रविवार, 14 अगस्त 2016

हिन्दी में आत्मकथा

हिन्दी में आत्मकथा


हिन्दी में आत्मकथा इस विध का आरंभ बनारसीदास जैन की पद्यात्मक रचना अर्धकथानक(1641) से होता है। किंतु गद्य विधा के रूप में इसकी प्रतिष्ठा आधुनिक युग में ही हुई। स्वामी दयानन्द लिखित जीवनचरित्र (संवत् 1917 वि.), सत्यान्द अग्निहोत्री लिखित मुझ में देव जीवन का विकास (1910 वि.), भाई परमानन्द लिखित आप बीती (1921 वि.), रामविलास शुक्ल लिखित मैं क्रान्तिकारी कैसे बना (1933 ), भवानी दयाल संन्यासी कृत प्रवासी की कहानी(1939), डॉ. श्याम सुन्दरदास रचित मेरी आत्मकहानी (1941), राहुल सांकृत्यायन कृत मेरी जीवन यात्रा(1946), डा. राजेन्द्र प्रसाद रचित आत्मकथा (1947) वियोग हरि कृत मेरा जीवन प्रवाह (1948), सेठ गोविन्ददास कृत आत्मनिरीक्षण (तीन भाग 1958) पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्रÓ रचित अपनी खबर(1960) तथा आचार्य चतुंरसेन शास्त्री कृत मेरी आत्मकहानी (1963) इस विषय की महत्वपूर्ण कृतियां हैं। इसी क्रम में जीवन के चार अध्याय (1966) में प्रेमचन्द ने 'हंस’ के आत्मकथांक में कुछ साहित्यकारों की संक्षिप्त आत्मकथाएं प्रकाशित की थीं।

हिन्दी में महत्त्वपूर्ण आत्मकथाएं प्रकाशित हुई हैं इनमें क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), नीड का निर्माण फिर (1979), बसेरे से दूर (1978) और दशद्वार से सोपान तक (1985) (चार खण्डों में), हरिवंश राय बच्चन, अपनी कहानी(1990), वृन्दावन लाल वर्मा, मेरी फिल्मी आत्मकथा(1947), बलराज साहनी, यशपाल जैन की आत्मकथा मेरी जीवन धारा(1987), डॉ. नगेन्द्र की आत्मकथा अद्र्धकथा(1988),फणीश्वरनाथ 'रेणुÓ की आत्मकथा आत्मपरिचय (1988) सं. भारत यायावर, रामदरश मिश्र की आत्मकथा समय सहचर है(1990), गोपालप्रसाद व्यास की आत्मकथा कहो व्यास, कैसी कही(1995) डॉ. रामविलास शर्मा की आत्मकथा अपनी धरती अपने लोग (1996), भगवतीचरण वर्मा की आत्मकथा कहि न जाये का कहिए, नरेश मेहता की आत्मकथा हम अनिकेतन(1995) कमलेश्वर की आत्मकथा जो मंैने जिया, यादों के चिराग (1997), जलती हुई नदी(1999) राजेन्द्र प्रसाद की आत्मकथा मुड़ मुड़ के देखता हूं (2001), अखिलेष की आत्मकथा और वह जो यथार्थ था (2001), भीष्म साहनी की आत्मकथा आज के अतीत (2003), विष्णु प्रभाकर की आत्मकथा पंखहीन, मुक्त गगन में और पंछी उड गया (तीन खण्ड, 2004) आदि हैं।

पिछले कुछ वर्षों में आत्मकथा लेखन की परम्परा में एक उल्लेखनीय बात यह हुई है कि अब लेखिकाएं भी मुक्त मन से आत्मकथाएं लिखने लगी हैं। कालक्रम से देखा जाय तो दस्तक जिन्दगी (1990) और मोड़ जिन्दगी का(1996) इन दो खण्डों में प्रकाशित प्रतिभा आग्रवाल की आत्मकथा सबसे पहले आती है। इसी क्रम में क्रमश: जो कहा नहीं गया(1996) कुसुम अंसल, लगता नहीं है दिल मेरा(1997) कृष्णा अग्निहोत्री, बूंद बावड़ी(1999) पद्या सचदेव, कस्तूरी कुण्डल बसै(2002)मैत्रेयी पुष्पा, हादसे (2005) रमणिका गुप्ता, एक कहानी यह भी(2007) मन्नू भण्डारी, अन्या से अनन्या (2007)प्रभा खेतान, गुडिय़ा भीतर गुडिय़ा (2008) मैत्रेयी पुष्पा, पिंजरे की मैना(2005) चन्द्रकिरण सौनरेक्सा तथा और-और औरत (2010) कृष्णा अग्निहोत्री की आत्मकथा प्रकाशित हुई हैं।

कुछ दलित लेखकों का ध्यान भी आत्मकथा लिखने की ओर गया है। अपने अपने पिंजरे (भाग-1;1995, भाग-2;200) मोहनदास नैमिशराय, जूठन (1969) ओमप्रकाश वाल्मीकि, तिरस्कृत (2002) तथा संतप्त (2006) डॉ. सूरजपाल चौहान, नागफनी (2007) रूपनारायण सोनकार, मेरा बचपन मेरे कन्धों पर (2009) श्यौराज सिंह बेचैन, मेरी पत्नी और भेडिय़ा (2010) डा. धर्मवीर, मुर्दहिया (2010) डा. तुलसीराम, शिंकजे का दर्द (2012) सुशील टाकभौरे आदि की आत्मकथाओं ने हिन्दी जगत का ध्यान आकृष्ट किया है ।

दलित लेखकों द्वारा आत्मकथा लिखने में जोखिम भी बहुत हैं। जब शरण कुमार लिम्बाले की पत्नी यह प्रश्न करती हैं कि यह सब लिखने से क्या फायदा? तुम क्यों लिखते हो। कौन अपनाएगा हमारे बच्चों को? 1या ओमप्रकाश वाल्मीकि की पत्नी उनके सरनेम को लेकर कहती है कि हमारे कोई बच्चा होता तो मैं इनका सरनेम जरूर बदलवा देती 2 तब यह समस्या कितनी गंभीर है, यह सोचने की जरूरत है। लिम्बाले जी कहते है फिर भी मैं लिखता हूं। यह सोचकर कि जो जीवन मैंने जिया यह सिर्फ मेरा नहीें है मेरे जैसे हजारों,लाखों का जीवन हैै।

प्रमुख वाद और उनके प्रवर्तक

प्रमुख वाद और उनके प्रवर्तक


1. अद्वैतवाद- शंकराचार्य

2. विशिष्टाद्वैतवाद- रामानुजाचार्य

3. द्वैतवाद - माधवाचार्य

4. द्वैताद्वैतवाद-आचार्य निम्बार्क

5. शुद्धताद्वैतवाद -बल्लभाचार्य

6. स्यादवाद- पाश्र्वनाथ

7. संघातवाद/क्षणिकवाद-बुद्ध

8. श्री सम्प्रदाय - रामानुज

9. सनक सम्प्रदाय-निम्बार्क

10. रूद्र सम्प्रदाय -विष्णु स्वामी

11. ब्रम्ह सम्प्रदाय -माध्वाचार्य

12. रामावत सम्प्रदाय-रामानंद

13. विश्नुर्इ सम्प्रदाय-जंभनाथ

14. उदासी सम्प्रदाय-श्रीचंद्र

15. राधाबल्लभ सम्प्रदाय -श्रीचंद्र

16. हरिदासी (सखी) सम्प्रदाय-स्वामी हरिदास

17. गोडीय सम्प्रदाय-चैतन्य

18. भकित के प्रवर्तक -रामानुज

24. बिम्बवाद-टी.ए. हयूम

25. कैप्सूलवाद -ओंकार नाथ त्रिपाठी

26. मांसलवाद-रामेश्वर शुक्ल

27. छायावाद- जयशंकर प्रसाद

28. स्वछंदतावाद -श्रीधर पाठक

29. रीतिकाल- केशवदास

30. हालावाद- हरिवंश राय

31. प्रयोगवाद- अज्ञेय

32. अलंकर वाद -मम्मट

33. ध्वनिवाद -आनंदवर्धन

34. रीति- वामन

35. औचित्य- क्षेमेन्द्र

36. समानान्तर कहानी-कमलेश्वर

37. सचेतन कहानी-महीप सिंह

38. सहज कहानी -अमृत राय

39. सक्रिय कहानी -राकेश वत्स

40. पुषिटमार्ग- बल्लभाचार्य

41. नकेनवाद-नलिन विलोचन

42. वेदांतवाद-बादरायण

बुधवार, 10 अगस्त 2016

UGC-NET&SET-MODEL PAPER-92

UGC-NET&SET-MODEL PAPER-92


1. ईश्वर की कल्पना स्त्री के रूप में की गई है
(A) शिव-नारायणी संप्रदाय में
(B) सूफी संप्रदाय में
(C) कबीर पंथ में
(D) रसिक संप्रदाय में

2. ब्रजभाषा के संबंध में मान्यता है
I. ब्रजभाषा पश्चिमी हिंदी की बोली है।
II. ब्रजभाषा में तुलसीदास ने रचनाएँ की हैं।
III. ब्रजभाषा अर्धमागधी अपभ्रंश से विकसित हुई है।
IV. उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।

सही विकल्प बताइए-
(A) I और II दोनों गलत
(B) I और II दोनों सही
(C) I और II,III तीनों सही
(D) I औरIII दोनों सही

3.˝विभावानुभाव व्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पतिः" रस सूत्र है-
I. उक्त सूत्र के उद्भवक मम्मट हैं।
II. उक्त सूत्र में संचारी भाव का उल्लेख है।
III. उक्त सूत्र में स्थायीभाव का स्पष्ट उल्लेख है।
IV.उक्त तीनों कथन सही हैं।

सही विकल्प बताइए-
(A) I और II दोनों सही
(B) I और II,III तीनों सही
(C) I औरIII दोनों सही
(D) I और II,IV तीनों गलत

4.काव्यशास्त्रियों के बारे में निम्नलिखित कथन हैं
I. ‘काव्यालंकार’ के रचनाकार भामह हैं।
II. भामह छठी सदी के आचार्य हैं।
III. ‘काव्यादर्श’ के रचनाकार दण्डी हैं।
IV. दण्डी नवीं सदी का आचार्य हैं।

सही विकल्प बताइए-
(A) I और II दोनों सही
(B) I और IV दोनों सही
(C) II,III और IV तीनों सही
(D) I,III औरIV तीनों सही

5. रस मीमांसा के विषय में कहा जाता हैं।
I. ‘रस मीमांसा’ के लेखक अभिनव गुप्त हैं।
II. ‘रस मीमांसा’ के लेखक रामचंद्र शुक्ल हैं।
III. ‘रस मीमांसा’ के संपादक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।
IV. ‘रस मीमांसा’ के लेखक विश्वनाथ प्रसाद मिश्र हैं।

सही विकल्प बताइए-
(A) I और II दोनों सही
(B) II और III दोनों सही
(C) I सही और III गलत
(D) II सही और III गलत

6. ‘स्त्रुततिसम्मत हरिभक्तिपथ संजुतविरति विवेक’ प्रसिद्ध उक्ति है।
I. उक्त कथन तुलसीदस का हैं।
II. उक्त कथन नाभादास का हैं।
III. उक्त कथन में सगुण भक्ति की महिमा का बखान किया गया हैं।
IV. उक्त कथन भक्ति के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण हैं।
सही विकल्प बताइए-
(A) I और II दोनों सही
(B) II और III दोनों सही
(C) III और IV दोनों सही
(D) I और III दोनों सही

7. प्रथम प्राकृत भषा है-
(A) वैदिक संस्कृत
(B) शौरसेनी
(C) पालि
(D) लौकिक संस्कृत

8. आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं की दृष्टी से कौन-सा वर्ग सही है?
(A) मराठी, तमिल, गुजराती, उड़िया
(B) कश्मीरी, उड़िया, बंगला, पंजाबी
(C) असमिया, उड़िया, मलयालं, मारवाड़ी
(D) बंगला, मालवी, तेलुगु, सिंधी

9. सूफी प्रेमाख्यानक काव्यों में प्रथम रचना है –
A) मृगावती
B) पद्मावत
C) चंदायन
D) मधुमालती

10. रस संप्रदास का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ है
A) नाट्यशास्त्र
B) ध्वन्यालोक
C) अलंकारमंजरी
D) रसमंजरी

गुरुवार, 4 अगस्त 2016

UGC-NET&SET-MODEL PAPER-91

UGC-NET&SET-MODEL PAPER-91


1. अमीर खुसरो ने किस विधा में रचना नहीं की ?
(A) ग़ज़ल 
(B) मुकरी
(C) दो सुखने 
(D) रमैनी
2. हिंदी का प्रथम गद्य-ग्रंथ है :
(A) उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण
(B) भाषा योगवाशिष्ठ
(C) चंद छंद बरनन की महिमा
(D) चौरासी वैष्णवन की वार्ता
3. ‘दादू संप्रदाय’ किस प्रकार का संप्रदाय है?
(A) सगुणोपासक 
(B) निर्गुणोपासक
(C) उभयात्मक 
(D) नास्तिक
4. ‘महानुभाव संप्रदाय’ के प्रमुख आराध्य हैं :
(A) राम 
(B) कृष्ण
(C) शिव 
(D) शक्ति
5. ‘मसलानामा’ के रचनाकार हैं :
(A) कुतुबन 
(B) मंझन
(C) जायसी 
(D) नूर मुहम्मद
6. पुष्टिमार्ग सिद्धांत के मूल प्रवर्तक कौन है ?
(A) वल्लभाचार्य 
(B) बिट्ठलनाथ
(C) कुंभनदास 
(D) जगजीवनदास
7. तुलसीदास की कौनसी रचना ज्योतिष पर आधारित है ?
(A) गीतावलि
(B) रामलला नहछू
(C) रामाज्ञा प्रश्न
(D) जालकीमंगल
8. इनमें रीतिकालीन कवियों की कौन सी मुख्य प्रवृत्ति नहीं रही है ?
(A) लक्षण ग्रंथ-परंपरा
(B) नायक-नायिका भेद
(C) नखशिख वर्णन
(D) योग-दर्शन
9. ‘स्वत्व निज भारत गहै’- यह किसका कथन है?
(A) द्विजदेव
(B) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
(C) भरतेंदु हरिश्चन्द्र
(D) देवेंद्रनाथ
10. ‘शिवशंभु के चिट्ठे’ किस पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुए थे?
(A) विशाल भारत 
(B) माधुरी
(C) सरस्वती 
(D) भारत मित्र