मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

जपत एक हरिनाम ते, पातक कोटि बिलाय | वृन्द के दोहे | VRIND KA DOHA | #shorts |

वृन्द के दोहे


जपत एक हरिनाम ते, पातक कोटि बिलाय।

एकहि कनिका आगि ते, घास ढेर जरि जाय।।

वृन्द कवि कहते हैं कि भगवान के नाम मात्र का जप करने से कोटि कष्ट दूर हो जाते हैं। उदाहरण के लिए आग की एक चिनगारी के पड़ने से घास का ढेर जल जाता है।



बड़े न हूजै गुनन बिनु, बिरुद बड़ाई पाइ | बिहारी के दोहे | BIHARI KA DOHA | #shorts |

बिहारी के दोहे


बड़े न हूजै गुनन बिनु, बिरुद बड़ाई पाइ।

कहत धतूरे सौ कनकु, गहनौ गढयौ न जाइ।।

कवि यहाँ पर यह कहना चाहता है कि कोई भी व्यक्ति किसी नाम से नहीं, गुण और कार्यों से पहचाना जाता है। यदि किसी भी वस्तु की असीम प्रशंसा करें तो और यदि उसमें उन गुणों का अभाव तो वह बड़ी नहीं हो सकती क्योंकि जैसे धतूरे को कनक भी कहते हैं परंतु उससे कोई आभूषण नहीं बनाया जा सकता।

जपमाला, छापै तिलक, सरै न एकौ कामु | बिहारी के दोहे | BIHARI KA DOHA | #shorts |

बिहारी के दोहे


जपमाला, छापै तिलक, सरै न एकौ कामु।

मन काँचै नाचै वृथा, साँचै राँचै राम।।

कवि आड़ंबरपूर्ण भक्ति का खंडन करते हुए कहता है कि किसी मंत्र विशेष की माला लेकर स्मरण करने तथा मस्तक एवं शरीर के अन्य अंगों पर तिलक छापे लगाने से तो कभी काम सिद्ध नहीं हो पाता। इस प्रकार के भक्त का मन कच्चा तथा चंचल होता है। राम तो केवल अच्छे हृदय में निवास करते हैं, कच्चा मन तो काँच है जो कभी भी टूट सकता है।

गरीब सो हित करै, धनि रहीम वे लोग । रहीम के दोहे | RAHIM KA DOHA |#shorts |

रहीम के दोहे


गरीब सो हित करै, धनि रहीम वे लोग।

कहाँ सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग।।

जो गरीब लोगों का हित करते हैं, सचमच वे ही धनी होते हैं। सुदामा तो गरीब थे। परन्तु कृष्ण से उसने मित्रता निभाई। वे दोनों स्नेह के योग्य थे।

जो रहीम मन हाथ है, तो तन कहु बिन जाहि । रहीम के दोहे | RAHIM KA DOHA | #shorts |

रहीम के दोहे


जो रहीम मन हाथ है, तो तन कहु बिन जाहि।

जल में जो छाया परे, काया भीजति नाहिं।।

रहीम कहते हैं कि यदि मन पर नियंत्रण हो, तो शरीर भी नियंत्रण में रहेगा। क्योंकि देह तो मन का अनुसरण करती है। पानी पर छाया पड़ने से क्या शरीर कभी भीगता है?