मंगलवार, 19 सितंबर 2023

टोपी शुक्ला | राही मासूम रज़ा | topi shukla | rahi masoom raza | lesson plan | cbse | hindi | class 10

 

इकाई पाठ योजना

·      कक्षादसवीं

·      पुस्तक संचयन

·      विषय-वस्तुकहानी

·      प्रकरण टोपी शुक्ला

शिक्षण- उद्देश्य :-

1.   ज्ञानात्मक

1.   मनुष्य-मात्र के स्वभाव एवं व्यवहार की जानकारी देना।

2.   बच्चों की मानसिक दशा से अवगत कराना

3.   कहानी की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई घटना से संबद्ध करना।

4.   नए शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में वृद्धि करना।

5.   साहित्य के गद्य विधा (कहानी)की जानकारी देना।

6.   छात्रों को समाज एवं परिवार के बारे में जानकारी देना।

7.   नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित करना।

8.   प्राणि-मात्र के प्रति करूणा, सहानुभूति, प्रेम आदि की भावनाएँ जागृत करना।

9.   परिवार में शैक्षिक वातावरण की ओर ध्यान दिलाना।

2.   कौशलात्मक -

1.   स्वयं कहानी लिखने की योग्यता का विकास करना।

2.   समाज एवं परिवार की मुश्किलों का ज्ञान कराना।

3.   पारिवारिक परिवेश एवं सदस्यों के व्यवहार की जानकारी देना

3.   बोधात्मक

1.   टोपी शुक्ला, दादी , इफ़्फ़न जैसे चरित्र को समझना।

2.   रचनाकार के उद्देश्य को स्पष्ट करना।

3.   कहानी में आए समाज एवं परिवार से संबंधित संवेदनशील स्थलों का चुनाव करना।

4.   समाज में व्याप्त विसंगतियों के बारे में सजग होना।

4.   प्रयोगात्मक

1.   कहानी की विषयवस्तु को अपने दैनिक जीवन के संदर्भ में जोड़कर देखना।

2.   किसी बच्चे के प्रारंभिक जीवन और प्राथमिक शिक्षा के बारे में जानकारी एकत्र करना

3.   पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखना।

सहायक शिक्षण सामग्री:-

1.   चाक , डस्टर आदि।

2.   पावर प्वाइंट के द्वारा पाठ की प्रस्तुति।

पूर्व ज्ञान:-

1.   अपने समाज एवं परिवार के बारे में ज्ञान है।

2.   परिवार की कठिनाइयों के बारे में ज्ञान है।

3.   संस्मरण विधा का प्रारंभिक ज्ञान है।

4.   बच्चों की शिक्षा की वर्तमान स्थिति से वाकिफ़ हैं

5.   सामाजिक व्यवस्था से अवगत हैं।

6.   मानवीय स्वभाव की जानकारी है।

 

प्रस्तावना प्रश्न :-

1.   बच्चो! क्या आप अपने सामाजिक व्यवस्था के बारे में कुछ जानते हैं ?

2.   क्या आपने किसी बच्चे को स्कूल में अपमानित होते हुए देखा  है ? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताइए

3.   क्या आपका परिवार संयुक्त परिवार है ? आपके परिवार में कौन-कौन हैं ?

4.   अपने गाँव/शहर तथा वहाँ की शिक्षा व्यवस्था के बारे में  बताइए।

उद्देश्य कथन :- बच्चो ! आज हम लेखक डॉ. राही मासूम रज़ा के द्वारा रचित कहानी( उपन्यास का एक अंश ) टोपी शुक्ला का अध्ययन करेंगे।

पाठ की इकाइयाँ

प्रथम अन्विति ( टोपी और इफ़्फ़न का परिचय )

·      इफ़्फ़न और टोपी की दोस्ती

·      इफ़्फ़न का परिवार

·      इफ़्फ़न की दादा - दादी और परदादी

·      इफ़्फ़न की दादी के साथ टोपी का अच्छा संबंध।

द्वितीय अन्विति :-  ( टोपी का परिवार )

·      टोपी के पिता और माता

·      टोपी की दादी का टोपी के साथ बुरा व्यवहार

·      घर में टॊपी की बुरी दुर्गति।

तृतीय अन्विति :-  ( टोपी का स्कूली जीवन / इफ़्फ़न से दूर होने के बाद)

·       इफ़्फ़न की दादी की मृत्यु।

·       टोपी का कक्षा में दो बार फ़ेल होना।

·       स्कूल में टोपी के साथ बुरा व्यवहार।

·       इफ़्फ़न के पिता का स्थानांतरण।

·       कलेक्टर के घर में टोपी के साथ मारपीट।

·       नौकरानी के प्रति टोपी का स्नेह।

शिक्षण विधि :-

क्रमांक

अध्यापक - क्रिया

छात्र - क्रिया

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कहानी का सारांश :-

प्रस्तुत ‘ कहानी ’ लेखक के एक उपन्यास का एक अंश है। कहानी टोपी के इर्द-गिर्द घूमती है। उसके पिता एक डॉक्टर हैं। उसका परिवार अत्यधिक संस्कारवादी है। घर में किसी वस्तु की कमी नहीं है। टोपी का एक दोस्त है – इफ़्फ़न। दोनों के घर अलग-अलग थे , दोनों के मज़हब अलग थे , दोनों एक-दूसरे कि बिना अधूरे थे। फिर भी दोनों में गहरी दोस्ती थी। दोनों में प्रेमे का रिश्ता था। दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। इफ़्फ़न के दादा और परदादा मौलवी थे। मरने से पहले उन्होंने वसीयत की थी कि उनकी लाश करबला ले जाई जाए। इफ़्फ़न कि पिता ने ऐसी कोई वसीयत नहीं की थी। उन्हें एक हिंदुस्तानी कब्रिस्तान में दफ़नाया गया। इफ़्फ़न की दादी नमाज़ और रोज़े की बड़ी पाबंद थी। वे पूरब की रहने वाली थी , इसलिए मरते दम तक पूरबी बोलती रही। वे गाने –बजाने में रुचि लेती थीं। इफ़्फ़न की छठी पर उन्होंने जी भर कर जश्न मनाया था। इफ़्फ़न की दादी ज़मीदार की बेटी थीं। उन्हें दूध-घी बहुत पसंद था , परंतु लखनऊ आकर वह इन सब चीज़ों के लिए तरस गईं। यहाँ आते ही उन्हें मौलवी बन जाना पड़ता था क्योंकि उनके पति हर समय मौलवी ही बने रहते थे। इफ़्फ़न की दादी को मरते वक्त अपना घर , आम का पेड़ और अनेक चीज़ें याद आईं। उन्हें बनारस के फ़ातमैन में दफ़न किया गया। इफ़्फ़न तब चौथी कक्षा में पढ़ता था और टोपी उसका दोस्त बन चुका था। वह अपनी दादी से बहुत प्रेम करता था। दादी उसे तरह-तरह की कहानियाँ सुनाती थीं। टोपी को दादी की भाषा बहुत अच्छी लगती थी।

डॉक्टर भृगु नारायण नीले तेल वाले के घर में बीसवीं सदी प्रवेश कर चुकी थी यानी खाना मेज कुर्सी पर होने लगा था । टोपी को बैंगन का भुरता अच्छा लगा । वह बोला - “ अम्मी, ज़रा बैंगन का भुरता।” अम्मी शब्द सुनकर सभी टोपी को देखने लगे । टोपी की दादी सुभद्रा देवी ने कहा ’अम्मी’ शब्द इस घर में कैसे आया? टोपी ने उत्तर दिया – “ ई हम ईफ़्फ़न से सीखा है।” राम दुलारी बोली – “ तैं कउनो मियाँ के लड़का से दोस्ती कर लिहले बाय का रे?” इस पर सुभद्रा देवी गरज़ उठी। - “ बहू, तुमसे कितनी बार कहा है कि मेरे सामने यह गँवारों की जवान न बिला करो।“ लड़ाई का मोरचा बदल गया। जब भृगु नारायण को पता चला कि टोपी ने कलेक्टर साहब के लड़के से दोस्ती कर ली है तो वे अपना गुस्सा पी गए। इसके बाद टॊपी को बहुत मार पड़ी । फिर भी टोपी ने इफ़्फ़न के घर न जाने की हाँ नहीं भरी। मुन्नी बाबू और भैरव उसकी कुटाई का तमाशा देखते रहे। मुन्नी बाबू ने टोपी की शिकायत करते हुए कहा कि ये उस दिन कवाब खा रहा था। यह बात सरासर ग़लत थी ; जबकि मुन्नी बाबू स्वयं कवाब खा रहे थे। यह बात टोपी ने इफ़्फ़न से कही और दोनों जुगरफ़िया का घंटा छोड़कर सरक गए। उन्होंने पंचम की दुकान से केले खरीदे । टोपी केवल फल खाता था। टोपी ने कहना शुरु किया कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम अपनी दादी बदल लें , पर यह बात इफ़्फ़न को अच्छी नहीं लगी। इफ़्फ़न ने कहा – “ मेरी दादी कहती है कि बूढ़े लोग मर जाते हैं । इतने में नौकर ने आकर सूचना दी कि इफ़्फ़न की दादी मर गई हैं। शाम को जब टोपी इफ़्फ़न घर गया तो वहाँ सन्नाटा पसरा पड़ा था। वहाँ लोगों की भीड़ा जमा थी। टोपी के लिए मानो सार घर खाली हो चुका था। टोपी ने इफ़्फ़न से कहा – “ तोरी दादी का ज़गह हमरी दादी मर गई होती तब ठीक भया होता । टोपी ने दस अक्तूबर सन्‍ पैंतालीस को कसम खाई कि अब वह किसी ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसका बाप ऐसी नौकरी करता हो ; जिसमें बदली होती रहती है। इसी दिन इफ़्फ़न के पिता की बदली मुरादाबाद हो गई । अब टोपी अकेला रह गया। नए कलेक्टर ठाकुर हरिनाम सिंह के तीनों लड़कों में से कोई उसका दोस्त न बन सका। डब्बू बहुत छोटा था , बिलू बहुत बड़ा था , गुड्‍डू केवल अंग्रेज़ी बोलता था। उनमें से किसी ने टोपी को अपने पास फटकने न दिया। माली और चपरासी टोपी को जानते थे। इसलिए वह बंगले में घुस गया । उस समय तीनों लड़के क्रिकेट खेल रहे थे। उनके साथ टोपी का झगड़ा हो गया। डब्बू ने अलसेसियन कुत्ते को टोपी के पीछे लगा दिया। टोपी के पेट में सात सूइयाँ लगीं तो उसे होश आया। फिर उसने कभी कलेक्टर के बंगले का रुख नहीं किया । घर में टोपी का दुख समझने वाला कोई न था। बस , घर की नौकरानी सीता उसका दुख समझती थी। जाड़ों के दिनों में मुन्नी बाबू और भैरव के लिए नया कोट आया। टोपी को मुन्नी बाबू का कोट मिला – कोट नया था ; पर था तो उतरन। टोपी ने वह कोट उसी वक्त नौकरानी के बेटे को दे दिया। वह खुश हो गया । टोपी को बिना कोट के जाड़ा सहन करने के लिए मज़बूर होना पड़ा। टोपी दादी से झगड़ पड़ा। दादी ने आसमान सिर पर उठा लिया। फिर माँ ने टॊपी की बहुत पिटाई की। टोपी दसवी कक्षा में पहुँच गया । वह दो साल फ़ेल हो गया था। उसे पढ़ने का उचित समय नहीं मिलता था। पिछली दर्ज़े की छात्रों के साथ बैठना उसे अच्छा नहीं लगता था। अब वह अपने घर के साथ-साथे स्कूल में भी अकेला हो गया था। मास्टर ने भी उस पर ध्यान देना बंद कर दिया। टोपी को भी शर्म आने लगी थी। जब उसके सहपाठी अब्दुल वहीद ने उस पर व्यंग्य बाण कसा तो उसे बहुत बुरा लगा।  उसने पास होने की कसम खाई । इसी बीच चुनाव आ गए। डॉ. भृगु नारायण चुनाव में खड़े हो गए, पर उनकी जमानत ज़ब्त हो गई। ऐसे वातावरण में टोपी का पास हो जाना ही काफ़ी था । इस पर भी दादी बोल उठी – “ तीसरी बार तीसरे दर्ज़े में पास हुए हो , भगवान नज़र से बचाए।

 कहानी को ध्यानपूर्वक सुनना और समझने का प्रयास करना। नायक के चरित्र पर तथा शैक्षिक व्यवस्था  पर अपने विचार प्रस्तुत करना।

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लेखक-परिचय :- ‘ राही मासूम रज़ा( जन्म-१९२७ ) एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं जिन्होंने अपनी कहानियों में ग्रामीण जीवन को बखूबी उकेरा है। अलीगढ़ युनिवर्सिटी से उर्दू साहित्य में पी.एच. डी. कके बाद उन्होंने कुछ साल तक वहीं अध्यापन किया। फिर वे मुंबई चले गए जहाँ सैकड़ों फ़िल्मों की पटकथा , संवाद और गीत लिखे। प्रसिद्ध धारावाहिक ‘ महाभारत ’ की पटकथा और संवाद लेखन ने उन्हें इस क्षेत्र में सर्वाधिक ख्याति दिलाई। इनके पूरे लेखन में आम हिंदुस्तानी की पीड़ा में दुख-दर्द , उसकी संघर्ष क्षमता की अभिव्यक्ति है। राही ने जनता को बाँटने वाली शक्तियों , राजनीतिक दलों , व्यक्तियों , संस्थाओं का खुला विरोध किया। उन्होंने संकीर्णताओं और अंधविश्वासों , धर्म और राजनीति के स्वार्थी गठजोड़ आदि को भी बेनकाब किया। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं – आधा गाँव , टोपी शुक्ला , हिम्मत जौनपुरा , कटरा बी आर्ज़ू , असंतोष के दिन , नीम का पेड़ ( सभी हिंदी उपन्यास ) ; मुहब्बत के सिवा ( उर्दू उपन्यास ) ,  मैं एक फेरी वाला ( कविता संग्रह ) , नया साल , मौजे गुल , मौज़े शबा , रक्से मैं , अज़नबी शहर : अज़नबी रास्ते ( सभी उर्दू कविता संग्रह ) , अठारह सौ सत्तावन ( हिंदी – उर्दू महाकाव्य ) , और छोटे आदमी की बड़ी कहानी ( जीवनी )। राही का निधन १५ मार्च १९९२ को हुआ।

लेखक के बारे में आवश्यक जानकारियाँ अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखना।

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शिक्षक के द्वारा पाठ का उच्च स्वर में पठन करना।

उच्चारण एवं पठन शैली को ध्यान से सुनना।

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पाठ के अवतरणों की व्याख्या करना।

पाठ को हॄदयंगम करने की क्षमता को विकसित करने के लिए पाठ को ध्यान से सुनना। पाठ से संबधित अपनी जिज्ञासाओं का निराकरण करना।

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कठिन शब्दों के अर्थ :-

अटूट – न टूटने वाला , वसीयत – अपनी संपत्ति का अपनी इच्छा से वारिस नियुक्त करना , करबला – इस्लाम का पवित्र स्थान , सदका – एक टोटका , पूरबी – पूरब की तरफ़ बोली जाने वाली भाषा , छठी – जन्म के छठे दिन का स्नान/पूजन/उत्सव , ज़श्न – उत्सव , नाक-नक्शा – रूप-रंग , कस्टोडियन – लावारिस संपत्ति का संरक्षण करने वाला विभाग , बाजी – बड़ी बहन , पाक – पवित्र , मुल्क़ – देश , तिलवा – तिल का लड्डू , ल्फ़्ज – शब्द , कुताई – पिटाई , क़बाबची – क़बाब बनाने वाला , शुशकार – कुत्ते को उकसाने के लिए आवाज़ , गाउदी – भोंदू , सितम – अत्याचार , लौंदा – गीली मिट्‍टी का पिंड , नज़रे – बंद – जो किसी स्थान पर निगरानी में रखा गया हो , दाज – बराबरी , टर्राव – ज़बान लड़ाना ।

 

छात्रों द्वारा शब्दों के अर्थ अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखना।

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छात्रों द्वारा पठित अनुच्छेदों में होने वाले उच्चारण संबधी अशुद्धियों को दूर करना।

छात्रों द्वारा पठन।

 

 

गृह कार्य :-

1.   पाठ का सही उच्चारण के साथ उच्च स्वर मेँ पठन करना।

2.   पाठ के प्रश्न अभ्यास करना।

3.   पाठ के प्रमुख तथ्यों की संक्षेप में सूची तैयार करना।

4.   पाठ में आए कठिन शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करना।

परियोजना कार्य :-

1.   अपने गाँव की शैक्षणिक समस्याओं पर लेख लिखना।

2.   अपनी पारिवारिक समस्या पर आधारित कोई कहानी या लेख लिखना।

मूल्यांकन :-

निम्न विधियों से मूल्यांकन किया जाएगा :-

1.   पाठ्य-पुस्तक के बोधात्मक प्रश्न

o  इफ़्फ़न टोपी की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है ?

o  ‘ अम्मी ’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई ?

o  पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था ?

o  ज़हीन होने के बावज़ूद टोपी के कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे ?

o  दस अक्तूबर सन्‍ पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता है ?

2.   इकाई परीक्षाएँ

3.   गृह कार्य

4.   परियोजना - कार्य