बुधवार, 23 मार्च 2022

गणेशशंकर विद्यार्थी | GANESH SHANKAR VIDYARTHI | INDIAN HINDI POET | साहित्यकार का जीवन परिचय

गणेशशंकर विद्यार्थी

(1890 - 1931)

गणेशशंकर विद्यार्थी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में सन् 1890 में हुआ। एंट्रेंस पास करने के बाद वे कानपुर करेंसी दफ्तर में मुलाज़िम हो गए। फिर 1921 में 'प्रताप' साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया। विद्यार्थी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को अपना साहित्यिक गुरु मानते थे। उन्हीं की प्रेरणा से आज़ादी की अलख जगानेवाली रचनाओं का सृजन और अनुवाद उन्होंने किया। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने सहायक पत्रकारिता की। विद्यार्थी के जीवन का ज्यादातर समय जेलों में बीता। इन्हें बार-बार जेल में डालकर भी अंग्रेज़ सरकार को संतुष्टि नहीं मिली। वह इनका अखबार भी बंद करवाना चाहती थी। कानपुर में 1931 में मचे सांप्रदायिक दंगों को शांत करवाने के प्रयास में विद्यार्थी को अपने प्राणों की बलि देनी पड़ी। इनकी मृत्यु पर महात्मा गांधी ने कहा था : काश! ऐसी मौत मुझे मिली होती।

विद्यार्थी अपने जीवन में भी और लेखन में भी गरीबों, किसानों, मज़लूमों, मज़दूरों आदि के प्रति सच्ची हमदर्दी का इज़हार करते थे। देश की आजादी की मुहिम में आड़े आनेवाले किसी भी कृत्य या परंपरा को वह आड़े हाथों लेते थे। देश की आजादी उनकी नज़र में सबसे महत्त्वपूर्ण थी। आपसी भाईचारे को नष्ट-भ्रष्ट करनेवालों की वे जमकर 'खबर' लेते थे। उनकी भाषा सरल, सहज, लेकिन बेहद मारक और सीधा प्रहार करनेवाली होती थी।