सोमवार, 7 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास - रासो साहित्य की परम्परा

हिन्दी साहित्य का इतिहास - रासो साहित्य की परम्परा

*** रास, रासक या रासो के स्वरूप से परिचित करवाना.... प्रमुख रासो ग्रंथों से परिचित करवाना और रासो ग्रन्थों की विशेषताएँ समझाना आदि।

*** आचार्य रामचंद्रशुक्ल जी ने रासो काव्य परम्परा के कारण इस काल को वीरगाथा काल के नाम से अभिहित किया।

*** आदिकालीन साहित्य में रासो की परम्परा दो रूपों में विकसित हुई है – नृत्य-गीतपरक धारा और छंद वैविध्यपरक धारा।

*** रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो सर्वश्रेष्ठ रचना है। कवि ने वीर और श्रृंगार रस का जैसा मार्मिक वर्णन इस ग्रन्थ में किया है, अन्य दुर्लभ है।