उमंग | भाग-1 | वृंद | CLASS 9 | CHAPTER 3 | TELANGANASCERT | वृंद के दोहे | VRUND KE DOHE | नीति दोहे | FIRST LANGUAGE | HINDI
वृंद
वृंद मध्यकालीन युग के सरल, सुबोध एवं प्रभावपूर्ण कवियों में प्रथम श्रेणी में गिने जा सकते हैं। वृंद का पूरा नाम वृंदावन था। परंतु कविता करते हुए इन्होंने अपने को वृंद कहा है। इनका जन्म बीकानेर के मेंड़ता नामक स्थान पर हुआ था। इनके साहित्य में जनसामान्य की वाणी दिखायी देती है। वृंद के दोहे बहुत प्रसिद्ध और प्रचलित हैं। इन दोहों में व्यक्ति अथवा समाज-सुधार, जीवन आदर्शों आदि का बहुत ही सरल भाषा में वर्णन किया गया है। वृंद के दोहे हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। वृंद की रचना-शैली मुक्तक है। जो कुछ कहा गया है वह हृदयस्पर्शी और प्रभावपूर्ण है। इनकी मृत्यु किशनगढ़ में हुई थी। वृंद की रचनाएँ हैं - वृंद विनोद सतसई, नीति सतसई, गायक सतसई, भाव पंचाशिका, वचनिका, पवन पचीसी।