शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास – ज्ञानाश्रयी काव्यधारा

हिन्दी साहित्य का इतिहास – ज्ञानाश्रयी काव्यधारा 

*** निर्गुण एवं सगुण धारा का भेद समझाना.......

*** निर्गुण धारा के एक अंग ज्ञानाश्रयी काव्यधारा का परिचय........

*** ज्ञानाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख संतों और उनकी रचनाओं का परिचय........

*** इस काव्यधारा के कवि लोक, परलोक दोनों को भी महत्व देते है.......

*** एक ओर वे सांसारिक भोगविलास की निन्दा करते है... दूसरी तरफ सामाजिक जीवन में व्याप्त कटुता, विषमता आदि का विरोध करते है....

*** इस धारा के कवि श्रम का महत्व प्रतिपादित किया.....

*** इनका सबसे प्रमुख देय है – समाज की विषमता का विरोध तथा मानववाद की स्थापना....

*** इस काल के कवियों ने आम आदमी में गौरव एवं स्वाभिमान भर दिया।

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रामभक्ति काव्यधारा

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रामभक्ति काव्यधारा 

*** हिन्दी काव्य में रामभक्ति काव्यधारा के महत्व को समझना...

*** राम काव्यधारा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओँ से परिचय करवाना....

*** राम काव्यधारा के सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास है। तुलसीदास के महत्व समझाना (रामकाव्य के संदर्भ में).......

*** रामकथा का प्राचीन स्त्रोत वाल्मीकि रामायण है... वहाँ से अब तक की पहचान.....

*** रामकाव्य की अजश्र धारा आधुनिक काल में भी प्रवाहित है।

*** आधुनिक काल के अनेक कवियों ने रामकथा से सम्बंधित रचनाएँ की है। पर उनमें साकेत, वैदेही वनवास और राम की शक्तिपूजा विशेष उल्लेखनीय है।

बुधवार, 16 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास – कृष्णभक्ति काव्यधारा

हिन्दी साहित्य का इतिहास – कृष्णभक्ति काव्यधारा 

*** कृष्णभक्ति काव्यधारा हिन्दी साहित्य के आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक प्रवाहित है। मध्यकाल के भक्तकवियों ने कृष्णभक्ति को जिस रूप में प्रस्तुत किया वह अद्वितीय है। आधुनिक काल भी कृष्णभक्ति काव्य से अछूता नहीं है, दरअसल श्रीकृष्ण एक ऐसे प्रतीक हैं, जिन्हें आधार बनाकर पहले भी अनेक काव्य लिखे गए और अब भी लिखे जा रहे हैं।

*** इस वीडियो के माध्यम से कृष्णभक्ति काव्यधारा के आदि स्त्रोत से आधुनिक काल तक श्रीकृष्ण से संबंधित रचनाओं और रचनाकारों के बारे में समझ सकेंगे।

जय हिन्दी – जय भारत