बढायी। ‘प्रताप आज’ जैसे हिन्दी पत्रों के संवाददाता के रूप में रहते हिन्दी समाचार को तेलुगु में और तेलुगु समाचार को हिन्दी में अनुदित किये। श्रीपाद सुब्रम्णमशास्त्री जी के ‘प्रबुद्द आध्रा’ जैसे पत्रिका को हमारे साहित्य पठन एवं व्यक्तिगत आजादी की बुनियादी माना। (पंदिरि मल्लिकार्जुनराव पृ. 25) इसलिए ‘प्रबुद्द आध्रा’ पत्रिका बंद होने के बाद सन् 1927 में ‘सुभाषी’ नाम के पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया। प्रवेशांक में ही उस दिनों की आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक परिस्थितियों उल्लेख कपते हुए पंदिरि मल्लिकार्जुनराव ने लिखा था, “ इस धर्म युद्ध में इस नव युग में सारस्वत, कला, इतिहास इन तीनों के प्रतीक के रूप तेलुगु ह्रदय की वाणी को प्रकट करना ही हमारा लक्ष्य है।“ (पंदिरि मल्लिकार्जुन राव, पृ. 62)



उस दिन की परिस्थितियों के कारण सात महीनों में ही सुभाषी मूक बन गई। पत्रिका को पुनःजीवित करने के मवोबल से कुछ दिन राजनीति, कला-सेवा को छोडकर उन्होंने पैसे कमाने की ओर ध्यान देकर उन्होंने ‘वीटो’ दर्द निवारक दवाई की खोज की। इस धंधे में भी नुकसान होने पर पुनः मद्रास लौटकर वहाँ रीटा हेयर आयल तैयारकर बेचना शुरू किया। आर्थिक उन्नति के बाद उन्होंने सन् 1948 में ‘किन्नेरा’ पत्रिका फिर से शुरू की।



तेलुगुभाषा, तिलुगु जाति, तेलुगु संस्कृति की यथोचित सेवा ही लक्ष्य बनकर अपनी किन्नरा को शुरू किया। किन्नेरा की विशेष्टता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने लिखा था, आंध्र की संस्कृतिक क्रांति केलिए प्रतिबद्ध पत्रिका है किन्नरा। इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच हमारे समाज, जीवन और संस्कृति का पुनः निर्माण और जन-जीवन की समस्यओं का समाधान कैसे होना और इसे बतानेवाले ह्रदयंगम कहानियों, लेखों के माध्यम से ज्ञान और विनोद प्रदान करेगी, किन्नरा। कुछ दिन के बाद पाठकों की सुविधा केलिए पत्रिका का मूल्य (वार्षिक) छः रूपये से चार रूपये कम किया। पत्रिका के प्रत्येक अंक का मूल्य आठान्ना से चारान्ना कम किया। साधारणतः कोई भी पत्रिका के मूल्य कुछ समय के बाद बढ़ाया जाता है जबकि किन्नरा का मूल्य घटाया गया, पृष्ठ संख्या भी घटायी नहीं गयी। इससे स्पष्ट होता है कि किन्नेरा के माध्यम से कमाई करने का उनका आशय नहीं था। 



‘प्रबुद्ध आध्रा’ पत्रिका (श्रीपाद सुब्रमण्यशास्त्री) सन् 1934 में फिर से प्रकाशन शुरू हुआ। उस पत्रिका के उद्देशों ने मल्लिकार्जुनराव जी को प्रभावित किया। श्रीपाद सुब्रमण्यशास्री जी से मल्लिकार्जुनराव ने दो विषय सीखे। पहला पद्य-गीत रचनाओं को प्रधानता न प्रकाशित करना, दूसरा हिन्दी की महानता को न स्वीकर करने के संदर्भ में सूचना उन्होंने पत्रिका में छापी। प्रजाह्रदय के शीर्षक से संपादक के नाम प्रकाशित पाठकों के मुख्यतः दो पत्र उल्लेखनीय हैं। उसमें व्यंग्यपूर्वक लिखा गया था कि पद्य और गेय रचना को न छापकर रमणारेड्डी और नारायणरेड्डी जी को आलोचक बनाने की कोशिश तो न करे। अंक 53 में एलूरू से पाठक कृष्णाराव और काकिनाडा से चेब्रोलु सूर्यराव ने अपना मत व्यक्त किया। 



पाठकों की विनती से सुभाषि में पहले अंक में गेय रचना प्रकाशित की। किन्नेरा पत्रिका अंक 55 में गेय रचना को प्रकाशित की। वही ही दो कविताएँ अंक 79 में प्रकाशित की। 14-10-79 कविताओं में अंतरंगवेदना-तिरूनत्तियूर, ना कललु कविताओं को वर्णन किया। 




"ना तीयनि कललनि गालिलोन करिगि पोयाई,


ना बिड्डलु चेल्लाचेदरै-



नेनु नेडु एकाकिनी



ई जरावस्थलो एंडिन मोरडुवले,



हाहा! एमि ई विपर्यम"!



ऐसे ही देवुडु कविता में इस अंतिम अवस्था में मै सच्चाई जान ली...कहकर अपने आपको प्रश्न की। कालातीत कोई भी बदलना संभव है। गाँधीवाद से शुरू करके मार्क्सवाद तक यात्रा करके फिर मल्लिकार्जुनराव गाँधीवादी बना गये। गाँधीवाद न मानकर लेनिन के आदर्शों को अपनानेवाला मल्लिकार्जुनराव गाँधी जी के विषय में लिखने से सबको आश्चर्य लगा। इसके बारे में हिन्दी में कहते है कि ‘सुबह का भाला’ माने दिन में भटक जाने पर भी शाम वापस आएगा। हिन्दी सीखकर, हिन्दी प्रचार प्रसार करनेवाला मल्लिकार्जुनराव नागरी लिपि को न मानना पचने की विषय नहीं है। 52 जुलै मासिक में केंद्र सरकार द्वारा हैदराबाद उसमानिया विश्वविद्यालय को राजाभाषा हिन्दी विश्वविद्यालय में बदलने की कोशिस को इनकार किया। जनवरी, फरवरी अंक में इस विषय की चर्चा की। इस संदर्भ में विशाखपट्टणम् के के. सत्यनारायण ने लिखा कि तेलुगु राज्यभाषा रखकर हिन्दी को लागू करना उतना उचित नहीं होगा। ज्यादा लोगों की मान्यता है कि राजभाषा हिन्दी से ही फाइदा होगा। यही विषय से नाराज होकर नागरी लिपि के जगह रोमन लिपि को मान्यता दी। यही विषय माविकोंडा सत्यनारायणशास्री जी भी मान ली। 



व्यावहारिक भाषा पर मल्लिकार्जुनराव जी को निश्चित रूप है। ऐसे ही मद्रास विश्वविद्यालय में ग्राँधिक भाषा को मान्यता देना उनको पचा नहीं है। अपने सम्पादकीय में उन्होंने इसकी आलोचना की थी। यही विषय विद्याशाखा के मंत्री डॉ यम. वि. कृष्णाराव जी के सामने प्रस्तुत की। मंत्री जी भी व्यावहारिक भाषा के संदर्भ में इसकी मान्याता को सहमत कहा। भाषा के संदर्भ में शकट रेफ और अनुस्वर आज भी तमिलनाड्डु दशवीं और बारवीं पुस्तकों में दिखाई देता है।



कुछ विषयों में मल्लिकार्जुनराव अत्यत दुढ रहे है। आंध्रा राज्य के विषय में केंद्रसरकार के नेता नेह्ररू और मौलाना जैसे लोगों की राजनीत पर खडा खंडन की। केंद्र्मंत्री के रूप में आध्रा लोगों की मान्यता न देने पर बहुत विरोध किया। भरतीय सरकार ने मोहर को आयोजित करते समय दक्षिणादि कवियों को मान्यता न देने पर विरोध किया। चेन्नपट्टणम के हर गलि के नाम बदलते समय और आध्रा-रायलसीमा के नाम होनेवाले व्यवहार पर विरोध किया। ऐसे असंख्य अनसर है, जब मल्लिकार्जुन राव जी ने निर्भीक आलोचना का परिचय दिया। 



किन्नेरा पत्रिका मल्लिकार्जुनराव जी को कुछ जोश दिखाया। अंक 53 में खुद आपने ही अपने लिए एक पत्र लिखा। काशी के शिवमंदिर के बारे में लिखा कि मोगल साम्राट औरंगजेबने सन् 1707 में विश्वनाथ मंदिर को नाश की और उस पर मसीद का निर्माण किया। आज भी लाखों हिन्दू लोग विश्वनाथ का दर्शन करने आते है। इस विषय पर सबने मल्लिकार्जुनराव जी को विश्वहिन्दू कार्यकर्ता समझा और आरोप किया। मल्लिकार्जुनराव जी अनेक विमर्श एवं समीक्षाएँ लिखी। 



किन्नेरा अंक 17 में लगभग 30 पत्रिकाओं का नाम दिया उसमें केवल दो ही जिंदा बचा वही कृष्णपत्रिका और आध्रप्रभा। पुस्तक समीक्षा में हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में देख सकते है। काव्यों के संदर्भ में गुजराती और बंगाली भाषा पुस्तक देख सकते है। लेकिन तेलुगु पत्रिका आज मुरदा हो गई। 



बी.यस.सी और पी.हेच.डी को अलग अलग लिखकर बहुत नया प्रयोग किन्नेरा पत्रिका में किया। ऐसी ही अंक 50 में अनुवाद को मान्यता न दी। फिर भी संस्कृत, हिन्दी, बंगाली, महाराष्टा, कन्नडा, उर्दू, आंग्रेजी आदि भाषाओं के साहित्य के अनुवादों को तेलुगुजाति लोगों केलिए मान्यता दी। मल्लिकार्जुनराव नास्तिकता भावों से गुजरे लेकिन देवुड्डु नाम से सन् 3-5-1981 कविता की। उन्हों ने कहते है कि 
“ ई गोडवंता मनकेंदुकू चच्चेटपुडु संध्या मंत्र जैसे..


“नी तुदि कालंलोने निजं कनुगोनेदी



कादा – नेडे मेलुको/नेडे कळु तेरूवु



तेजस्वी चुडु – पुरोगमिच्चु



मानवत्व दिसन



मानवता दिशकु”



अपना मंतव्य बदलकर मल्लिकार्जुनराव कुछ समय जैसे प्रश्न करते है और आश्चर्य में डुबा लेते है। फिर भी तेलुगु पत्रिका के दुनिया में मल्लिकार्जुनराव जी सच में ‘तेलुगु पत्रकारिता में अनमोल रत्न’ है। तेलुगु भाषिक चेतना, पत्रकारिता के माध्यम से फैलाने, मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिए मल्लिकार्जुन राव के प्रयासों को हमें सदा स्मरण करना चाहिए।



मूल तेलुगु लेख का हिन्दी अनुवादक:
डॉ.ए.सी.वी.रामकुमार,
प्रवक्ता, हिन्दी विभाग, 
तमिलनाड्डु केंद्रीय विश्वविद्यालय,तिरूवारूर।.
E-mail ID: nanduram2006@gmail.com
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