रविवार, 25 अप्रैल 2021

आश्रम का अनुमानित व्यय | मोहनदास करमचंद गांधी | MAHATMA GANDHI | AASHRAM KA ANUMAANIT VYAY | CBSE | HINDI | CLASS VII

आश्रम का अनुमानित व्यय 
मोहनदास करमचंद गांधी

दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गांधी जी ने अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की, उसके प्रारंभिक सदस्यों तथा सामान आदि का विवरण इस पाठ में है।

आरंभ में संस्था (आश्रम) में आ चालीस लोग होंगे। कुछ समय में इस संख्या के पचास हो जाने की संभावना है।

हर महीने औसतन दस अतिथियों के आने की संभावना है। इनमें तीन या पाँच सपरिवार होंगे, इसलिए स्थान की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि परिवारवाले लोग अलग रह सकें और शेष एक साथ।

इसको ध्यान में रखते हुए तीन रसोईघर हों और मकान कुल पचास हजार वर्ग फुट क्षेत्रफल में बने तो सब लोगों के लायक जगह हो जाएगी।

इसके अलावा तीन हजार पुस्तकें रखने लायक पुस्तकालय और अलमारियाँ होनी चाहिए।

कम-से-कम पाँच एकड़ जमीन खेती करने के लिए चाहिए, जिसमें कम से कम तीस लोग काम कर सकें, इतने खेती के औजार चाहिए। इनमें कुदालियों, फावड़ों और खुरपों की जरूरत होगी।

बढ़ईगिरी के निम्नलिखित औजार भी होने चाहिए - पाँच बड़े हथौड़े, तीन बसूले, पाँच छोटी हथौड़ियाँ, दो एरन, तीन बम, दस छोटी-बड़ी छेनियाँ, चार रंदे, एक सालनी, चार केतियाँ, चार छोटी-बड़ी बेधनियाँ, चार आरियाँ, पाँच छोटी-बड़ी संडासियों, बीस रतल कीलें छोटी और बड़ी, एक मोंगरा (लकड़ी का हथौड़ा), मोची के औजार।

मेरे अनुमान से इन सब पर कुल पाँच रुपया खर्च आएगा।

रसोई के लिए आवश्यक सामान पर एक सौ पचास रुपये खर्च आएगा।

स्टेशन दूर होगा तो सामान को या मेहमानों को लाने के लिए बैलगाड़ी चाहिए।

मैं खाने का खर्च दस रुपये मासिक प्रति व्यक्ति लगाता हूँ। मैं नहीं समझता कि हम यह खर्च पहले वर्ष में निकाल सकेंगे। वर्ष में औसतन पचास लोगों खर्च छह हजार रुपये आएगा।

मुझे मालूम हुआ है कि प्रमुख लोगों की इच्छा यह है कि अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए। यदि ऐसा हो तो अहमदाबाद को ऊपर बताया गया सब खर्च उठाना चाहिए। मेरी माँग तो यह भी है कि अहमदाबाद मुझे पूरी जमीन और मकान सभी दे दे तो बाकी खर्च मैं कहीं और से या दूसरी तरह जुटा लूँगा। अब चूँकि विचार बदल गया है, इसलिए ऐसा लगता है कि एक वर्ष का या इससे कुछ कम दिनों का खर्च अहमदाबाद को उठाना चाहिए। यदि अहमदाबाद एक वर्ष के खर्च का बोझ उठाने के लिए तैयार न हो, तो ऊपर बताए गए खाने के खर्च का इंतजाम मैं कर सकता हूँ। चूँकि मैंने खर्च का यह अनुमान जल्दी में तैयार किया है, इसलिए यह संभव है कि कुछ मदें मुझसे छूट गई हों। इसके अतिरिक्त खाने के खर्च के सिवा मुझे स्थानीय स्थितियों की जानकारी नहीं है। इसलिए मेरे अनुमान में भूलें भी हो सकती हैं।

यदि अहमदाबाद सब खर्च उठाए तो विभिन्न मदों में खर्च इस तरह होगा -

• किराया बंगला और खेत की जमान

• किताबों की अलमारियों का खर्च

• बढ़ई के औजार

• मोची के औजार

चौके का सामान

एक बैलगाड़ी या घोडागाडी

एक वर्ष के लिए खाने का खर्च -

छह हजार रुपया।

मेरा खयाल है कि हमें लुहार और राजमिस्त्री के औजारों की भी जरूरत होगी। दूसरे बहुत से औजार भी चाहिए, किंतु इस हिसाब से मैंने उनका खर्च और शिक्षण - संबंधी सामान का खर्च शामिल नहीं किया है। शिक्षण के सामान में पाँच-छह देशी हथकरघों की आवश्यकता होगी।

मोहनदास करमचंद गांधी

(अहमदाबाद में स्थापित आश्रम का संविधान स्वयं गांधी जी ने तैयार किया था। इस संविधान के मसविदे से पता चलता है कि वह भारतीय जीवन का निर्माण किस प्रकार करना चाहते थे।)

घरेलू सामान

चार पतीले चालीस आदमियों का खाना बनाने के योग्य: दो छोटी पतीलिया दस आदमियों के योग्यः तीन पानी भरने के पतीले या तांबे के कलशे; चार मिट्टी के बड़े; चार तिपाइया; एक कढ़ाई; दस रतल खाना पकाने योग्य; तीन कलछिया; दो आटा गूंधने की परातें; एक पानी गरम करने का बड़ा पतीला; तीन केतलिया; पाच बाल्टिया या नहाने का पानी रखने के बरतन; पाच पतीले के ढक्कन; पाच अनाज रखने के बरतनः तीन तइया; दस थालिया; दस कटोरिया; दस गिलास: दस प्याले; चार कपड़े धोने के टब; दो छलनिया। एक पीतल की छलनी: तीन चक्किया; दस चम्मच; एक करछा, एक इमामदस्ता-मूसली; तीन झाडू, छह कुरसिया: तीन मेजें; छह किताबें रखने की अलमारिया; तीन दवातें: छह काले तख्ते, छह रैक; तीन भारत के नक्शे; तीन दुनिया के नक्शे; दो बंबई अहाते के नक्शे; एक गुजरात का नक्शा; पाच हाथकरणे; बढ़ई के औजार, मोची के औजार; खेती के औजार; चार चारपाइया: एक गाड़ी; पांच लालटेन: तीन कमोड; दस गहे; तीन चैबर पॉट; चार सड़क की बत्तियाँ।

(वैशाख बदी तेरह, मंगलवार 11 मई, 1915)