रविवार, 14 अगस्त 2016

UGC-NET&SET-MODEL PAPER-94

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26. किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?
►-जयशंकर प्रसाद

27. ‘प्रभातफेरी’ काव्य के रचनाकार कौन हैं?
►-नरेन्द्र शर्मा
28. ‘निशा -निमंत्रण’ के रचनाकार कौन हैं?
►-हरिवंश रायबच्चन

29. बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे?
►-जयपुर नरेश जयसिंह के

30. ‘अतीत के चलचित्र’ के रचयिता हैं?
►-महादेवी वर्मा

31. तुलसीदास का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?
►-रामाज्ञा प्रश्नावली

32. ‘रामचरितमानस’ में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है?
►-भक्ति रस

33. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ‘त्रिवेणी’ में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं?
►-सूरदास , तुलसीदास , जायसी

34. हिन्दी साहित्य के इतिहास के सर्वप्रथम लेखक का नाम क्या है?
►-गार्सा द तासी

35. ‘पद्मावत’ किसकी रचना है?
►-मलिक मुहम्मद जायसी

36. ‘बैताल पच्चीसी’ के रचनाकार हैं?
►-सूरति मिश्र

37. ‘लहरें व्योम चूमती उठती। चपलाएँ असंख्य नचती।’ पंक्ति जयशंकर प्रसाद के किस रचना का अंश है?
►-कामायनी

38. किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है?
►-जयशंकर प्रसाद
39. व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?
►-अज्ञेय में

40. भारतेन्दु कृत ‘भारत दुर्दशा’ किस साहित्य रूप का हिस्सा है?
►-नाटक साहित्य
41. ‘जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज़्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।’ यह कथन ‘गोदान’ के किस पात्र द्वारा कहा गया है?
►-महतो
42. ‘दोहाकोश’ के रचयिता हैं?
►-सरहपा

43. ‘प्रेमसागर’ के रचनाकार हैं?
►-लल्लू लालजी

44. वीरों का कैसा हो वसंत कविता के रचयिता हैं?
►-सुभद्रा कुमारी चौहान

45. ‘आँसू’ (काव्य) के रचयिता हैं?
►-जयशंकर प्रसाद

46. ‘पंचवटी’ कौन-सा समास है?
►-द्विगु

47. ‘रामचरितमानस’ में कितने काण्ड हैं?
►-7

48. निम्नलिखित में से कौन सा एक व्यंग्य लेखक है?
►-हरिशंकर परसाई

49. शुद्ध शब्द क्या है?
►-कवयित्री
50. ‘इतिहास’ शब्द का शुद्ध विशेषण हैँ?
►-ऐतिहासिक

UGC-NET&SET-MODEL PAPER-93

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1. संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल की गई चार नई भाषाएँ हैं?
►संथाली , मैथिली , बोडो और डोगरी

2. भारतीय भाषाओं को कितने प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है?
►4

3. भारत में सबसे अधिक बोला जाने वाला भाषायी समूह है?
►-इण्डो-आर्यन

4. भारत में सबसे कम बोला जाने वाला भाषायी समूह है?
►-चीनी-तिब्बती
5. ऑस्ट्रिक भाषा समूह की भाषाओं को बोलने वालों को कहा जाता है?
►-किरात

6. चीनी-तिब्बती भाषा समूह की भाषाओं के बोलने वालों को कहा जाता है?
►-निषाद

7. अपभ्रंश के योग से राजसाषानी भाषा का जो साहित्यिक रूप बना, उसे कहा जाता है?
►-डिंगल भाषा

8. ‘एक नार पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।’ यह पंक्ति किस भाषा की है?
►-ब्रजभाषा
9. अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?
►-खड़ीबोली

10. देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था?
►-14 सितम्बर, 1949

11. ‘रानी केतकी की कहानी’ की भाषा को कहा जाता है?
►-खड़ीबोली

12. प्रादेशिक बोलियों के साथ ब्रज या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया?
►-पिंगल भाषा

13. पंच-परमेश्वर किसकी रचना हैँ?
►-प्रेमचंद की
14. ‘बाँगरू’ बोली का किस बोली से निकट सम्बन्ध है?
►-खड़ीबोली

15. डोगरी भाषा मुख्य रूप से कहाँ बोली जाती है?
►-जम्मू कश्मीर
16. भारत के किस प्रान्त में कोंकणी भाषा बोली जाती है?
►-महाराष्ट्र तथा गोवा

17. आन्ध्र प्रदेश की राजकीय भाषा है?
►-तेलुगु

18. ‘हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक’ के लेखक का नाम है?
►-डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

19. प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?
►-कृष्णभक्ति शाखा

20. ‘हंस जवाहिर’ रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी?
►-कासिमशाह

21. अमीर ख़ुसरो ने किसके विकास में अग्रणी भूमिका निभाई?
►-खड़ी बोली

22. त्रिपुरा की राजभाषा है?
►-बांग्ला
23. आँख की किरकिरी होने का अर्थ हैँ?
►-अप्रिय लगना
24. लाल पीला होने का अर्थ हैँ?
►-क्रोध करना

25. ‘नमक का दरोगा’ कहानी के लेखक हैं?
►-प्रेमचंद

हिन्दी में आत्मकथा

हिन्दी में आत्मकथा


हिन्दी में आत्मकथा इस विध का आरंभ बनारसीदास जैन की पद्यात्मक रचना अर्धकथानक(1641) से होता है। किंतु गद्य विधा के रूप में इसकी प्रतिष्ठा आधुनिक युग में ही हुई। स्वामी दयानन्द लिखित जीवनचरित्र (संवत् 1917 वि.), सत्यान्द अग्निहोत्री लिखित मुझ में देव जीवन का विकास (1910 वि.), भाई परमानन्द लिखित आप बीती (1921 वि.), रामविलास शुक्ल लिखित मैं क्रान्तिकारी कैसे बना (1933 ), भवानी दयाल संन्यासी कृत प्रवासी की कहानी(1939), डॉ. श्याम सुन्दरदास रचित मेरी आत्मकहानी (1941), राहुल सांकृत्यायन कृत मेरी जीवन यात्रा(1946), डा. राजेन्द्र प्रसाद रचित आत्मकथा (1947) वियोग हरि कृत मेरा जीवन प्रवाह (1948), सेठ गोविन्ददास कृत आत्मनिरीक्षण (तीन भाग 1958) पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्रÓ रचित अपनी खबर(1960) तथा आचार्य चतुंरसेन शास्त्री कृत मेरी आत्मकहानी (1963) इस विषय की महत्वपूर्ण कृतियां हैं। इसी क्रम में जीवन के चार अध्याय (1966) में प्रेमचन्द ने 'हंस’ के आत्मकथांक में कुछ साहित्यकारों की संक्षिप्त आत्मकथाएं प्रकाशित की थीं।

हिन्दी में महत्त्वपूर्ण आत्मकथाएं प्रकाशित हुई हैं इनमें क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), नीड का निर्माण फिर (1979), बसेरे से दूर (1978) और दशद्वार से सोपान तक (1985) (चार खण्डों में), हरिवंश राय बच्चन, अपनी कहानी(1990), वृन्दावन लाल वर्मा, मेरी फिल्मी आत्मकथा(1947), बलराज साहनी, यशपाल जैन की आत्मकथा मेरी जीवन धारा(1987), डॉ. नगेन्द्र की आत्मकथा अद्र्धकथा(1988),फणीश्वरनाथ 'रेणुÓ की आत्मकथा आत्मपरिचय (1988) सं. भारत यायावर, रामदरश मिश्र की आत्मकथा समय सहचर है(1990), गोपालप्रसाद व्यास की आत्मकथा कहो व्यास, कैसी कही(1995) डॉ. रामविलास शर्मा की आत्मकथा अपनी धरती अपने लोग (1996), भगवतीचरण वर्मा की आत्मकथा कहि न जाये का कहिए, नरेश मेहता की आत्मकथा हम अनिकेतन(1995) कमलेश्वर की आत्मकथा जो मंैने जिया, यादों के चिराग (1997), जलती हुई नदी(1999) राजेन्द्र प्रसाद की आत्मकथा मुड़ मुड़ के देखता हूं (2001), अखिलेष की आत्मकथा और वह जो यथार्थ था (2001), भीष्म साहनी की आत्मकथा आज के अतीत (2003), विष्णु प्रभाकर की आत्मकथा पंखहीन, मुक्त गगन में और पंछी उड गया (तीन खण्ड, 2004) आदि हैं।

पिछले कुछ वर्षों में आत्मकथा लेखन की परम्परा में एक उल्लेखनीय बात यह हुई है कि अब लेखिकाएं भी मुक्त मन से आत्मकथाएं लिखने लगी हैं। कालक्रम से देखा जाय तो दस्तक जिन्दगी (1990) और मोड़ जिन्दगी का(1996) इन दो खण्डों में प्रकाशित प्रतिभा आग्रवाल की आत्मकथा सबसे पहले आती है। इसी क्रम में क्रमश: जो कहा नहीं गया(1996) कुसुम अंसल, लगता नहीं है दिल मेरा(1997) कृष्णा अग्निहोत्री, बूंद बावड़ी(1999) पद्या सचदेव, कस्तूरी कुण्डल बसै(2002)मैत्रेयी पुष्पा, हादसे (2005) रमणिका गुप्ता, एक कहानी यह भी(2007) मन्नू भण्डारी, अन्या से अनन्या (2007)प्रभा खेतान, गुडिय़ा भीतर गुडिय़ा (2008) मैत्रेयी पुष्पा, पिंजरे की मैना(2005) चन्द्रकिरण सौनरेक्सा तथा और-और औरत (2010) कृष्णा अग्निहोत्री की आत्मकथा प्रकाशित हुई हैं।

कुछ दलित लेखकों का ध्यान भी आत्मकथा लिखने की ओर गया है। अपने अपने पिंजरे (भाग-1;1995, भाग-2;200) मोहनदास नैमिशराय, जूठन (1969) ओमप्रकाश वाल्मीकि, तिरस्कृत (2002) तथा संतप्त (2006) डॉ. सूरजपाल चौहान, नागफनी (2007) रूपनारायण सोनकार, मेरा बचपन मेरे कन्धों पर (2009) श्यौराज सिंह बेचैन, मेरी पत्नी और भेडिय़ा (2010) डा. धर्मवीर, मुर्दहिया (2010) डा. तुलसीराम, शिंकजे का दर्द (2012) सुशील टाकभौरे आदि की आत्मकथाओं ने हिन्दी जगत का ध्यान आकृष्ट किया है ।

दलित लेखकों द्वारा आत्मकथा लिखने में जोखिम भी बहुत हैं। जब शरण कुमार लिम्बाले की पत्नी यह प्रश्न करती हैं कि यह सब लिखने से क्या फायदा? तुम क्यों लिखते हो। कौन अपनाएगा हमारे बच्चों को? 1या ओमप्रकाश वाल्मीकि की पत्नी उनके सरनेम को लेकर कहती है कि हमारे कोई बच्चा होता तो मैं इनका सरनेम जरूर बदलवा देती 2 तब यह समस्या कितनी गंभीर है, यह सोचने की जरूरत है। लिम्बाले जी कहते है फिर भी मैं लिखता हूं। यह सोचकर कि जो जीवन मैंने जिया यह सिर्फ मेरा नहीें है मेरे जैसे हजारों,लाखों का जीवन हैै।