गुरुवार, 21 जनवरी 2021

भारतीय काव्यशास्त्र – रसनिष्पत्ति (RAS NISHPATHI)

भारतीय काव्यशास्त्र – रसनिष्पत्ति

1. संचारी भाव एवं स्थायी भाव के बीच पोष्य-पोषक सम्बन्ध होता है यह मत किस आचार्य का है ---
(क) भट्टनायक (ख) आचार्य शंकुक (ग) आचार्य अभिनव गुप्त  
(घ) भट्ट लोल्लट 

2. निम्नलिखित में से किसे आरोपवाद के नाम से जाना जाता है –
उत्पत्तिवाद
अनुमितिवाद
भुक्तिवाद
अभिव्यक्तिवाद 

3 आचार्य शंकुक का अनुमितिवाद किस दर्शन पर आधारित है ---
(क) न्याय दर्शन
(ख) मीमांसा दर्शन
(ग) सांख्य दर्शन
(घ) शैव दर्शन

4. भरतमुनि के रससूत्र में संयोग और निष्पत्ति को अनुमान और अनुमिति किसने कहा है.
(क) अभिनव गुप्त
(ख) भट्टनायक
(ग) भट्टलोल्लट 
(घ) शंकुक 

5. लोल्लट के मत से विभावादि एवं स्थायी भाव के संयोग का क्या अर्थ है—
(क) अनुमाप्य-अनुमापक सम्बन्ध
(ख) उत्पाद्य – उत्पादक सम्बन्ध 
(ग) भोज्य – भोजक सम्बन्ध
(घ) कोई नहीं

6. शंकुक ने रस सूत्र में संयोग का अर्थ क्या माना है –
(क) उत्पत्ति
(ख) भुक्ति
(ग) अभिव्यक्ति 
(घ) अनुमिति 

7. भुक्तिवाद किस आचार्य के रस निष्पत्ति सम्बनधी मत का नाम है
(क) आचार्य मम्मट
(ख) आचार्य विश्वनाथ
(ग) आचार्य अभिनवगुप्त
(घ) भट्टनायक 

8. रस सूत्र में संयोग का अर्थ भोज्य-भोजक सम्बन्ध किस आचार्य ने माना है –
(क) आचार्य शंकुक
(ख) भट्टनायक 
(ग) अभिनवगुप्त
(घ) विश्वनाथ

9. भट्टनायक ने रस का स्थान कहां माना है –
(क) रंगमंच
(ख) काव्य विबद्ध
(ग) सह्रदय सामाजिक का चित्त 
(घ) मूल पात्र

10. अभिनवगुप्त के रस निष्पत्ति सम्बन्धी मत को किस नाम से जाना जाता है—
(क) भुक्तिवाद
(ख) अभिव्यक्तिवाद 
(ग) आरोपवाद
(घ) उत्पत्तिवाद