मंगलवार, 19 जनवरी 2021
तमिल काव्यशास्त्र और तोलकाप्पियम (TAMIL SAHITYA CHINTAN AUR TOLKAAPPIYAM)
तमिल काव्यशास्त्र और तोलकाप्पियम (TAMIL SAHITYA CHINTAN AUR TOLKAAPPIYAM)
तमिल काव्यशास्त्र और तोलकाप्पियम (TAMIL SAHITYA CHINTAN AUR TOLKAAPPIYAM)
विभिन्न प्रस्थानों का अंतःसम्बंध (VIBHINNA PRASTHANON KA ANTASSAMBANDH)
विभिन्न प्रस्थानों का अंतःसम्बंध (VIBHINNA PRASTHANON KA ANTASSAMBANDH)
विभिन्न प्रस्थानों का अंतःसम्बंध (VIBHINNA PRASTHANON KA ANTASSAMBANDH)
भारतीय काव्यशास्त्र – काव्यात्मा (KAVYATMA)
भारतीय काव्यशास्त्र – काव्यात्मा (KAVYATMA)
भारतीय काव्यशास्त्र – काव्यात्मा (KAVYATMA)
भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत (AUCHITYA MAT)
भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत
1. औचित्य विचार चर्चा ग्रंथ किस आचार्य का हैक्षेमेंद्र का
भामह
उद्भट
भोजराज
2. क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद हैं
22
37
16
27
3. क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है
औचित्य
रीति
अलंकार
रस
4. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
( a ) क्षेमेन्द्र ( i ) काव्यालंकारसार संग्रह
( b ) भोजराज ( ii ) सरस्वतीकंठाभरण
( c ) भामह ( iii ) कविकंठाभरण
( d ) उद्भट ( iv ) काव्यालंकार
( v ) काव्य प्रकाश
इनमें से सही विकल्प बताइए –
( a ) ( b ) ( c ) (d )
(A) (iv) (iii) (ii) (i)
(B) (i) (ii) (iii) (iv)
(C) (iii) (ii) (iv) (i)
(D) (v) (iv) (iii) (ii)
5. औचित्यं रससिद्धस्य स्थिरं काव्यस्य जीवितम् किसकी उक्ति है –
कुन्तक
वामन
क्षेमेन्द्र
दण्डी
6. कविकण्ठाभरण के रचनाकार है –
(क) कुन्तक (ख) वामन (ग) दण्डी (घ) क्षेमेन्द्र
7. किसका यह कथन प्रसिद्ध है– नानौचित्यादृते किंचिद् रसभंगस्य कारणम्।
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
आनंदवर्धन
वामन
8. रसौचित्य आदि नौ प्रकार के औचित्य की प्रत्यक्ष मीमांसा और प्रितपादन किसने ‘ध्वन्यालोक’ में किया है।
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
वामन
9. ‘वक्रता’ को औचित्य का नाम किसने दी
कुन्तक
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
वामन
10. कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। - तुलसीदास की यह पंक्ति में कौनसा औचित्य है
गुणौचित्य
वाक्यौचित्य
प्रबन्धौचित्य
पदौचित्य
वामन
8. रसौचित्य आदि नौ प्रकार के औचित्य की प्रत्यक्ष मीमांसा और प्रितपादन किसने ‘ध्वन्यालोक’ में किया है।
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
वामन
9. ‘वक्रता’ को औचित्य का नाम किसने दी
कुन्तक
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
वामन
10. कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। - तुलसीदास की यह पंक्ति में कौनसा औचित्य है
गुणौचित्य
वाक्यौचित्य
प्रबन्धौचित्य
पदौचित्य
भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत (AUCHITYA MAT)
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का भेद (VAKROKTI KE BHED)
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का भेद
1. वक्रोक्ति जीवितम् किसकी रचना हैकुंतक
वामन
क्षेमेंद्र
मम्मट
2. वक्ता द्वारा व्यकत अर्थ से भिन्न अर्थ की कल्पना को क्या कहते है
वक्रोक्ति
पुनरूक्तवदाभास
अनुप्रास
वृत्तानुप्रास
3. आचार्य रूद्रट ने वक्रोक्ति के कितने भेद माने है
दो
तीन
चार
पाँच
4. आचार्य कुंतक ने वक्रोक्ति के कितने भेद माने है
छः
चार
सात
दस
5. आचार्य रूद्रट वक्रोक्ति को शब्दालंकार मानते है, अर्थालंकार किसने माना है
दण्डी
क्षेमेंद्र
वामन
आनंदवर्धन
6. कवः कर्म काव्यम्, (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन किसका है
कुन्तक
दण्डी
क्षेमेंद्र
वामन
7. हिंदी वक्रोक्ति जीवित की भूमिका किसने लिखी
नगेंद्र
रामचंद्रशुक्ल
नामवरसिंह
महावीरप्रसाद द्विवेदी
8. आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना है
रस को
वक्रोक्ति को
अलंकार को
रीति को
9. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
कुन्तक - वक्रोक्ति जीवितम्
क्षेमेन्द्र - औचित्यविचारचर्चा
मम्मट - काव्यप्रकाश
रुय्यक - अलंकारसर्वस्वम्
10. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
धनञ्जय --दशरूपकम्
भोज-- सरस्वतीकण्ठाभरणम्
महिमभट्ट --व्यक्तिविवेक
कुन्तक - वक्रोक्ति जीवितम्
भारतीय काव्यशास्त्र – वक्रोक्ति का भेद (VAKROKTI KE BHED)
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