शनिवार, 30 जनवरी 2016

मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल

भीष्म साहानी

भीष्म साहानी

भारत भूषण अग्रवाल

भारत भूषण अग्रवाल

भवानीप्रसाद मिश्र

भवानीप्रसाद मिश्र

भगवतीचरण वर्मा

भगवतीचरण वर्मा

प्रभाकर माचवे



प्रभाकर माचवे






प्रभाकर माचवे की कविताओं में लोकजीवन का संपूर्ण दृश्य उभरकर आता है। प्रकृति का सजीव चित्र भी प्रस्तुत करने में वे सक्षम हैं। लोक संस्कृति की पूर्ण अभिव्यक्ति एक दृश्य में दृष्टव्य होती हैं-

उनकाल अछोर खेतों में 

हलवाहों के बालकगण कुछ खेल रहे हैं

पहली झड़ियों से निर्मित कर्दम की गेदों झेल रहै हैं

वे बालक हैं, वे भी कर्दम-मिट्टी के ही राजदुलारे

बादल पहले-पहले बरसे, बचे-खुचे छितरे दिशहारे 

सद्यस्नाता हरित-श्यामता, शस्य-बालियों में प्रफुल्लता

प्रकृति में सौन्दर्य फैलता

किन्तु गाँववालों के लड़के ये मट मैल्,

करते धक्कामधक्का।

प्रयाग नारायण त्रिपाठी

प्रयाग नारायण त्रिपाठी

नैमिचंद्र जैन

नैमिचंद्र जैन

निर्मल वर्मा


नामवर सिंह


नरेश मेहता


नंदकिशोर आचार्य


धूमिल की काव्य यात्रा (DHUMIL KI KAVYA YATRA)


धूमिल की काव्य यात्रा (DHUMIL KI KAVYA YATRA)

शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती




धर्मवीर भारती की कविताओं में भी लोकजीवन की अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। संपूर्ण प्रकृति को नानाविध रंगों के साथ वे वर्णन करते हैं। लोक जीवन में बोआई के वक्त जो गीत गाये जाये हैं, उसी को वे प्रमुख स्थान देते हैं। बोआई का गीत नामक छोटी कविता में उनकी लोकधर्मिता की अभिव्यक्ति का अनुभव किया जा सकता है। प्रकृति को उन्होंने वीर बहूटी के रूप में चित्रित किया है।
गोरी-गोरी सोंधी धरती-कारे-कारे बीज
बदरा पानी है
क्यारी-क्यारी गूँज उटा संगीत
मैं बोऊँगा बीरबहूरी, इन्द्रधनुष सतरंग

नये सितारे, नयी पीढियाँ, नये धान का रंग।

त्रिलोचन


डॉ. नगेंद्र


ज्ञानेंद्रपति


जैनेन्द्र कुमार


चंद्रकांत देवताले


गोविन्द मिश्र


बुधवार, 27 जनवरी 2016

गिरिजाकुमार माथुर (चित्र)


केदारनाथ सिंह (चित्र)


कुँवरनारायण का काव्य कथ्य


कुँवरनारायण का काव्य कथ्य कुँवरनारायण का काव्य कथ्य

कीर्ति चौधरी


अवधेश कुमार


अज्ञेय

अज्ञेय





अज्ञेय की कविताओं में लोक जीवन की अभूतपूर्व अभिव्यक्ति मिलती है। उनका रचना संसार लोक के चित्रों से ओतप्रोत है। लोकजीवन का अस्तित्व पंचभूतों पर अधारित है। वे प्रकृति के निकट रहनेवाले कवि हैं। इसकी अभिव्यक्ति अज्ञेय की कविता में हम देख सकते हैं-

कुछ भी गायब नहीं होता
रहता है, किसी न किसी तरह
आकाश, हवा, पानी, आग, मिट्टी

किसी न किसी तरह।

कैलाश वाजपेयी (चित्र)


सोमवार, 25 जनवरी 2016

आचार्य नरेन्द्र देव (चित्र)


अशोक वाजपेयी (चित्र)


अलका सरावगी (चित्र)


अरूण कमल (चित्र)


अमृत राय (चित्र)


अमरकांत (चित्र)



अमृतलाल नागर (चित्र)


बुधवार, 13 जनवरी 2016