शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | CHANDRADHAR SHARMA GULERI | INDIAN HINDI POET | साहित्यकार का जीवन परिचय

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

(सन् 1883-1922)

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म पुरानी बस्ती, जयपुर में हुआ। गुलेरी जी बहुभाषाविद् थे। संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, ब्रज, अवधी, मराठी, गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी, बाँग्ला के साथ अंग्रेजी, लैटिन तथा फ्रेंच आदि भाषाओं में भी उनकी अच्छी गति थी। वे संस्कृत के पंडित थे। प्राचीन इतिहास और पुरातत्व उनका प्रिय विषय था। उनकी गहरी रुचि भाषा विज्ञान में थी। गुलेरी जी की सृजनशीलता के चार मुख्य पड़ाव हैं - समालोचक (1903-06 ई.), मर्यादा (1911-12), प्रतिभा (1918-20) और नागरी प्रचारिणी पत्रिका (1920-22) इन पत्रिकाओं में गुलेरी जी का रचनाकार व्यक्तित्व बहुविध उभरकर सामने आया।

चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने उत्कृष्ट निबंधों के अतिरिक्त तीन कहानियाँ- सुखमय जीवन, बुद्ध का काँटा और उसने कहा था भी हिंदी जगत को दीं। सिर्फ़ उसने कहा था कहानी तो गुलेरी जी का पर्याय ही बन चुकी है। गुलेरी जी की विद्वत्ता का ही प्रमाण और प्रभाव था कि उन्होंने 1904 से 1922 तक अनेक महत्त्वपूर्ण संस्थानों में अध्यापन कार्य किया, इतिहास दिवाकर की उपाधि से सम्मानित हुए और पं. मदन मोहन मालवीय के आग्रह पर 11 फरवरी 1922 ई. को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राच्य विभाग के प्राचार्य बने।