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बुधवार, 9 दिसंबर 2020
खबर और कविता - रघुवीर सहाय (KHABAR AUR KAVITA : RAGUVEER SAHAY)
खबर और कविता - रघुवीर सहाय (KHABAR AUR KAVITA : RAGUVEER SAHAY)
खबर और कविता - रघुवीर सहाय (KHABAR AUR KAVITA : RAGUVEER SAHAY)
हिन्दी आलोचना में शमशेर का मूल्यांकन (HINDI ALOCHNA MAIN SHAMSHER KA MULYANKAN)
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शमशेर की कविताओं का पाठ विश्लेषण (टूटी हुई बिखरी हुई) (SHAMSHER KI KAVITAON KA PAATH VISHLESHAN-TUTI HUYEE BIKHRI HUYEE)
शमशेर की कविताओं का पाठ विश्लेषण (टूटी हुई बिखरी हुई) (SHAMSHER KI KAVITAON KA PAATH VISHLESHAN-TUTI HUYEE BIKHRI HUYEE)
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शमशेर की कविताओं का पाठ विश्लेषण (बैल) (SHAMSHER KI KAVITAON KA PAATH VISHLESHAN-BAIL)
शमशेर की कविताओं का पाठ विश्लेषण (बैल) (SHAMSHER KI KAVITAON KA PAATH VISHLESHAN-BAIL)
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शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं में प्रेम और सौंदर्य (SHAMSHER KI KAVITAON MAIN PREM AUR SAUNDARYA)
शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं में प्रेम और सौंदर्य (SHAMSHER KI KAVITAON MAIN PREM AUR SAUNDARYA)
शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं में प्रेम और सौंदर्य (SHAMSHER KI KAVITAON MAIN PREM AUR SAUNDARYA)
हिन्दी आलोचना में नागार्जुन का मूल्यांकन (HINDI ALOCHANA MAIN NAGARJUN KA MULYANKAN)
हिन्दी आलोचना में नागार्जुन का मूल्यांकन (HINDI ALOCHANA MAIN NAGARJUN KA MULYANKAN)
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नागार्जुन और शमशेर (NAGARJUN AUR SHAMSHER)
नागार्जुन और शमशेर (NAGARJUN AUR SHAMSHER)
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नागार्जुन की कविताओं का पाठ विश्लेषण (NAGARJUN KI KAVITAON KA PAATH VISHLESHAN)
नागार्जुन की कविताओं का पाठ विश्लेषण (NAGARJUN KI KAVITAON KA PAATH VISHLESHAN)
नागार्जुन की कविताओं का पाठ विश्लेषण (NAGARJUN KI KAVITAON KA PAATH VISHLESHAN)
नागार्जुन की काव्य भाषा (NAGARJUN KI KAVYA-BHASHA)
नागार्जुन की काव्य-भाषा (NAGARJUN KI KAVYA-BHASHA)
नागार्जुन की काव्य-भाषा (NAGARJUN KI KAVYA-BHASHA)
नागार्जुन का काव्य – कथ्थ (NAGARJUN KA KAVYA-KATHAY)
नागार्जुन का काव्य – कथ्थ (NAGARJUN KA KAVYA-KATHAY)
नागार्जुन का काव्य – कथ्थ (NAGARJUN KA KAVYA-KATHAY)
मंगलवार, 31 जनवरी 2017
मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016
कवियों के कवि शमशेर बहादुर सिंह
शमशेर बहादुर सिंह
शमशेर की कविताओं में लोक जीवन का स्वरूप स्वयमेव
उभरकर आ जाता है। वे आम जनता के पक्ष में सृजनरत बनते हैं। लोकपक्ष को बहुत ही
मार्मिकता के साथ वे कविताओं में प्रस्तुत करते हैं। प्रकृति के सभई तत्व उनकी
कविताओं में जीवंत रूप में उपस्थित होते हैं। लोक जीवन इन सभी तत्वों पर टिका रहता
है। मिट्टी की खुश्बू उनकी कविता द्वारा उपलब्ध होती है। प्रकटतः न सही शमशेर
बहादूर सिंह लोक कवि के रूप में हमारे सामने आते हैं। अपने स्थानीय परिवेश का वर्णन
कविता द्वारा वे व्यक्त करते हैं। शामशेर की कविता पथरीली घास भरी इस पहाडी के
ढांल पर में प्रकृति का सजीव चित्र के माध्यम से वे लोकदृष्टि को व्यक्त करते हैं-
एक अनमना-सा आधा स्केचः
धूप में चमकती, मेरी गोद में एक सफेद कापी खुली
हिलते-चमकते बहुत-हरे छोटे-बड़े पेड़े मेरे चारों
ओर खड़े
धुप से उज्जवल-नीलों आकाश में,
धुले आकाश में उज्वल, वर्षा के बादल।
माने रूई की बिखरी-बिखरी छोटी-बड़ी पूनियाँ
कभी-कभी धीमी-धीमी साफ मधुर हवा की गूँज
शनिवार, 6 फ़रवरी 2016
शनिवार, 30 जनवरी 2016
बुधवार, 27 जनवरी 2016
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