शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

रहिमन निज मन की विथा, मन ही राखो गोय | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे

रहिमन निज मन की विथा, मन ही राखो गोय।

सुनी इठलै हैं लोग सब, बाटी न लें हैं कोय॥


रहिमन विद्या, बुद्धि नहिं, नहीं धरम जस दान | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे


रहिमन विद्या, बुद्धि नहिं, नहीं धरम जस दान।

भू पर जनम वृथा धरै, पशु बिन पूँछ विषान॥

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रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे


रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।

हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥

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टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे


टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार।

रहिमन फिर फिर पोइए, टूटे मुक्ताहार॥

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समय पाय फल होत है, समय पाइ झरिं जात। | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे

समय पाय फल होत है, समय पाइ झरिं जात।

सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछतात।।

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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts | #hindi | #india

रहीम के दोहे


रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।

पानी गये न ऊबरे, मोती मानुस चून।।

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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय | रहीम के दोहे | RAHIM KE DOHE | #shorts

रहीम के दोहे


रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।

टूटे से फिर ना जुरै, जुरै गांठ पर जाय।।

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गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान | वृन्द के दोहे | VRUND KA DOHA | #shorts

वृन्द के दोहे


मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान।

तनिक सीत जल सो मिटै, जैसे- दूध उफान।।

मीठी वाणी से क्रोध शांत हो जाता है, जैसे कि उबलते दूध पर शीतल जल की छींटे पड़ने से उफ़ान कम हो जाता है। अर्थात् दुष्ट व्यक्ति के घमंड को मधुर वाणी से ही मिटाया जा सकता है, उससे लड़ने−झगड़ने से नहीं।

इही आस अटक्यौ रहतु, अलि गुलाब के मूल | बिहारी के दोहे | BIHARI KA DOHA | #shorts


बिहारी के दोहे


इही आस अटक्यौ रहतु, अलि गुलाब के मूल।

ह्रैहै फेरि वसंत ऋतु, इन ड्रारन वे फूल।।

कवि की उक्ति है कि विपरीत समय आने पर प्रिय जन अपने आश्रय स्थल को एकदम नहीं छोड़ते। वे अच्छे के लौटने के इंतज़ार में उसके साथ ही रहते हैं। दुर्दिन को खोकर गुलाब का प्रेमी भौंरा पुष्प-रहित गुलाब के पौधे की जड़ में अटका रहता है कि पुनः वसंतऋतु आएगी और इन ड़ालों में पूर्ववत् रंगीन पुष्प और पत्ते खिलेंगे।

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत | रहीम के दोहे | RAHIM KA DOHA | #shorts

रहीम के दोहे


कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।

बिपत्ति कसौटि जे कसे, तेइ साँचे मीत।।

रहीम का कहना है कि इस संसार में धन-दौलत के साथी अनेक होते हैं। अर्थात् किसी इन्सान के पास पैसा होने पर उससे मित्रता स्थापित करने लोग विविध ढंग से आ टपकते हैं। परंतु उनमें से कौन सच्चा मित्र है और कौन नहीं, इस बात का पता विपत्ति के समय चलता है। अर्थात् सच्चा मित्र उसे कहा जाएगा जो अपने मित्र को उसके दुर्दिन में भी न छोड़े, अपितु उसकी सहायता करे।