मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

अमर वाणी | APSSC | CLASS 9 | CHAPTER 10 | SCERT | कबीर के दोहे | KABIR KE DOHE | नीति दोहे

अमर वाणी - कबीर के दोहे

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।।


धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।

माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय ||


साई इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय।

मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय।

बाल-बगीचा | भाग-3 | नीति दोहे - रहीम | APSSC | CLASS 8 | CHAPTER 10 | SCERT | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE

नीति दोहे - रहीम


बिगरी बात बनै नहिं, लाख करो किन कोय।

रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।


बड़े बड़ाई न करें, बड़ो न बोलैं बोल।

रहीमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल।।

सुगंध | भाग-2 | नीति दोहे - बिहारी | APSSC | CLASS 10 | CHAPTER 10 | SCERT | बिहारी के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india

नीति दोहे - बिहारी

कनक-कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।

उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ।।

नर की अरु नल नीर की, गति एके कर जोई।

जेतौ नीचौ हवै चलै, तेतौ ऊँचौ होइ।।

नर की अरु नल नीर की, गति एके कर जोई | बिहारी के दोहे | BIHARI | #shorts | #hindi | #india

बिहारी के दोहे


नर की अरु नल नीर की, गति एके कर जोई।

जेतौ नीचौ हवै चलै, तेतौ ऊँचौ होइ।।

कनक-कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ | बिहारी के दोहे | BIHARI | #shorts | #hindi | #india

बिहारी के दोहे 


कनक-कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।

उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ।।


बिगरी बात बनै नहिं, लाख करो किन कोय। | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india


रहीम के दोहे 


बिगरी बात बनै नहिं, लाख करो किन कोय।

रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।

साई इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय | कबीर के दोहे | KABIR KE DOHE | #shorts | #hindi | #india | KABIR

कबीर के दोहे 


साई इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय।

मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय।।


रविवार, 26 दिसंबर 2021

रहीम | RAHIM | #shorts | #hindi | #india |

रहीम

रहीम का जन्म लाहौर में सन् 1556 में हुआ। इनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। रहीम अरबी, फ़ारसी, संस्कृत और हिंदी के अच्छे जानकार थे। रहीम मध्ययुगीन दरबारी संस्कृति के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। अकबर के दरबार में हिंदी कवियों में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान था। रहीम अकबर के नवरत्नों में से एक थे। रहीम के काव्य का मुख्य विषय शृंगार, नीति और भक्ति है। रहीम बहुत लोकप्रिय कवि थे।

इनके नीतिपरक दोहे में दैनिक जीवन के दृष्टांत देकर कवि ने उन्हें सहज, सरल और बोधगम्य बना दिया है। रहीम को अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं पर समान अधिकार था। इन्होंने अपने काव्य में प्रभावपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है।

रहीम की प्रमुख कृतियाँ हैं : रहीम सतसई, शृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली आदि। ये सभी कृतियाँ 'रहीम ग्रंथावली' में समाहित हैं।