मंगलवार, 1 मई 2018

तुलसीदास

तुलसीदास 

1. तुलसीदास को “कलिकाल का बाल्मिकी” किसने कहा है?
रामचन्द्र शुक्ल
हजारी प्रसाद व्दिवेदी
नाभादास
अकबर

2. ‘स्मिथ’ ने तुलसीदास को निम्न संज्ञा दी ----
लोकनायक
रामभक्त कवि
मुगलकाल का सबसे बडा आदमी
सर्वश्रेष्ठ कवि

3. किस कवि ने भक्ति काल में प्रचलित अवधी,ब्रज,तथा संस्कृत तीनों भाषाओं में काव्य रचनाएं की?
सूरदास
कबीरदास
मलिक मोहम्मद जायसी
तुलसीदास

4. निम्नलिखित में से तुलसीदास की रचनाओं की भाषा ब्रज नहीं है?
कवितावली, गीतावली
कृष्ण गीतावली, विजय पत्रिका
हनुमान बाहुक
पार्वती मंगल, जानकी मंगल

5. तुलसीदास व्दारा बीस सोहर-छंदों में रचित एकार्थक काव्य है---
रामलल्ला नहछू
वैराग्य संदीपनी
कवितावली
गीतावली
6. ‘पार्वती मंगल’ को अप्रमाणिक मानने वाले विव्दान थे ----
शिव सिंह सेंगर
जॉर्ज ग्रियर्सन
मिश्रबन्धु
रामचन्द्र शुक्ल

7. तुलसी की भक्ति का स्वरूप क्या था ?
दास्य
सख्य
वात्सल्य
मातृ

8. तुलसीदास ने रामकथा के बहाने शुभ-अशुभ शकुनों पर विचार किस रचना में किया है?
रामाज्ञा प्रश्न
हनुमान बाहुक
बरवै रामायण
विनय प्रत्रिका में

9. “बरवै नायिका भेद” किस काल की रचना है?
भक्तिकाल
आदिकाल
रीतिकाल
आधुनिक काल

10. ‘चरन कमल बन्दौं हरिराई’ किस रचना की पंक्ति है?
सूरसागर
भ्रमरगीत
कवितावली
गीतावली

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कबीरदास

कबीरदास 

1.कबीर के गुरू कौन थे ?
रामानंद
राघवानंद
दयानंद
मायानंद

2.कबीरदास की मृत्थु कहाँ हुई ?
काशी
मगहर
बनारस
इलाहाबाद

3.कबीर को 'भाषा का डिक्टेटर' किसने कहा है ?
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
हजारी प्रसाद व्दिवेदी
रामकुमार वर्मा
विजयेन्द्र स्नातक

4.कबीर के दार्शनिक चिंतन को कहा जा सकता है ---
एकेश्वरवादी
व्दैतवादी
अव्दैतवादी
विशिष्टाव्दैतवादी

5. "जब मैं था हरि नहीं,अब हरि हैं मैं नाहिं।
प्रेम गति अति सांकरी,ता में दो न समाहिं"।।
इन पंक्तियों में कौन सा भाव है
नाम स्मरण
भक्तिभावना
रहस्यात्मकता
अहंभाव का त्याग

6. कबीर ने "गूंगे का गुड" किसे कहा है
परम सत्य
माया
जगत्
जीव  

7. कबीरदास किस के समकालीन कहे जा सकते हैं ?
तुलसीदास
विद्यापति
सूरदास
कृष्णदास

8. रैदास किसके शिष्य थे ?
कबीर
रामानंद
वल्लभाचार्य
विठ्टलनाथ

9. "रमैनी" किसकी रचना है ?
कबीरदास
गरीबदास
रैदास
नानक

10. निम्नलिखित काव्य पंक्तियाँ किस कवि के व्दारा उद्भृत की गई है ----

दशरथ सुत तिहुं लोक बखाना,
राम नाम को भरम न आना।
तुलसीदास
नरहरि बारहट
रामानन्द
कबीरदास