मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्व ‘उगादी’ | 'UGADI' CELEBRATION | SOUTH FESTIVAL 'UGADI'

दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्व ‘उगादी’

पेडों पर सजती है नए पत्तों की बहार,
हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार,
ऐसा सजता है उगादी का त्योहार.
मौसम भी करता नव वर्ष का सत्कार.
आप सबको उगादि का खुशियों भरा त्योहार की शुभकामनाएँ।

उगादी दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्व है। दक्षिण भारत में चंद्र पंचाग को मानने वाले लोगो द्वारा नव वर्ष मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक इन क्षेत्रों में नववर्ष के रुप में मनाते है। दक्षिण भारत में इस पर्व को काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है क्योंकि वसंत आगमन के साथ ही किसानों के लिए यह पर्व नयी फसल के आगमन का भी अवसर होता है। मुख्यतः उगादि का यह त्योहार उस समय आता है जब भारत में वसंत ऋतु अपने चरम पर होती है और इस समय किसानों को नयी फसल भी मिलती है। दक्षिण भारत में उगादी अवसर पर ब्रम्हाजी की पूजा की जाती है। लोक मानते है कि इस दिन ब्रम्हा जी ब्रह्माण्ड की रचना की थी।

उगादी के दिन एक विशेष पेय बनाने की भी प्रथा है, जिसे उगादी पच्चड़ी नाम से जाना जाता है। उगादी के दिन हमें पच्चड़ी पेय का सेवन अवश्य करना चाहिए। पच्चड़ी नामक यह पेय नई इमली, आम, नारियल, नीम के फूल, गुड़ जैसे चीजों को मिलाकर बनायी जाती है। लोगों द्वारा इस पेय को पीने के साथ ही आस-पड़ोस में भी बाँटा जाता है। उगादी पच्चड़ी हमें जीवन में यह ज्ञान कराता है कि जीवन में हमें मीठेपन तथा कड़वाहट भरे षङठ रूचियों की तरह के अनुभवों से गुजरना पड़ता है। वर्षों तक मजबूत और स्वस्थ्य शरीर की प्राप्ति के लिए एवं विभिन्न प्रकार के धन की प्राप्ति तथा सभी प्रकार की नकरात्मकता का नाश करने के लिए हमें उगादि पच्चड़ी खाना चाहिए।

उगादी का यह पर्व हमें प्रकृति के और भी समीप ले जाने का कार्य करता है क्योंकि यदि इस त्योहार के दौरान पीये जाने वाले पच्चड़ी नामक पेय पर गौर करें तो यह शरीर के लिए काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। हमारे शरीर को मौसम में हुए परिवर्तन से लड़ने के लिए तैयार करता है और हमारे शरीर के प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है।

छह अलग अलग स्वाद मीठा, खट्टा, मसाला, नमक और कड़वा आदि का प्रतीक है खुशी, घृणा, क्रोध, भय, आश्चर्य का। यह नया गुड़, कच्चे आम के टुकड़े, नीम के फूल, और नए इमली से बना है जो वास्तव में जीवन को प्रतिबिंबित और उदासी का द्योतक है।

बाद में लोगों को पारंपरिक रूप से नए साल की धार्मिक पंचांग के सस्वर पाठ को सुनने के लिए मंदिर में इकट्ठा होते हैं। पंचांग भी चाँद लक्षण के आधार पर ज्योतिष में शामिल है। उगादि चंद्रमा की कक्षा में एक परिवर्तन के साथ एक नया हिंदू चंद्र कैलेंडर की शुरुआत के निशान है। इस दिन मौसम काफी सुहावना रहता है और लोग बहुत प्रसन्न होते है। आप सबको इस नये साल की शुभकामनाओं के साथ आपका मित्र रामकुमार।