बुधवार, 4 अक्तूबर 2023

कर चले हम फ़िदा - कैफ़ी आज़मी | Kar Chale Hum Fida | Kaifi Azmi | CBSE | Class 10 | Hindi

कर चले हम फ़िदा - कैफ़ी आज़मी


कैफ़ी आज़मी (1919-2002)

अतहर हुसैन रिज़वी का जन्म 19 जनवरी 1919 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में मजमां गाँव में हुआ। अदब की दुनिया में आगे चलकर वे कैफ़ी आजमी नाम से मशहूर हुए। कैफ़ी आजमी की गणना प्रगतिशील उर्दू कवियों की पहली पंक्ति में की जाती है।

कैफ़ी की कविताओं में एक ओर सामाजिक और राजनैतिक जागरूकता का समावेश है तो दूसरी ओर हृदय की कोमलता भी है। अपनी युवावस्था में मुशायरों में वाह-वाही पाने वाले कैफ़ी आजमी ने फ़िल्मों के लिए सैकड़ों बेहतरीन गीत भी लिखे हैं।

10 मई 2002 को इस दुनिया से रुखसत हुए कैफ़ी के पाँच कविता संग्रह झंकार, आखिर-ए-शब, आवारा सजदे, सरमाया और फ़िल्मी गीतों का संग्रह मेरी आवाज सुनो प्रकाशित हुए। अपने रचनाकर्म के लिए कैफ़ी को साहित्य अकादेमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया। कैफ़ी कलाकारों के परिवार से थे। इनके तीनों बड़े भाई भी शायर थे। पत्नी शौकत आजमी, बेटी शबाना आजमी मशहूर अभिनेत्रियाँ हैं।

कर चले हम फ़िदा - कैफ़ी आज़मी


कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते क़दम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया

मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने के रुत रोज़ आती नहीं
हस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
वह जवानी जो खूँ में नहाती नहीं

आज धरती बनी है दुलहन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
फतह का जश्न इस जश्न‍ के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले

बांध लो अपने सर से कफ़न साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

खींच दो अपने खूँ से ज़मी पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो