शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

सुगंध | भाग-1 | अमर वाणी | CLASS 9 | CHAPTER 10 | SCERT | वृन्द के दोहे | VRUND KE DOHE | नीति दोहे

वृन्द के दोहे

वृंद मध्यकालीन युग के सरल, सुबोध एवं प्रभावपूर्ण कवियों में प्रथम श्रेणी में गिने जा सकते हैं। वृंद का पूरा नाम वृंदावन था। परंतु कविता करते हुए इन्होंने अपने को वृंद कहा है। इनका जन्म बीकानेर के मेंड़ता नामक स्थान पर हुआ था। इनके साहित्य में जनसामान्य की वाणी दिखायी देती है। वृंद के दोहे बहुत प्रसिद्ध और प्रचलित हैं। इन दोहों में व्यक्ति अथवा समाज-सुधार, जीवन आदर्शों आदि का बहुत ही सरल भाषा में वर्णन किया गया है। वृंद के दोहे हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। वृंद की रचना-शैली मुक्तक है। जो कुछ कहा गया है वह हृदयस्पर्शी और प्रभावपूर्ण है। इनकी मृत्यु किशनगढ़ में हुई थी। वृंद की रचनाएँ हैं - वृंद विनोद सतसई, नीति सतसई, गायक सतसई, भाव पंचाशिका, वचनिका, पवन पचीसी।

वृन्द के दोहे


उत्तम जन के संग में, सहजे ही सुखभासि।

जैसे नृप लावै इतर, लेत सभा जनवासि।।


करै बुराई सुख चहै, कैसे पावै कोइ।

रोपै बिरवा आक को, आम कहाँ तें होइ।।


करत-करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान।

रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।

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गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | NCERT | दोहे | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।

जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।।

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दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | NCERT | दोहे | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं।।

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नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत। | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | NCERT | दोहे | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे

नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत।।

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धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | NCERT | दोहे | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे


धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय।

उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।।

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एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | NCERT | दोहे | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे


एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।

रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।।

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ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय | कबीर के दोहे | KABIR KE DOHE |#shorts | #hindi | #india

कबीर के दोहे 

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।

औरन को सीतल करे, आपहु सीतल होय।।

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बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोया | कबीर के दोहे | KABIR KE DOHE |#shorts | #hindi | #india

कबीर के दोहे

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोया।

जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय।।

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काल करे सो आज कर, आज करे सो अब | कबीर के दोहे | KABIR KE DOHE |#shorts | #hindi | #india

कबीर के दोहे


काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।

पल में, परलै होयगो, बहुरी करैगो कब ।।

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कबीर लहरि समंदर की, मोती बिखरे आई | कबीर के दोहे | KABIR KE DOHE |#shorts | #hindi | #india

कबीर के दोहे


कबीर लहरि समंदर की, मोती बिखरे आई।

बगुला भेद न जानई, हँसा चुनी-चुनी खाई॥

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